स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
Posted On:
06 DEC 2024 4:03PM by PIB Delhi
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत, भारत सरकार सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी सहित सभी गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए मातृ एवं बाल स्वास्थ्य में सुधार के लिए कार्यक्रम लागू करती है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए चल रहे कार्यक्रम इस प्रकार हैं:
- जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए मांग संवर्धन और सशर्त नकद हस्तांतरण योजना है ।
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके ) सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराने वाली सभी गर्भवती महिलाओं और बीमार शिशुओं ( एक वर्ष की आयु तक) को निःशुल्क और बिना किसी खर्च के सिजेरियन सेक्शन सहित प्रसव कराने का अधिकार देता है। इन अधिकारों में निःशुल्क दवाएँ, उपभोग्य वस्तुएँ, ठहरने के दौरान निःशुल्क आहार, निःशुल्क निदान, निःशुल्क परिवहन और आवश्यकता पड़ने पर निःशुल्क रक्त आधान शामिल हैं। एक वर्ष की आयु तक के बीमार शिशुओं के लिए भी इसी तरह के अधिकार लागू हैं।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए ) गर्भवती महिलाओं को एक विशेषज्ञ/चिकित्सा अधिकारी द्वारा एक निश्चित दिन, हर महीने की 9 तारीख को निशुल्क, सुनिश्चित और गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व जांच की सुविधा प्रदान करता है।
विस्तारित पीएमएसएमए रणनीति गर्भवती महिलाओं, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाली गर्भवती (एचआरपी) महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) सुनिश्चित करती है, तथा सुरक्षित प्रसव होने तक व्यक्तिगत एचआरपी ट्रैकिंग सुनिश्चित करती है। इसके लिए चिन्हित उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाता है तथा पीएमएसएमए विजिट के अतिरिक्त 3 अतिरिक्त विजिट के लिए उनके साथ मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को भेजा जाता है।
- ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सहयोग से पोषण सहित मातृ एवं बाल देखभाल के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाए जाते हैं।
- प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) पोर्टल गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए नाम-आधारित वेब-सक्षम ट्रैकिंग प्रणाली है, जो उन्हें प्रसवपूर्व देखभाल, संस्थागत प्रसव और प्रसवोत्तर देखभाल सहित नियमित और पूर्ण सेवाओं का निर्बाध लाभ सुनिश्चित करती है।
- मातृ एवं शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड और सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका का वितरण: गर्भवती महिलाओं को आहार, आराम, गर्भावस्था के खतरे के संकेत, लाभ योजनाओं और संस्थागत प्रसव के बारे में शिक्षित करने के लिए मातृ एवं शिशु सुरक्षा (एमसीपी) कार्ड और सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका वितरित की जाती है।
- सुविधा आधारित नवजात शिशु देखभाल : बीमार और छोटे शिशुओं की देखभाल के लिए मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में नवजात गहन देखभाल इकाइयां (एनआईसीयू) / विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाइयां (एसएनसीयू) स्थापित की जाती हैं, प्रथम रेफरल इकाइयों (एफआरयू)/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) में नवजात स्थिरीकरण इकाइयां (एनबीएसयू) स्थापित की जाती हैं।
- कंगारू मदर केयर (केएमसी) को कम वजन वाले/समय से पहले जन्मे बच्चों के लिए सुविधा और सामुदायिक स्तर पर लागू किया जाता है। इसमें माँ या परिवार के सदस्य के साथ जल्दी और लंबे समय तक त्वचा से त्वचा का विशेष स्पर्श और लगातार स्तनपान शामिल है।
- नवजात और छोटे बच्चों की समुदाय-आधारित देखभाल: गृह आधारित नवजात देखभाल (एचबीएनसी) और गृह आधारित छोटे बच्चों की देखभाल (एचबीवाईसी) कार्यक्रमों के अंतर्गत, आशा कार्यकर्ताओं द्वारा बच्चों के पालन-पोषण के तरीकों में सुधार लाने और समुदाय में बीमार नवजात और छोटे बच्चों की पहचान कर उन्हें स्वास्थ्य सुविधा केंद्र में रेफर करने के लिए घर का दौरा किया जाता है।
- सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) का कार्यान्वयन बच्चों को 12 रोकथाम योग्य बीमारियों से बचाने के लिए 11 टीके उपलब्ध कराने के लिए किया गया है।
- माताओं का पूर्ण स्नेह (एमएए): माताओं के पूर्ण स्नेह (एमएए) कार्यक्रम के अंतर्गत शुरुआती और पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान तथा उचित शिशु और छोटे बच्चे को आहार देने (आईवाईसीएफ) की प्रथाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
- सफलतापूर्वक निमोनिया को बेअसर करने के लिए सांस पहल निमोनिया के कारण होने वाली बाल रुग्णता और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए 2019 से सामाजिक जागरूकता और निमोनिया को सफलतापूर्वक बेअसर करने के लिए (सांस) पहल लागू की गई है।
- स्टॉप डायरिया: पहल का क्रियान्वयन ओआरएस और जिंक के उपयोग को बढ़ावा देने तथा बाल दस्त के कारण होने वाली रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने के लिए किया गया है।
- राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके ): 0 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों की 32 स्वास्थ्य दिक्कतों (जैसे रोग, पोषण कमियाँ, दोष और विकासात्मक देरी) के लिए जाँच की जाती है ताकि बाल जीवन दर में सुधार हो सके। आरबीएसके के तहत जाँच किए गए बच्चों की पुष्टि और प्रबंधन के लिए जिला स्वास्थ्य सुविधा स्तर पर जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) स्थापित किए जाते हैं।
- पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में स्थापित किए जाते हैं, जहां गंभीर कुपोषण (एसएएम) और चिकित्सा जटिलताओं वाले बच्चों को उपचार के लिए भर्ती किया जाता है।
- नियमित आईईसी/बीसीसी भी अधिक मांग सृजन के लिए सभी योजनाओं का एक हिस्सा है। जन और सोशल मीडिया के द्वारा स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जाता है ताकि स्वस्थ प्रथाओं में सुधार हो और सेवा की मांग बढ़े।
इसके अलावा, एनएचएम के अंतर्गत जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों के संदर्भ में आवश्यकता-आधारित हस्तक्षेप को संबोधित करने के लिए निम्नलिखित शिथिल मानदंड हैं:
- स्वास्थ्य सुविधा: जनजातीय और पहाड़ी क्षेत्रों में एसएचसी, पीएचसी और सीएचसी स्थापित करने के लिए जनसंख्या मानदंडों को क्रमशः 5,000, 30,000 और 1,20,000 से घटाकर 3000, 20,000 और 80,000 कर दिया गया है।
- आशा: राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को प्रति 1000 जनसंख्या पर एक आशा के मानदंड को शिथिल करके जनजातीय/पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में प्रति निवास स्थान पर एक आशा करने की सुविधा प्रदान की गई है।
- मोबाइल मेडिकल यूनिट (एमएमयू): मैदानी इलाकों में प्रति जिले दो एमएमयू के प्रावधान को शिथिल करके आदिवासी/पहाड़ी/दुर्गम/दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में प्रति जिले 4 एमएमयू कर दिया गया है। प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) के तहत विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों (पीवीटीजी) क्षेत्रों में प्रति जिले 10 एमएमयू तक की छूट दी गई है। पीएम जनमन के तहत बुनियादी दवाओं और डायग्नोस्टिक सुविधाओं के साथ बहुउद्देश्यीय केंद्र (एमपीसी) में अतिरिक्त एएनएम का प्रावधान है।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण/ अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति जनसंख्या के मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम/06 दिसंबर 2024/3
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