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अंतर्राष्ट्रीय विवाचन और मध्यस्थता

Posted On: 13 DEC 2024 5:21PM by PIB Delhi

भारत सरकार ने पिछले दशक में वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) तंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में अनेक पहलें की हैं और इन तंत्रों को मजबूती प्रदान करने और उन्हें ज्यादा प्रभावी और त्वरित बनाने के लिए आगे भी नीति निर्माण और विधायी हस्तक्षेप करने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में पिछले वर्षों में की गई प्रमुख पहलों, कदमों और उपायों में निम्नलिखीत शामिल हैं;

  1. मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 को वर्ष 2015, 2019 और 2020 में प्रगतिशील रूप से संशोधित किया गया है। इन संशोधनों का उद्देश्य मध्यस्थता कार्य को समय पर पूरा करना, मध्यस्थों की तटस्थता, मध्यस्थ प्रक्रिया में न्यायिक हस्तक्षेप में कमी लाना और मध्यस्थ पुरस्कारों का प्रभावी प्रवर्तन सुनिश्चित करना है। संशोधनों का उद्देश्य संस्थागत मध्यस्थता को बढ़ावा देना, सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं को दर्शाने और अस्पष्टताओं का समाधान करने के लिए कानून को अपडेट करना है जिससे एक मध्यस्थता पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा सके जहां मध्यस्थ संस्थान बढ़ सकें और विकसित हो सकें।
  2. भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम, 2019, संस्थागत मध्यस्थता सुविधा प्रदान करने के लिए एक स्वतंत्र, स्वायत्त एवं विश्व स्तरीय निकाय बनाने और इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने के उद्देश्य से भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना के लिए अधिनियमित किया गया। जिसके बाद इस केंद्र की स्थापना की गई और इसका उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से वाणिज्यिक विवादों का समाधान करने के लिए एक तटस्थ विवाद समाधान मंच प्रदान करना और घरेलू  एवंअंतर्राष्ट्रीय दोनों पक्षों के बीच विश्वास को बढ़ावा देना है। केंद्र ने कुशल एवं समयबद्ध मध्यस्थता प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रीत करने के साथ घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का संचालन करने के लिए भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (मध्यस्थता का संचालन) विनियम, 2023 को भी अधिसूचित किया है। भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र अधिनियम, 2019 की धारा 28 के अंतर्गत स्थापित चैंबर ऑफ आर्बिट्रेशन घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता दोनों के लिए प्रतिष्ठित मध्यस्थों को सूचीबद्ध करता है। इसकी परिकल्पना देश में एक आदर्श मध्यस्थ संस्थान बनाने के लिए की गई है, जिससे मध्यस्थता के लिए संस्थागत संरचना की गुणवत्ता बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा। केंद्र के तत्वावधान में वर्तमान में 13 मध्यस्थता मामले चल रहे हैं।
  3. वाणिज्यिक न्यायालय अधिनियम, 2015 को वर्ष 2018 में संशोधित किया गया जिससे अन्य बातों के साथ-साथ पूर्व-संस्थान मध्यस्थता एवं निपटान (पीआईएमएस) तंत्र प्रदान किया जा सके। इस तंत्र के अंतर्गत, जहां निर्दिष्ट मूल्य के वाणिज्यिक विवाद में किसी भी तत्काल अंतरिम राहत पर विचार नहीं किया जाता है, पार्टियों को न्यायालय से संपर्क करने से पहले पीआईएमएस के अनिवार्य उपाय का उपयोग करना होगा। इसका उद्देश्य मध्यस्थता के माध्यम से वाणिज्यिक विवादों का समाधान करने के लिए पार्टियों को अवसर प्रदान करना है।
  4. मध्यस्थता अधिनियम, 2023, विवाद के पक्षकारों द्वारा अपनाई जाने वाली मध्यस्थता के लिये वैधानिक संरचना निर्धारित करता है, विशेष रूप से संस्थागत मध्यस्थता, जिसमें देश में एक मज़बूत एवं प्रभावी मध्यस्थता पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिये विभिन्न हितधारकों की भी पहचान की गई है।  
  5. भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र द्वारा पेशेवरों के साथ-साथ सार्वजनिक एवं निजी निकायों सहित स्टेकहोल्डरों के लिए सम्मेलनों, संगोष्ठियों और प्रशिक्षणों का आयोजन करके भारत अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केन्द्र द्वारा वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के क्षेत्र, जिसमें विवाचन और मध्यस्थता शामिल है, में पेशेवरों के लिए प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण को सुविधाजनक बनाया जा रहा है।

मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम 1996 और मध्यस्थता अधिनियम 2023 क्रमशः अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता के संचालन हेतु प्रावधान करते हैं।

विवाचन और मध्यस्थता सहित वैकल्पिक विवाद समाधान के क्षेत्र में संबंधित सुधारों के साथ-साथ विधायी और नीतिगत हस्तक्षेप हितधारकों की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा की जा रही एक सतत प्रक्रिया है। इसके अलावा, समय-समय पर किए गए हस्तक्षेपों ने एडीआर परिदृश्य में सुधार लाने, मजबूत बनाने, व्यापार करने में आसानी का समर्थन करने और देश को निवेश एवं आर्थिक विकास के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में सक्षम बनाने में योगदान दिया है।

यह जानकारी केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और संसदीय कार्य मंत्रालय राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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