सहकारिता मंत्रालय
ओडिशा में बीबीएसएसएलः
Posted On:
10 DEC 2024 4:50PM by PIB Delhi
सहकारिता मंत्रालय ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) की स्थापना की है। बीबीएसएसएल को भारतीय कृषक उर्वरक सहकारी लिमिटेड (इफको), कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको), भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नेफेड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा प्रोत्साहन दिया जाता है। बीबीएसएसएल की आरंभिक चुकता पूंजी 250 करोड़ रुपये है, जिसमें पांचों प्रवर्तकों द्वारा 50-50 करोड़ रुपये का योगदान और अधिकृत शेयर पूंजी 500 करोड़ रुपये है। बीबीएसएसएल की स्थापना फसल उपज में सुधार लाने और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक प्रणाली विकसित करते हुए सहकारी नेटवर्क के द्वारा एक ब्रांड के तहत गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन, खरीद और वितरण करने के लिए की गई है। बीबीएसएसएल सहकारी समितियों के माध्यम से भारत में गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद करेगी, जिससे आयातित बीजों पर निर्भरता कम होगी
यह समिति भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न योजनाओं और नीतियों का लाभ उठाकर पीएसीएस के द्वारा दो पीढ़ियों के सभी बीजों के उत्पादन, परीक्षण, प्रमाणन, खरीद, प्रसंस्करण, भंडारण, ब्रांडिंग, लेबलिंग और पैकेजिंग पर ध्यान केंद्रित करेगी। इससे सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से "सहकार-से-समृद्धि" के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी, जहां सदस्यों को गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन से बेहतर कीमतों की प्राप्ति होगी, वहीं उच्च उपज वाली किस्म (एचवाईवी) के बीजों के उपयोग से फसलों का अधिक उत्पादन और समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश, दोहरा लाभ होगा।
बीबीएसएसएल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, अब तक 14,816 सहकारी समितियों को सदस्यता प्रदान की गई है, जिनमें से 190 ओडिशा से हैं।
बीबीएसएसएल निम्नलिखित गतिविधियों के माध्यम से ओडिशा राज्य सहित देश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और बीज उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में योगदान देने का प्रयास करता है:
- सहकारी क्षेत्र की सहकारी समितियों एवं एफपीओ के नेटवर्क के माध्यम से बीज उत्पादन के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर उन्नत बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित कर कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
- उन्नत किस्मों के विकास और प्रसार के साथ-साथ पारंपरिक बीजों के संरक्षण पर अनुसंधान और संवर्धन के लिए एक प्रणाली का विकास।
- छोटे और सीमांत किसानों को गुणवत्ता वाले बीजों की खेती के लिए प्रोत्साहित करना और उससे संबंधित लाभ प्रदान करना।
बीबीएसएसएल के लाभ के उपयोग की योजना इसके उपनियमों के खंड 54 और 55 में दी गई है, जिसमें इसके सदस्यों को 20% तक लाभांश वितरित करने का प्रावधान है। इसके अलावा, बीबीएसएसएल मूल्य निर्धारण का प्रावधान करता है, जिसमें नीचे दी गई योजना के अनुसार शुद्ध अधिशेष का 50% तक वितरित करके सदस्यों को उत्पादों की अंतिम कीमत प्रदान करने की परिकल्पना की गई है:-
-
- उत्पाद का प्रारंभिक अनंतिम मूल्य उत्पाद के प्रचलित बाजार मूल्य के आधार पर सदस्यों को अस्थायी रूप से दिया जा सकता है;
- शुद्ध अधिशेष की गणना ऐसे उत्पाद(उत्पादों) की बिक्री पर समिति द्वारा किए गए सभी व्ययों की कटौती के बाद विक्रय मूल्य और प्रारंभिक अनंतिम मूल्य के बीच के अंतर के रूप में की जाएगी;
- जैसा कि बोर्ड द्वारा तय किया जा सकता है, सोसायटी अपने सदस्यों को उनके उत्पाद के लिए शुद्ध अधिशेष का 50% तक देने का प्रयास करेगी और सदस्य ऐसे लाभों को स्रोत किसानों को दे सकते हैं;
- सदस्यों को देय उत्पादों का अंतिम मूल्य बोर्ड द्वारा प्रारंभिक अनंतिम मूल्य तथा पूर्ववर्ती उप-खण्ड (iii) के अंतर्गत भुगतान किए जाने वाले प्रस्तावित शुद्ध अधिशेष के भाग के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
- आयकर के भुगतान के बाद शेष अधिशेष राशि को खंड 55 के प्रावधानों के अनुसार निपटान हेतु सोसायटी के पास रखा जाएगा।
यह बात सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
***
एमजी/केसी/पीएस
(Release ID: 2083019)
Visitor Counter : 80