इस्पात मंत्रालय
इस्पात उद्योग में जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग
Posted On:
06 DEC 2024 5:59PM by PIB Delhi
सरकार ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने (डीकार्बोनाइजेशन) और यूरोपीय संघ द्वारा कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) की शुरुआत सहित उभरती चुनौतियों के मद्देनजर विभिन्न उपाय किए हैं जो राष्ट्रीय इस्पात नीति की औपचारिक समीक्षा पर निर्भर नहीं है।
हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद, सरकार ने इस्पात क्षेत्र के ग्रीन ट्रांजिशन के लिए रूपरेखा और कार्य योजना तैयार की है। ऊर्जा दक्षता और प्रक्रिया दक्षता के लिए अन्य नीतिगत पहलों में इस्पात क्षेत्र में हरित हाइड्रोजन उत्पादन और उपयोग के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, इस्पात स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति 2019 की अधिसूचना और इस्पात विनिर्माण के लिए घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए मोटर वाहन (वाहन स्क्रैपिंग सुविधा का पंजीकरण और कार्य) नियम 2021 शामिल हैं, जिससे इस्पात विनिर्माण की प्रक्रिया में कार्बन उत्सर्जन कम हो सके। साथ ही राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा दक्षता मिशन के तहत निष्पादन, उपलब्धि और व्यापार (पीएटी) योजना का कार्यान्वयन इस्पात उद्योग को ऊर्जा की खपत कम करने के लिए प्रोत्साहित करता है, आदि।
भारत में वर्ष 2023-24 में इस्पात उत्पादन की औसत उत्सर्जन तीव्रता प्रति टन कच्चे इस्पात पर 2.54 टन सीओ2 है।
यह जानकारी केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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