सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
संसद प्रश्न: बच्चों में शराब और नशीली दवाओं की लत
Posted On:
17 DEC 2024 1:44PM by PIB Delhi
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने बच्चों और अन्य लोगों में शराब और नशीली दवाओं की लत को रोकने के लिए ‘नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए’ राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) तैयार की है। मादक पदार्थों के उपयोग की समस्या से निपटने के लिए, विभाग नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीडीडीआर) को लागू कर रहा है, जो एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसके तहत निम्नलिखित को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है:
- i. निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने के लिए कार्यक्रम आदि के लिए राज्य सरकारें/संघ राज्य क्षेत्र (यूटी) प्रशासन।
- 'नशे की लत से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए एकीकृत पुनर्वास केन्द्रों (आईआरसीए) के संचालन और रखरखाव के लिए एनजीओ/वीओ, किशोरों में नशीली दवाओं के उपयोग की शुरुआती रोकथाम के लिए समुदाय आधारित सहकर्मी नेतृत्व समाधान (सीपीएलआई), आउटरीच और ड्रॉप-इन केन्द्रों (ओडीआईसी) और जिला नशा मुक्ति केन्द्रों (डीडीएसी)'; तथा
- व्यसन उपचार सुविधाओं के लिए सरकारी अस्पताल (एटीएफ)
एनएपीडीडीआर योजना के अंतर्गत निम्नलिखित गतिविधियां शुरू की गई हैं:
- i. वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा 347 आईआरसीए, 46 सीपीएलआई, 74 ओडीआईसी, एनजीओ के माध्यम से 71 डीडीएसी और सरकारी अस्पतालों में 117 एटीएफ को वित्तीय सहायता दी जा रही है। इन सभी सुविधाओं को जरूरतमंद लोगों की आसान पहुंच के लिए जियो-टैग किया गया है।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा नशा मुक्ति के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन '14446' चलाई जा रही है, ताकि इस हेल्पलाइन के माध्यम से मदद मांगने वाले व्यक्तियों को प्राथमिक परामर्श और तत्काल रेफरल सेवाएं प्रदान की जा सकें। हेल्पलाइन नंबर पर अब तक 4 लाख से अधिक कॉल प्राप्त हुई हैं।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 15 अगस्त 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) की शुरुआत 272 चिन्हित सबसे संवेदनशील जिलों में की गई थी और अब इसे देश भर के सभी जिलों में विस्तारित कर दिया गया है। नशा मुक्त भारत अभियान का उद्देश्य आम जनता तक पहुंचना और उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता फैलाना है।
- अब तक, एनएमबीए के तहत जमीनी स्तर पर की गई विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 13.57+ करोड़ लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूक किया गया है, जिसमें 4.42+ करोड़ युवा और 2.71+ करोड़ महिलाएं शामिल हैं। 3.85+ लाख शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि अभियान का संदेश देश के बच्चों और युवाओं तक पहुंचे।
- एनएमबीए को समर्थन देने और जन जागरूकता गतिविधियां संचालित करने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग, ब्रह्माकुमारीज, संत निरंकारी मिशन, इस्कॉन, श्री राम चंद्र मिशन और अखिल विश्व गायत्री परिवार जैसे आध्यात्मिक संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- अभियान के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम के माध्यम से भी जागरूकता फैलाई जा रही है ।
- एनएमबीए वेबसाइट (http://nmba.dosje.gov.in) उपयोगकर्ता/दर्शक को अभियान, एक ऑनलाइन चर्चा मंच, एनएमबीए डैशबोर्ड, ई-प्रतिज्ञा के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है।
- 12 अगस्त, 2024 को एनएमबीए पर एक सामूहिक शपथ ली गई और 2+ लाख संस्थानों के लगभग 3+ करोड़ लोगों ने राष्ट्रव्यापी शपथ में भाग लिया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने बच्चों में नशे की लत के खतरे से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
- i. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा नवचेतना मॉड्यूल , शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल विकसित किए गए हैं, ताकि विद्यार्थियों (6 वीं से 11 वीं कक्षा तक), शिक्षकों और अभिभावकों को नशीली दवाओं पर निर्भरता, इससे निपटने की रणनीतियों और जीवन कौशल के बारे में जागरूक किया जा सके।
- नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) अगस्त 2020 में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों और स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आम जनता तक पहुँचना और मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूकता फैलाना है। अब तक, एनएमबीए के तहत जमीनी स्तर पर की गई विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से 13.57+ करोड़ लोगों को मादक द्रव्यों के सेवन के बारे में जागरूक किया गया है, जिसमें 4.42+ करोड़ युवा शामिल हैं। 3.85+ लाख शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी ने यह सुनिश्चित किया है कि अभियान का संदेश देश के बच्चों और युवाओं तक पहुंचे।
- सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग द्वारा 46 समुदाय आधारित सहकर्मी नेतृत्व हस्तक्षेप (सीपीएलआई) कार्यक्रमों को वित्तीय सहायता दी जा रही है, जो 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के साथ मिलकर नशीले पदार्थों के खिलाफ जागरूकता पैदा करने और जीवन कौशल सिखाने के लिए काम करते हैं।
केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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