विधि एवं न्याय मंत्रालय
केंद्र सरकार जिला एवं अधीनस्थ न्यायपालिका की अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) लागू कर रही है
न्यायालय परिसरों में अवसंरचना
Posted On:
13 DEC 2024 5:22PM by PIB Delhi
न्यायपालिका के लिए अवसंरचना सुविधाओं के विकास का प्राथमिक दायित्व राज्य सरकारों के पास है। हालांकि, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के संसाधनों को बढ़ाने के लिए, केंद्र सरकार 1993-94 से जिला एवं अधीनस्थ न्यायपालिका की अवसंरचना सुविधाओं के विकास के लिए एक केंद्रीय प्रायोजित योजना (सीएसएस) लागू कर रही है, जिसके अंतर्गत केंद्र और राज्यों के बीच निर्धारित फंड-शेयरिंग पैटर्न में उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस योजना के अंतर्गत पांच घटक शामिल हैं, अर्थात, वकीलों और वादियों की सुविधा के लिए कोर्ट हॉल, आवासीय इकाइयां, वकीलों के लिए हॉल, शौचालय परिसर और डिजिटल कंप्यूटर कक्ष। महिलाओं के लिए अलग शौचालय, अलग रिकॉर्ड रूम, पुस्तकालय एवं चिकित्सा सुविधाओं आदि की राज्यवार उपलब्धता का डेटा केंद्रीय रूप से संकलित नहीं किया जाता है।
केंद्रीय प्रायोजित स्कीम (सीएसएस) के अंतर्गत 1993-94 में इसकी शुरुआत से आज तक न्यायिक अवसंरचना के विकास के लिए 11,758 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इस योजना के अंतर्गत अब तक जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 21,977 कोर्ट हॉल और 19,697 आवासीय इकाइयों का निर्माण किया जा चुका है। इसके अलावा, 3,165 कोर्ट हॉल और 2,618 आवासीय इकाइयों का निर्माण कार्य जारी है। पिछले 5 वर्षों में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जारी की गई धनराशि का विवरण अनुलग्न है।
भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय का न्याय विभाग भी देश के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति के साथ घनिष्ठ समन्वय में संबंधित उच्च न्यायालयों के माध्यम से विकेंद्रीकृत रूप से ई-कोर्ट परियोजना को क्रियान्वित कर रहा है। पिछले 5 वर्षों में (वित्तीय वर्ष 2019-20 से 2024-25 तक) ई-कोर्ट मिशन मोड परियोजना के अंतर्गत 2,457.31 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। सरकार ने सभीके लिए न्याय को सुलभ एवं उपलब्ध बनाने के लिए ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत निम्नलिखित उपाय/ई-पहल की हैं: -
i.वाइड एरिया नेटवर्क (डब्ल्यूएएन) परियोजना के अंतर्गत, पूरे देश के कुल न्यायालय परिसरों में से 99.5% को 10 एमबीपीएस से 100 एमबीपीएस बैंडविड्थ स्पीड के साथ कनेक्टिविटी प्रदान की गई है।
ii. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) आदेशों, निर्णयों एवं मामलों का एक डेटाबेस है, जिसे ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म बनाया गया है। यह देश के सभी कम्प्यूटरीकृत जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही/निर्णयों से संबंधित जानकारी प्रदान करता है। इसके माध्यम से मुकदमे की जानकारी और 27.64 करोड़ से ज़्यादा आदेशों/निर्णयों (आज की तारीख़ में) तक पहुंच प्राप्त किया जा सकता है।
iii. कस्टमाइज्ड फ्री एंड ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर (एफओएसएस) पर आधारित केस इंफॉर्मेशन सॉफ्टवेयर (सीआईएस) विकसित किया गया है। वर्तमान में सीआईएस नेशनल कोर वर्जन 3.2 को जिला न्यायालयों में और सीआईएस नेशनल कोर वर्जन 1.0 को उच्च न्यायालयों में लागू किया गया है।
iv. ई-कोर्ट परियोजना के भाग के रूप में, वकीलों/वादियों को केस की स्थिति, वाद सूची, निर्णय आदि के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए एसएमएस और पुल (प्रतिदिन 4 लाख से ज्यादा एसएमएस भेजे जाते हैं), ईमेल (प्रतिदिन 6 लाख से ज्यादा भेजे जाते हैं), बहुभाषी ई-कोर्ट सेवा पोर्टल (प्रतिदिन 35 लाख हिट), जेएससी (न्यायिक सेवा केंद्र) और सूचना कियोस्क के माध्यम से 7 प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं। इसके अलावा, वकीलों के लिए मोबाइल ऐप (31.10.2024 तक कुल 2.69 करोड़ डाउनलोड) और न्यायाधीशों के लिए जस्टआईएस ऐप (31.10.2024 तक 20,719 डाउनलोड) के साथ इलेक्ट्रॉनिक केस मैनेजमेंट टूल्स (ईसीएमटी) बनाए गए हैं।
v. 21 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ट्रैफिक चालान मामलों का निपटारा करने के लिए वर्चुअल कोर्ट चालू किए गए हैं। इन वर्चुअल कोर्ट द्वारा 6 करोड़ से अधिक मामले (6,00,29,546) निपटाए गए हैं और 31.10.2024 तक 62 लाख (62,97,544) से अधिक मामलों में 649.81 करोड़ रुपये से अधिक का ऑनलाइन जुर्माना वसूला गया है।
vi. ई-फाइलिंग प्रणाली (संस्करण 3.0) को उन्नत सुविधाओं के साथ शुरू किया गया है, जिससे वकील 24x7 किसी भी स्थान से मामलों से संबंधित दस्तावेजों तक पहुंच प्राप्त कर सकेंगे और उन्हें अपलोड कर सकेंगे।
vii. मामलों की ई-फाइलिंग के लिए फीस का इलेक्ट्रॉनिक भुगतान विकल्प होना आवश्यक है, जिसमें न्यायालय शुल्क, जुर्माना और दंड शामिल हैं, जो सीधे समेकित निधि में देय होते हैं। इसलिए फीस आदि को परेशानी मुक्त बनाने के लिए ई-भुगतान प्रणाली शुरू की गई।
viii. डिजिटल विभाजन को पाटने के लिए, जिला न्यायालयों में 1394 ई-सेवा केंद्र (सुविधा केंद्र) और उच्च न्यायालयों में 36 ई-सेवा केंद्र (सुविधा केंद्र) वकीलों और वादियों को नागरिक केंद्रित सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू किए गए हैं। यह वादियों को ऑनलाइन ई-कोर्ट सेवाओं तक पहुंचने में भी सहायता प्रदान करता है और उन लोगों के लिए एक रक्षक के रूप में कार्य करता है जो तकनीकी खर्च नहीं उठा सकते हैं या दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं। यह बड़े पैमाने पर नागरिकों के बीच निरक्षरता के कारण होने वाली चुनौतियों का समाधान करने में भी सहायक है। यह समय की बचत, श्रम की बचत, लंबी दूरी की यात्रा से बचने और पूरे देश में मामलों की ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई करने, स्कैनिंग, ई-कोर्ट सेवाओं तक पहुचने आदि की सुविधा प्रदान करके लागत बचाकर लाभ प्रदान करेगा।
ix. राष्ट्रीय सेवा एवं इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रियाओं की ट्रैकिंग (एनएसटीईपी) को प्रौद्योगिकी आधारित प्रक्रिया सेवा एवं समन जारी करने के लिए शुरू किया गया है। इसे वर्तमान में 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लागू किया गया है।
x. एक नया “जजमेंट सर्च” पोर्टल शुरू किया गया है जिसमें बेंच, केस टाइप, केस नंबर, वर्ष, याचिकाकर्ता/प्रतिवादी का नाम, न्यायाधीश का नाम, अधिनियम, धारा, निर्णय: तिथि से लेकर तिथि तक और पूर्ण पाठ खोज जैसी सुविधाएं हैं। यह सुविधा सभी को निःशुल्क प्रदान की जा रही है।
इसके अलावा, मंत्रिमंडल द्वारा सितंबर 2023 में ई-कोर्ट्स चरण III (2023-2027) को 7,210 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी प्रदान की गई, जो चरण II के लिए वित्तपोषण से चार गुना ज्यादा है। परियोजना में विभिन्न नई डिजिटल पहलों की परिकल्पना की गई है जैसे डिजिटल और कागज रहित न्यायालयों की स्थापना, जिसका उद्देश्य न्यायालय में अदालती कार्यवाही को डिजिटल बनाना, विरासत रिकॉर्ड और लंबित मामलों दोनों के न्यायालय रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण, न्यायालयों, जेलों और अस्पतालों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं का विस्तार, यातायात उल्लंघन मामलों से आगे ऑनलाइन न्यायालयों का दायरा बढ़ाना, सभी न्यायालय परिसरों में ई-सेवा केंद्रों की स्थापना, डिजिटल न्यायालय रिकॉर्ड को आसानी से प्राप्त करने एवं उनका समर्थन करने के लिए अत्याधुनिक और नवीनतम क्लाउड आधारित डेटा भंडार, सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन, लाइव स्ट्रीमिंग एवं इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, लंबित मामलों का विश्लेषण करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओसीआर) का उपयोग, भविष्य के मुकदमों का पूर्वानुमान आदि। ई-कोर्ट चरण III के अंतर्गत, वित्तीय वर्ष 2023-24 में, 825 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई और 768.25 करोड़ रुपये (93.11%) खर्च हुए। वित्त वर्ष 24-25 के दौरान, बजट अनुमान में 1500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है, जिसमें से 1232.19 करोड़ रुपये पहले ही विभिन्न उच्च न्यायालयों को जारी किए जा चुके हैं।
कोविड लॉकडाउन के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) अदालतों का मुख्य आधार बनकर उभरी, क्योंकि सामूहिक रूप से शारीरिक सुनवाई और सामान्य अदालती कार्यवाही संभव नहीं थी। वीसी के संचालन में एकरूपता एवं मानकीकरण लाने के लिए, सर्वोच्च न्यायालय ने 06 अप्रैल 2020 को एक व्यापक आदेश पारित किया, जिसने वीसी के माध्यम से की जाने वाली अदालती सुनवाई को कानूनी मान्यता और वैधता प्रदान की। इसके अलावा, सर्वोच्च न्यायालय के 5 न्यायाधीशों की समिति द्वारा वीसी नियम तैयार किए गए, जिन्हें स्थानीय संदर्भ के बाद अंगीकृत करने के लिए सभी उच्च न्यायालयों को भेजा गया। यह सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। मद्रास उच्च न्यायालय को छोड़कर सभी उच्च न्यायालयों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग नियमों को अपनाया है। मद्रास उच्च न्यायालय के अपने वीसी नियम हैं, जो पहले प्रसारित नियमों के समान हैं।
ई-कोर्ट परियोजना के चरण I में 488 न्यायालय परिसरों और 342 संबंधित जेलों के बीच वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा शुरू की गई। ई-कोर्ट परियोजना के चरण II में तालुक स्तर की अदालतों सहित सभी न्यायालय परिसरों को एक-एक वीडियो कॉन्फ्रेंस उपकरण प्रदान किया गया और 14,443 न्यायालय कक्षों के लिए अतिरिक्त वी.सी. उपकरणों के लिए धनराशि स्वीकृत की गई। 2506 वी.सी. केबिन स्थापित करने के लिए धनराशि उपलब्ध कराई गई है। 3240 न्यायालय परिसरों और संबंधित 1272 जेलों के बीच वी.सी. सुविधाएं पहले से ही मौजूद हैं। इसके अलावा, चरण III के अंतर्गत 228.48 करोड़ रुपये की लागत से 500 जेलों, 700 जिला सरकारी अस्पतालों और 9000 न्यायालयों सहित 10200 प्रतिष्ठानों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की उपलब्ध अवसंरचनाओं को बढ़ाने और उन्नत करने का प्रावधान है।
अनुलग्नक
|
(करोड़ रुपए में)
|
क्रम सं.
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम
|
2019-20 में जारी
|
2020-21 में जारी
|
2021-22 में जारी
|
2022-23 में जारी
|
2023-24 में जारी
|
2024-25 में जारी
|
1
|
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
|
0.17
|
0.35
|
0.46
|
0.00
|
0.49
|
0.00
|
2
|
अरुणाचल प्रदेश
|
2.69
|
5.00
|
4.09
|
32.38
|
0.00
|
6.24
|
3
|
आंध्र प्रदेश
|
20.00
|
10.28
|
0.00
|
22.50
|
49.82
|
0.00
|
4
|
असम
|
36.54
|
25.00
|
27.40
|
25.00
|
40.00
|
19.10
|
5
|
बिहार
|
87.62
|
65.72
|
0.00
|
0.00
|
67.45
|
77.97
|
6
|
चंडीगढ़
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
7
|
छत्तीसगढ
|
19.83
|
7.84
|
0.00
|
60.00
|
6.69
|
34.35
|
8
|
दादरा और नगर हवेली
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
9
|
दमन और दीव
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
10
|
दिल्ली
|
48.52
|
45.00
|
30.00
|
0.00
|
0.00
|
16.50
|
11
|
गोवा
|
4.06
|
3.80
|
3.20
|
25.00
|
1.53
|
3.52
|
12
|
गुजरात
|
16.49
|
13.50
|
0.00
|
6.22
|
95.62
|
25.67
|
१३
|
हरियाणा
|
14.06
|
22.00
|
0.00
|
0.00
|
20.10
|
0.00
|
14
|
हिमाचल प्रदेश
|
5.72
|
5.50
|
0.00
|
0.00
|
6.00
|
13.62
|
15
|
जम्मू और कश्मीर
|
15.00
|
6.65
|
20.00
|
12.60
|
12.00
|
31.50
|
16
|
झारखंड
|
13.74
|
9.05
|
6.00
|
16.51
|
40.81
|
0.00
|
17
|
कर्नाटक
|
44.04
|
29.72
|
27.00
|
82.01
|
133.16
|
18.43
|
18
|
केरल
|
15.82
|
13.00
|
50.00
|
0.00
|
7.00
|
15.89
|
19
|
लद्दाख
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
1.40
|
5.50
|
20
|
लक्षद्वीप
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
0.00
|
21
|
मध्य प्रदेश
|
66.90
|
45.60
|
55.00
|
125.00
|
104.00
|
36.40
|
22
|
महाराष्ट्र
|
61.09
|
23.11
|
18.00
|
100.00
|
119.53
|
95.16
|
23
|
मणिपुर
|
9.66
|
5.00
|
0.00
|
12.85
|
0.00
|
3.71
|
24
|
मेघालय
|
22.85
|
7.71
|
28.02
|
50.00
|
33.72
|
33.79
|
25
|
मिजोरम
|
5.24
|
5.00
|
9.50
|
0.00
|
8.86
|
3.77
|
26
|
नगालैंड
|
3.42
|
5.00
|
13.27
|
0.00
|
4.39
|
2.00
|
27
|
ओडिशा
|
35.69
|
0.00
|
0.00
|
31.49
|
30.88
|
34.48
|
28
|
पुदुचेरी
|
3.31
|
0.00
|
0.00
|
9.55
|
0.00
|
0.00
|
29
|
पंजाब
|
39.78
|
16.48
|
16.50
|
12.50
|
18.42
|
0.00
|
30
|
राजस्थान
|
64.21
|
29.90
|
41.50
|
71.66
|
80.41
|
32.30
|
३१
|
सिक्किम
|
2.78
|
2.95
|
0.00
|
2.27
|
2.70
|
0.00
|
32
|
तमिलनाडु
|
38.71
|
18.17
|
35.66
|
133.85
|
0.00
|
61.27
|
33
|
तेलंगाना
|
5.65
|
16.00
|
0.00
|
26.61
|
0.00
|
0.00
|
34
|
त्रिपुरा
|
18.82
|
7.74
|
0.00
|
0.00
|
40.49
|
20.00
|
35
|
उतार प्रदेश
|
169.66
|
111.00
|
219.00
|
0.00
|
102.96
|
174.12
|
36
|
उत्तराखंड
|
28.50
|
5.86
|
80.00
|
0.00
|
13.75
|
46.14
|
37
|
पश्चिम बंगाल
|
61.43
|
31.07
|
0.00
|
0.00
|
18.00
|
22.22
|
कुल
|
982 .00
|
593 .00
|
684.6 0
|
858 .00
|
1060.18
|
833.65
|
यह जानकारी केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य मंत्रालय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
***
एमजी/केसी/एके
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