रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
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सरकार ने आयात निर्भरता को कम करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए बल्क ड्रग्स और मेडिकल डिवाइस सहित फार्मास्युटिकल क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए हैं


फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई योजना के लिए वित्तीय परिव्यय वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2027-28 की योजना उत्पादन अवधि के लिए 15,000 करोड़ रुपये है

बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत कुल 48 परियोजनाओं का चयन किया गया है, जिनमें से 25 बल्क ड्रग्स के लिए 34 परियोजनाओं को शुरू किया गया है

Posted On: 06 DEC 2024 4:09PM by PIB Delhi

भारत सरकार ने आयात निर्भरता को कम करने, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए बल्क ड्रग्स और मेडिकल डिवाइस सहित फार्मास्युटिकल क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए हैं।

योजनाबद्ध हस्तक्षेप इस प्रकार हैं:

भारत में महत्वपूर्ण प्रमुख प्रारंभिक सामग्री (केएसएम, औषधि मध्यवर्ती (डीआई) और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना (जिसे बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना के रूप में भी जाना जाता है) का वित्तीय परिव्यय 6,940 करोड़ रुपये है।  इसकी उत्पादन अवधि वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2028-29 तक है। यह योजना अधिसूचित उत्पादों के विनिर्माण के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है।

फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई योजना का वित्तीय परिव्यय 15,000 करोड़ रुपये का है।  इसकी उत्पादन अवधि वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2027-28 तक है।

तीन श्रेणियों के अंतर्गत पहचाने गए उत्पादों के विनिर्माण के लिए 55 चयनित आवेदकों को छह साल की अवधि के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस योजना के अंतर्गत उच्च मूल्य के फार्मास्युटिकल उत्पाद जैसे पेटेंटेड, ऑफ-पेटेंट दवाएं, बायोफार्मास्युटिकल्स, कॉम्प्लेक्स जेनरिक, कैंसर रोधी दवाएं, ऑटो-इम्यून दवाएं, ऑर्फ़न दवाएं आदि का निर्माण किया जाता है।

चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 3,420 करोड़ रुपये है। इसका उत्पादन अवधि वित्त वर्ष 2022-2023 से वित्त वर्ष 2026-27 तक है। चयनित कंपनियों को भारत में निर्मित और योजना के चार लक्षित खंडों के अंतर्गत आने वाले चिकित्सा उपकरणों की क्रमिक

बिक्री पर 5 प्रतिशत की दर से पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। इस योजना के अंतर्गत उच्च मूल्य के चिकित्सा उपकरण जैसे लीनियर एक्सेलेरेटर, एमआरआई मशीन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म्स, अल्ट्रासाउंड मशीन का निर्माण किया जाता है। इन्हे पहले देश में आयात किया जाता था।

यह योजना नए संयंत्र और मशीनरी, अनुसंधान और विकास, उत्पाद पंजीकरण, नए भवन में निवेश की अनुमति देती है। अक्टूबर 2024 तक इस योजना के अंतर्गत कुल 33,534 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है और यह 17,275 करोड़ रुपये के मूल अनुमानित निवेश को पार कर गया है। इस योजना के अंतर्गत 45 कंपनियों को 3,215 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि जारी की गई है।

फार्मास्यूटिकल्स के लिए पीएलआई योजना का वित्तीय परिव्यय वित्त वर्ष 2022-23 से वित्त वर्ष 2027-28 की योजना उत्पादन अवधि के लिए 15,000 करोड़ रुपये है। फार्मास्यूटिकल्स विभाग द्वारा कार्यान्वित पीएलआई योजनाओं के अंतर्गत समर्थित उत्पादों की श्रेणियों, लक्षित समूहों और चयन मानदंडों का विवरण विभाग की वेबसाइट https://pharmaceuticals.gov.in/ पर संबंधित पीएलआई योजना के अंतर्गत योजनाओं पर उपलब्ध है।

बल्क ड्रग्स के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत कुल 48 परियोजनाओं का चयन किया गया है। इसमें से 25 बल्क दवाओं के लिए 34 परियोजनाएं चालू कर दी गई हैं। 3,938 करोड़ रुपये के वचनबद्ध निवेश के मुकाबले, इस योजना के अंतर्गत 4,155.77 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं। इस योजना के अंतर्गत आवेदकों द्वारा की गई संचयी बिक्री 1,330.82 करोड़ रुपये (जिसमें 389.82 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है) है और 4,241 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजित हुआ है।

चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत कुल 32 आवेदकों का चयन किया गया है।  इनमे  से 44 उत्पादों के लिए 19 ग्रीनफील्ड परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें लीनियर एक्सेलेरेटर, एमआरआई मशीन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म्स, अल्ट्रासाउंड मशीन आदि जैसे उच्च अंत चिकित्सा उपकरण शामिल हैं। 1356.94 करोड़ रुपये के वचनबद्ध निवेश के मुकाबले 1057.47 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ है। इस योजना के अंतर्गत आवेदकों द्वारा की गई संचयी बिक्री 8,039.63 करोड़ रुपये (जिसमें 3,844.01 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है) है।

यह जानकारी आज केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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