कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
कृषि पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) अपनी एनआईसीआरए परियोजना के माध्यम से किसानों के बीच कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में जागरूकता उत्पन्न कर रहा है
जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर किसानों को शिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ताकि जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तकनीकों को व्यापक रूप से अपनाया जा सके
Posted On:
06 DEC 2024 6:04PM by PIB Delhi
जलवायु परिवर्तन कृषकों के लिए एक बड़ी चुनौती है। सरकार ने 2008 में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) की स्थापना की। यह देश में जलवायु परिवर्तन पर उपायों के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचा प्रदान करती है। एनएपीसीसी देश को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने और पारिस्थितिक स्थिरता को बढ़ाने में सक्षम बनाने के लिए एक राष्ट्रीय नीति की रूपरेखा तैयार करती है। एनएपीसीसी के अंतर्गत राष्ट्रीय मिशनों में से एक राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) है। यह बदलती जलवायु के लिए कृषि को अधिक अनुकूल बनाने के लिए नीतियों को विकसित और कार्यान्वित करता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एनआईसीआरए नामक एक प्रमुख परियोजना शुरू की है। यह परियोजना फसलों, पशुधन, बागवानी और मत्स्य पालन सहित कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का अध्ययन करती है और देश के संवेदनशील क्षेत्रों के लिए कृषि में जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों को विकसित करती है और बढ़ावा देती है। परियोजना के परिणाम सूखे, बाढ़, पाला, लू आदि जैसी मौसम की कठोर स्थितियों से ग्रस्त जिलों और क्षेत्रों को ऐसी कठोर स्थितियों से निपटने में मदद करते हैं। पिछले 10 वर्षों (2014-2024) के दौरान, आईसीएआर ने कुल 2593 किस्में जारी की हैं। इनमें से 2177 किस्में एक या एक से अधिक जैविक और/या अजैविक प्रभावों के प्रति अनुकूल पाई गई हैं। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) प्रोटोकॉल के अनुसार 651 कृषि प्रधान जिलों के लिए जिला स्तर पर जलवायु परिवर्तन के प्रति कृषि के जोखिम और संवेदनशीलता का आकलन किया गया है। संवेदनशील क्षेत्र के रूप में पहचाने गए 310 जिलों में से 109 जिलों को 'बहुत अधिक' और 201 जिलों को 'अत्यधिक' संवेदनशील क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन 651 जिलों के लिए जिला कृषि आकस्मिकता योजनाएं (डीएसीपी) भी तैयार की गई हैं ताकि मौसम संबंधी असामान्यताओं से निपटा जा सके और राज्य कृषि विभागों द्वारा उपयोग के लिए स्थान-विशिष्ट जलवायु के अनुकूल फसलों और किस्मों तथा प्रबंधन व्यवस्थाओं की अनुशंसा की जा सके। जलवायु परिवर्तन के प्रति किसानों की और अनुकूलन क्षमता को बढ़ाने के लिए एनआईसीआरए के अंतर्गत "जलवायु के अनुकूल गांवों" (सीआरवी) की अवधारणा शुरू की गई है। 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 151 जलवायु संवेदनशील जिलों के 448 सीआरवी में किसानों द्वारा अपनाए जाने के लिए स्थान-विशिष्ट जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया गया है। आईसीएआर अपने एनआईसीआरए परियोजना के माध्यम से किसानों के बीच कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में जागरूकता उत्पन्न करता है। जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने के लिए जलवायु परिवर्तन के विभिन्न पहलुओं पर किसानों को शिक्षित करने के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
कृषि में जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौती को ध्यान में रखते हुए देश भर में कृषि क्षेत्र में प्रतिकूल जलवायु स्थितियों से निपटने के लिए सरकार द्वारा एनएमएसए के अंतर्गत कई योजनाएं शुरू की गई हैं। सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों यानी बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से खेतों में जल उपयोग की दक्षता को बढ़ाने के लिए 2015-16 के दौरान प्रति बूंद अधिक फसल (पीडीएमसी) योजना शुरू की गई थी। देश में 2014-15 से राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत एक घटक के रूप में वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी) योजना लागू की जा रही है। आरएडी उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु परिवर्तनशीलता से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस) पर ध्यान केंद्रित करता है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), कृषि वानिकी और राष्ट्रीय बांस मिशन का उद्देश्य कृषि में जलवायु अनुकूलन बढ़ाना है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के साथ-साथ मौसम सूचकांक आधारित पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं, प्रतिकूल मौसम की घटनाओं से होने वाली फसल हानि/क्षति से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करके फसल के चौपट होने पर एक व्यापक बीमा कवर प्रदान करती है और किसानों की आय को स्थिर करने और उनकी खेती जारी रखने में सहायता करती है।
कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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एमजी/केसी/पीपी/आर
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