महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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मिशन वात्सल्य के तहत देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों (सी.एन.सी.पी.) के साथ-साथ कानून से टकराव वाले बच्चों (सी.सी.एल.) को सेवाएं प्रदान की जाती हैं


मिशन वात्सल्य में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य और स्थानीय सरकारों के नेटवर्क के माध्यम से एक मजबूत व्यवस्था की परिकल्पना की गई है

Posted On: 13 DEC 2024 7:28PM by PIB Delhi

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय केंद्र और राज्य सरकारों के बीच पूर्व-निर्धारित लागत भागीदारी के आधार पर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के माध्यम से केंद्र द्वारा प्रायोजित एक योजना ‘मिशन वात्सल्य’ को लागू कर रहा है ताकि कठिन परिस्थितियों में बच्चों के लिए विभिन्न सेवाएं प्रदान की जा सकें। इन सेवाओं में संस्थागत देखभाल और गैर-संस्थागत देखभाल सेवाएं दोनों शामिल हैं। यह योजना देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों (सी.एन.सी.पी.) के साथ-साथ कानून से टकराव वाले बच्चों (सी.सी.एल.) को उनके पुनर्वास और समाज की मुख्यधारा में लाने की सेवाएं प्रदान करती है। मिशन वात्सल्य योजना के तहत स्थापित बाल देखभाल संस्थान (सीसीआई) अन्य बातों के साथ-साथ, आयु के अनुरूप शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुँच, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, परामर्श आदि सेवाएं प्रदान करते हैं। गैर-संस्थागत देखभाल के तहत आर्थिक संरक्षण, पालन-पोषण देखभाल और देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को बाद की देखभाल के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है।

मिशन वात्सल्य देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य और स्थानीय सरकारों के नेटवर्क के माध्यम से एक मजबूत व्यवस्था की परिकल्पना करता है। इन स्थानीय निकायों को बच्चों तक पहुँचने, समुदायों के साथ जुड़ने और इन समुदायों को अपने क्षेत्रों में बच्चों की भलाई का स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करना होता है।

मिशन वात्सल्य में पंचायती राज संस्थान/ग्राम पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय की मौजूदा समितियों को बाल कल्याण और संरक्षण के मुद्दों के कार्यों को सौंपने की भी परिकल्पना की गई है। ये सामाजिक न्याय/बच्चों के कल्याण के कार्य करते हैं।

जिन गांवों ने सफलतापूर्वक ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समितियों (वीएलसीपीसी) की स्थापना की है उनका विवरण केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता है। इसके अलावा, मिशन वात्सल्य योजना के तहत बाल विवाह, तस्करी और स्कूल छोड़ने के मामलों को कम करने पर वीएलसीपीसी द्वारा कार्यान्वित बाल संरक्षण पहलों के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए कोई आकलन नहीं किया गया है।

किशोर न्याय (बाल देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 27-30 के तहत बाल कल्याण समितियों को बच्चों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार दिया गया है। इनको सीसीआई के कामकाज की निगरानी करने का भी अधिकार है। जेजे अधिनियम, 2015 (धारा 109) अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए क्रमशः राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग और राज्य स्तर पर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का प्रावधान है।

यह जानकारी महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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