सहकारिता मंत्रालय
राष्ट्रीय सहकारी नीति
Posted On:
04 DEC 2024 3:54PM by PIB Delhi
सहकारिता मंत्रालय जुलाई 2021 में अपने गठन के बाद से ही सहकारी संघवाद की भावना के साथ और संघ सूची में परिभाषित अपने संवैधानिक अधिकार क्षेत्र में ही काम कर रहा है, इसने राज्य सहकारी समितियों की स्वायत्तता और उनके लोकतांत्रिक कामकाज पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं किया है, इसलिए अति-केंद्रीकरण जैसे विषय का कोई औचित्य ही नहीं है।
भारत में ग्रामीण सहकारी समितियों को मजबूत करने के लिए मंत्रालय द्वारा अनेक उपाय किए गए हैं। इन किए गए उपायों/पहलों की सूची अनुलग्नक-I में संलग्न है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 8 फरवरी, 2024 के पत्र के माध्यम से राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनयूसीएफडीसी), एक संयुक्त संगठन – अम्ब्रेला ऑर्गनाइजेशन (यूओ) को टाइप II गैर-जमा स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के रूप में गतिविधियां करने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया है। शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए परिचालन और वित्तीय लचीलापन बढ़ाने के लिए यूओ की स्थापना की गई है।
यूओ का उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए एक संरचित ढांचा प्रदान करना है, जबकि उनका स्व-शासन भी सुरक्षित है। इस उद्देश्य से, इसने एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच के विकास का कार्य शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य शहरी सहकारी बैंकों को एक सामान्य एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच पर स्थानांतरित करने में सुविधा प्रदान करना है, जो उन्हें राष्ट्रीय स्तर के अनुसूचित बैंकों के बराबर सेवाएं प्रदान करने, दक्षता, मापनीयता और ग्राहक अनुभव बढ़ाने में सक्षम बनाएगा। यूओ यूसीबी के लिए एक सहायता प्रणाली के रूप में भी काम करेगा, जो विनियामक अनुपालन, जोखिम प्रबंधन और सर्वोत्तम प्रथाओं पर मार्गदर्शन प्रदान करेगा। यह पूंजी तक पहुंच को सुविधाजनक बनाकर, वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देकर और कुशल संसाधन आवंटन को प्रोत्साहित करके सहकारी वित्तपोषण को भी सुव्यवस्थित करेगा, तथा प्रत्येक सहकारी निकाय के शासन अधिकारों का सम्मान किया जाएगा। यह प्रणाली यूसीबी को एक विनियमित और लचीले वातावरण में पनपने में मदद करेगी।
केवल एक राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में कार्यरत सहकारी समितियां संबंधित राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकार के कानूनों से प्रशासित होती हैं और एक से अधिक राज्यों में कार्यरत सहकारी समितियां केंद्रीय कानून, अर्थात् 'बहु-राज्य सहकारी समितियां (एमएससीएस) अधिनियम 2002 (2002 का अधिनियम 39)' द्वारा शासित होती हैं, जो केवल एमएससीएस के कामकाज को विनियमित करता है और किसी भी तरह से स्थानीय सहकारी समितियों पर राज्यों के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है।
अनुबंध-1
1. प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) का कम्प्यूटरीकरण - प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से सशक्त बनाने के लिए, भारत सरकार 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यात्मक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिए परियोजना को लागू कर रही है, जिसमें सभी कार्यात्मक पैक्स को उद्यम संसाधन नियोजन (ईआरपी) आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना शामिल है, जो उन्हें राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक से जोड़ता है। उद्यम संसाधन नियोजन आधारित सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर सामान्य लेखा प्रणाली और प्रबंधन सूचना प्रणाली के माध्यम से पैक्स के प्रदर्शन में दक्षता लाता है।
2. पैक्स के लिए मॉडल उपनियम उन्हें बहुउद्देशीय, बहुआयामी और पारदर्शी संस्थाएं बनाना: सरकार ने राज्यों/संघ शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय स्तर के संघों, राज्य सहकारी बैंकों, जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों आदि सहित सभी हितधारकों के परामर्श से पैक्स के लिए मॉडल उपनियम तैयार किए हैं और उन्हें सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों को भेजा है, जो पैक्स को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियां करने, उनके संचालन में प्रशासनिक दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने में सक्षम बनाते हैं। पैक्स की सदस्यता को अधिक समावेशी और व्यापक बनाने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं, जिससे महिलाओं और अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जा सके।
3. शामिल नहीं की गई पंचायतों में नई बहुउद्देशीय पैक्स/डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना : राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी), राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और अन्य राष्ट्रीय स्तर के महासंघों के सहयोग से अगले पांच वर्षों में सभी पंचायतों/गांवों को शामिल करते हुए नई बहुउद्देशीय पैक्स या प्राथमिक डेयरी/मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को सरकार ने मंजूरी दे दी है।
4. सहकारी क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अनाज भंडारण योजना : सरकार ने कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना (एएमआई), कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएम), प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों का औपचारिकरण (पीएमएफएमई), आदि सहित भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के संमिलन के माध्यम से पैक्स स्तर पर अनाज भंडारण के लिए गोदामों, कस्टम हायरिंग केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य कृषि बुनियादी ढांचा निर्माण योजना को मंजूरी दी है। इसका उद्देश्य खाद्यान्नों की बर्बादी और परिवहन लागत को कम करना, किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाना और पैक्स स्तर पर ही विभिन्न कृषि जरूरतों को पूरा करना है।
5. ई-सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिए सामान्य सेवा केंद्र (सीएससी) के रूप में पैक्स : सहकारिता मंत्रालय, एमईआईटीवाई, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड ने पैक्स के माध्यम से बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/अद्यतन, स्वास्थ्य सेवाएं, पैन कार्ड और आईआरसीटीसी/बस/हवाई टिकट आदि जैसी 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
6. खुदरा पेट्रोल/डीजल दुकानों के लिए पैक्स को प्राथमिकता दी गई : सरकार ने खुदरा पेट्रोल/डीजल दुकानों के आवंटन के लिए पैक्स को संयुक्त श्रेणी 2 (सीसी2) में शामिल करने की अनुमति दी है।
7. पैक्स को थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा दुकानों में परिवर्तित करने की अनुमति दी गई : पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के आधार पर, पैक्स के लाभ को बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसधारी पैक्स को खुदरा दुकानों में परिवर्तित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।
8. पैक्स अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिए एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए पात्र हैं : सरकार ने अब पैक्स को एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन करने की अनुमति दे दी है। इससे पैक्स को अपनी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने का विकल्प मिलता है।
9. ग्रामीण स्तर पर जेनेरिक दवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स : सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों को संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है जिसका उद्देश्य उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत प्रदान करना और ग्रामीण नागरिकों के लिए जेनेरिक दवाओं तक पहुंच को आसान बनाना है।
10. प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में पैक्स: सरकार देश में किसानों के लिए उर्वरक और संबंधित सेवाओं की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए पीएमकेएसके संचालित करने के लिए पैक्स को बढ़ावा दे रही है।
11. बैंक मित्र सहकारी समितियों को घर-घर वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के लिए माइक्रो-एटीएम : डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को डीसीसीबी और एसटीसीबी का बैंक मित्र बनाया जा सकता है। उनके व्यापार में आसानी, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिए, नाबार्ड के सहयोग से इन बैंक मित्र सहकारी समितियों को 'घर-घर वित्तीय सेवाएं' प्रदान करने के लिए माइक्रो-एटीएम भी दिए जा रहे हैं। राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी शुरू कर दी गई है।
12. पैक्स स्तर पर पीएम-कुसुम का अभिसरण : पैक्स से जुड़े किसान सौर कृषि जल पंप अपना सकते हैं और अपने खेतों में फोटोवोल्टिक मॉड्यूल स्थापित कर सकते हैं।
13. पैक्स ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं (पीडब्ल्यूएस) के संचालन एवं रखरखाव का कार्य करेंगी : ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स की गहरी पहुंच का उपयोग करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय की पहल पर, जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में पीडब्ल्यूएस के संचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) के लिए पैक्स को पात्र एजेंसियां बनाया है।
सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है।
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