आयुष
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मेडिकल हेरिटेज ने आईसीडी-11 टीएम2 के कार्यान्वयन और भारत में आयुर्वेद की डब्ल्यूएचओ अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली को अपनाने के लिए तकनीकी जानकारी जुटाने पर कार्यशाला आयोजित की
Posted On:
15 DEC 2024 6:56PM by PIB Delhi
आयुष मंत्रालय और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मेडिकल हेरिटेज (एनआईआईएमएच), हैदराबाद ने रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण, पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल-2, आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी अंतर्राष्ट्रीय शब्दावली को अद्यतन करने और सोवा रिग्पा शब्दावली के विकास के लिए स्कोपिंग समीक्षा के कार्यान्वयन के लिए आवश्यकताओं को एकत्रित करने के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। एनआईआईएमएच "पारंपरिक चिकित्सा में साहित्यिक और मौलिक अनुसंधान" के लिए डब्ल्यूएचओ का एक सहयोग केंद्र है। यह कार्यक्रम 13 और 14 दिसंबर 2024 को उत्तराखंड के देहरादून में 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में हुआ।
इस कार्यशाला में आयुष मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षाविद, आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और सोवा रिग्पा चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ, प्रतिष्ठित गणमान्य लोगों ने भाग लिया। दो दिवसीय विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप निम्नलिखित परिणाम सामने आए:
- “भारत में रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण, 11वां संशोधन, पारंपरिक चिकित्सा अध्याय 2 (आईसीडी-11 टीएम2) के कार्यान्वयन और क्षमता निर्माण के लिए रोडमैप”।
- आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी चिकित्सा पद्धतियों पर जोर देते हुए पारंपरिक चिकित्सा के लिए “स्वास्थ्य उपायों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई)” के विकास के लिए एक रणनीति तैयार करने के लिए आगे की राह और प्रक्रिया कोड पर जोर देने के साथ-साथ शब्दावली के वर्तमान कार्यान्वयन पर एक स्थिति रिपोर्ट।
- सोवा रिग्पा शब्दावली के विकास के लिए उपलब्ध साहित्य के संभावित आकार और दायरे के प्रारंभिक आकलन के साथ स्कोपिंग रिव्यू पेपर और आगे की कार्रवाई की योजना।
उपरोक्त के अलावा एक प्रमुख सिफारिश यह है कि हर साल 10 जनवरी को “आयुष मेडिकल कोडिंग और रिकॉर्ड्स डे” के रूप में मनाया जाए। इसे अच्छी तरह से स्वीकार किया गया और आयुष मंत्रालय से अनुमति के साथ सीसीआरएएस इसके लिए प्रक्रिया शुरू करेगा
उद्घाटन सत्र में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय अनुसंधान प्रोफेसर प्रो. भूषण पटवर्धन, केरल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. मोहनन कुन्नुमल, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, देहरादून के वाइस चांसलर डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी, एनसीआईएसएम के सिद्ध और सोवा रिग्पा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. जगन्नाथन नायर, आयुष मंत्रालय के सलाहकार डॉ. कौस्तुभ उपाध्याय, डीजीएचएस के उप महानिदेशक डॉ. ए. रघु, डब्ल्यूएचओ एसईएआरओ के तकनीकी अधिकारी प्रो. पवन कुमार गोदाटवार ने भाग लिया। सत्र का संचालन सीसीआरएएस मुख्यालय, नई दिल्ली के आरओ (आयुर्वेद) डॉ. राकेश नारायणन ने किया, स्वागत भाषण सीसीआरएएस के महानिदेशक प्रो. वैद्य रबिनारायण आचार्य ने दिया और धन्यवाद ज्ञापन एनआईआईएमएच, हैदराबाद के सहायक निदेशक (प्रभारी) डॉ. गोली पेंचला प्रसाद ने दिया।
उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. टी. साकेत राम, आर.ओ (आयुर्वेद), एनआईआईएमएच, हैदराबाद द्वारा किया गया तथा भारत के विभिन्न भागों से निम्न वरिष्ठ विशेषज्ञों ने कार्यशाला में सक्रिय रूप से योगदान दिया। भारत से उल्लेखनीय प्रतिभागियों में डॉ. एस. गोपाकुमार, रजिस्ट्रार, केरल स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, डॉ. सुजीत एरानेजथ, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद, डॉ. रथीनमाला और डॉ. एम. कन्नन, केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद, डॉ. उसामा अकरम, केंद्रीय यूनानी चिकित्सा अनुसंधान परिषद, डॉ. कन्नन, वैज्ञानिक, सिद्ध केंद्रीय अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु, डॉ. देबाशीष पांडा, उप-सलाहकार, आयुष मंत्रालय शामिल रहे।
दूसरे दिन की शुरुआत एनसीआईएसएम के अध्यक्ष वैद्य जयंत देवपुजारी, एनसीआईएसएम के प्रेसिडेंट बोर्ड ऑफ स्टडीज डॉ. बीएस प्रसाद, डब्ल्यूएचओ-जीटीएमसी, जामनगर की अनुसंधान एवं विकास इकाई प्रमुख डॉ. गीता कृष्णन, केरल के एसीएआरए के निदेशक डॉ. राम मनोहर के मार्गदर्शन से हुई और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों जैसे एंटोनियो मोरांडी, आयुर्वेद पोंटी, मिलान, इटली से डायरेक्टर डॉ. कारमेन, फंडासिओन डी सेलुड आयुर्वेद प्रेमा, अर्जेंटीना के निदेशक जॉर्ज लुइस बेरा, श्रीलंका सरकार के आयुर्वेद विभाग के अंतर्राष्ट्रीय संबंध सचिव, सलाहकार डॉ. सजीवाने परेरा, नेपाल सरकार के स्वास्थ्य और जनसंख्या मंत्रालय की अनुभाग प्रमुख डॉ. पुष्पा राज पौडेल, आयुष अध्यक्ष, यूटीएआर विश्वविद्यालय, मलेशिया डॉ. बिनोद डोरा से आईसीडी 11टीएम2 के कार्यान्वयन और आयुर्वेद, सिद्ध व यूनानी शब्दावली के विकास के लिए जानकारी एकत्रित की गई। इसके बाद डॉ. ताशी दावा, प्रोफेसर, सीएचटीआईएम, वाराणसी और डॉ. सोनम डोलकर, विभागाध्यक्ष, मेन-त्से-खांग, सोवा-रिग्पा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश की सक्रिय भागीदारी और मार्गदर्शन में “सोवा रिग्पा शब्दावली के विकास की समीक्षा” के लिए एक समर्पित सत्र आयोजित किया गया।
इस कार्यशाला में डॉ. जी. बाबू, निदेशक, केंद्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), कोलकाता, डॉ. गोविंद रेड्डी, एडी आई/सी सीएआरआई, मुंबई और सीसीआरएएस के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों के अधिकारियों तथा विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान जर्नल ऑफ ड्रग रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज के "आयुर्वेद आहार" पर एक विशेष अंक का विमोचन किया गया।
यह पहल पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के मानकीकरण और वैश्विक एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए डब्ल्यूएचओ-सीसी सीसीआरएएस-एनआईआईएमएच और आयुष मंत्रालय की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। इस कार्यक्रम ने साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने में भारत और डब्ल्यूएचओ के बीच सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत किया।
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एमजी/केसी/एसके
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