भारी उद्योग मंत्रालय
इलेक्ट्रिक मोबिलिटि में लिथियम बैटरियों का उपयोग
Posted On:
10 DEC 2024 4:28PM by PIB Delhi
खान मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, उन्होंने नेशनल एल्युमीनियम कंपनी (एनएएलसीओ), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (एमईसीएल) के इक्विटी योगदान के साथ एक संयुक्त उद्यम कंपनी खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (केएबीआईएल) की स्थापना की है। इसका मुख्य उद्देश्य विदेशी खनिज संपदा की पहचान करना और उनका अधिग्रहण करना है जो महत्वपूर्ण और रणनीतिक महत्व रखते हैं, विशेष रूप से लिथियम, कोबाल्ट और इसी तरह के अन्य खनिजों को लक्षित करते हैं। केएबीआईएल ने अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्लॉक के अन्वेषण और खनन के लिए अर्जेंटीना के कैटामार्का प्रांत के एक सरकारी स्वामित्व वाले उद्यम सीएएमवाईईएन के साथ एक अन्वेषण और विकास समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। केएबीआईएल महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिज संपदा को अधिग्रहण करने के प्राथमिक उद्देश्य से ऑस्ट्रेलिया में स्थित महत्वपूर्ण खनिज कार्यालय के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।
केंद्र सरकार ने देश में उन्नत रसायन सेल (एसीसी), बैटरी स्टोरेज के लिए विनिर्माण सुविधाएं स्थापित करने करने हेतु 12 मई, 2021 को राष्ट्रीय उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज कार्यक्रम (पीएलआई एसीसी योजना) के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाकर भारत में आयातित एसीसी पर निर्भरता को कम करना है और भारत में प्रतिस्पर्धी एसीसी बैटरी सेट-अप स्थापित करने में बड़ी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों को प्रोत्साहित करने के विचार को भी ध्यान में रखा गया है।
इस योजना का बजटीय परिव्यय दो वर्ष के शुरूआती चरण के बाद 5 वर्ष की अवधि के लिए 50 गीगावाट घंटा की संचयी क्षमता हेतु 18,100 करोड़ रूपये है। इस योजना में लाभार्थी फर्मों द्वारा प्रति किलोवाट घंटा उद्धृत सब्सिडी और निर्माताओं के लिए वास्तविक बिक्री पर प्राप्त मूल्य संवर्धन के प्रतिशत के आधार पर प्रोत्साहन देने का प्रावधान है। लाभार्थी फर्मों को नियत तिथि यानी माइलस्टोन-1 से 2 वर्षों के भीतर (मदर यूनिट स्तर पर) कम से कम 25 प्रतिशत का मूल्य संवर्धन प्राप्त करना सुनिश्चित करना चाहिए और नियत तिथि यानी माइलस्टोन-2 से 5 वर्षों के भीतर इसे 60 प्रतिशत मूल्य संवर्धन तक बढ़ाना चाहिए। लाभार्थी फर्मों द्वारा माइलस्टोन-I प्राप्त करने के बाद आवंटित निधियों का निष्पादन और प्रोत्साहन वितरण शुरू होगा। योजना का विवरण यहां देखा जा सकता है: https://heavyindustries.gov.in/pli-scheme-national-programme-advanced-chemistry-cell-acc-battery-storage
भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों का तेजी से अपनाना और विनिर्माण (एफएएमई इंडिया) योजना चरण-II (एफएएमई II) 1 अप्रैल, 2019 से 5 वर्षों की अवधि के लिए लागू किया गया था, जिसके लिए कुल 11,500 करोड़ रूपये का बजटीय समर्थन दिया गया था। एफएएमई इंडिया योजना चरण-II के तहत, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) की शुरुआत की गई थी, जिसका उद्देश्य घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों, इसकी असेंबली/सब-असेंबली और पार्ट्स/सब-पार्ट्स का घरेलू विनिर्माण करना था। योजना का विवरण यहां देखा जा सकता है: https://heavyindustries.gov.in/fame-ii
सरकार ने 15 सितंबर, 2021 को भारत में ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट उद्योग के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों सहित उन्नत ऑटोमोटिव प्रौद्योगिकी (एएटी) उत्पादों के लिए भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाना है, जिसका बजटीय परिव्यय 25,938 करोड़ रूपये है। इस योजना में न्यूनतम 50 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) के साथ एएटी उत्पादों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रावधान है। योजना का विवरण यहां देखा जा सकता है: https://heavyindustries.gov.in/pli-scheme-automobile-and-auto-component-industry
भारी उद्योग और इस्पात राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज यह जानकारी लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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