अंतरिक्ष विभाग
azadi ka amrit mahotsav

संसद प्रश्न: नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार मिशन

Posted On: 04 DEC 2024 4:18PM by PIB Delhi

नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) एक पृथ्वी विज्ञान मिशन है जिसे नासा और इसरो द्वारा एक सहयोगात्मक समझौते के अंतर्गत संयुक्त रूप से विकसित किया जा रहा है।

वर्ष 2024 की पहली छमाही में निसार को पहले लॉन्च करने की योजना थी। असेंबली, एकीकरण और परीक्षण चरण के दौरान, नासा के विशेषज्ञों ने बताया कि 12-मीटर रडार एंटीना रिफ्लेक्टर में कुछ सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है और इसे सुधार के लिए अमेरिका ले जाना होगा।

अक्टूबर 2024 में नासा द्वारा रडार एंटीना रिफ्लेक्टर इसरो को सौंप दिया गया, जिसे उपग्रह के साथ फिर से एकीकृत किया गया है। वर्तमान में आवश्यक परीक्षण चल रहे हैं। इक्लिप्स सीजन के कारण, निसार के बूम और रडार एंटीना रिफ्लेक्टर की तैनाती के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं हैं। इस कारण निसार को अब मार्च 2025 में लॉन्च किए जाने की संभावना है।

अंतरिक्ष अन्वेषण मिशनों के लिए कई जटिल तकनीकों का स्वदेशी विकास आवश्यक है। इस तरह के विकास एक विस्तृत समय चक्र से गुजरते हैं जिसमें अवधारणा, डिजाइन, प्रोटोटाइप का विकास, योग्यता और उड़ान मॉडल तथा कई परीक्षण, डिजाइन पुनरावृत्ति, आपूर्ति श्रृंखला, व्यापक समीक्षा शामिल हैं। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में चुनौतियों में भू-राजनीतिक विवेचन, सामान्य मिशन उद्देश्यों की स्थापना, संबंधित राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ संरेखण और संसाधनों/बुनियादी ढांचे की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।

विभाग विभिन्न प्रौद्योगिकी विकास और उन्नत अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों के माध्यम से क्षमताओं को सक्रिय रूप से बढ़ा रहा है। कार्यक्रमों में विभिन्न थ्रस्ट क्षमताओं की प्रणोदन प्रणाली, सेंसर प्रौद्योगिकी, उन्नत डॉकिंग सिस्टम, स्टेज रिकवरी, सैटेलाइट नेविगेशन, क्वांटम संचार से संबंधित प्रौद्योगिकी, ऑप्टिकल सैटेलाइट सिस्टम आदि जैसे लॉन्च वाहन क्षमताओं को बढ़ाना शामिल है।

भारत सरकार ने हाल ही में चंद्रयान-4 और वीनस ऑर्बिटर मिशन को मंजूरी दी है, जो उपग्रह प्राप्ति के विभिन्न तत्वों में क्षमताओं को आगे बढ़ाएगा। चंद्रयान-4 मिशन में चंद्रमा के नमूने को पृथ्वी पर लाने की परिकल्पना की गई है। वीनस ऑर्बिटर मिशन का उद्देश्य शुक्र की सफलतापूर्वक परिक्रमा करना और शुक्र की सतह और उपसतह, वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझना है।

इसके अलावा, विभिन्न उपग्रह प्रणालियों/उप-प्रणालियों और एकीकरण के कार्य के लिए विभिन्न भारतीय उद्योगों को आउटसोर्स किया जा रहा है।

सरकार ने देश में अंतरिक्ष अन्वेषण और प्रौद्योगिकी विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

अंतरिक्ष क्षेत्र को उदार बनाया गया है और निजी क्षेत्र को शुरू से अंत तक अंतरिक्ष गतिविधियों को करने की अनुमति दी गई है। अंतरिक्ष क्षेत्र में गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) की गतिविधियों को बढ़ावा देने, अधिकृत करने और उनकी देखरेख करने के लिए अंतरिक्ष विभाग में इन-स्पेस बनाया गया था। अंतरिक्ष गतिविधियों को नियामक निश्चितता प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 तैयार की गई है।

निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित करने और सहायता प्रदान करने के लिए इन-स्पेस द्वारा विभिन्न योजनाओं की घोषणा और कार्यान्वयन किया गया है, जैसे सीड फंड स्कीम, मूल्य निर्धारण समर्थन नीति, मेंटरशिप सहायता, तकनीकी केंद्र, एनजीई के लिए डिजाइन लैब, अंतरिक्ष क्षेत्र में कौशल विकास, इसरो सुविधा उपयोग सहायता, एनजीई को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अंतरिक्ष इकोसिस्टम के सभी हितधारकों के साथ जुड़ने के लिए इन-स्पेस डिजिटल प्लेटफॉर्म का सृजन।

भारतीय राष्ट्रीय निवेश संस्थानों (एनजीई) द्वारा विदेशी पूंजी तक पहुंच को आसान बनाने के लिए भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए संशोधित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) नीति लागू की है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के अंतरिक्ष क्षेत्र को सहयोग देने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी कोष की स्थापना को मंजूरी दे दी है।

यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

****

एमजी/केसी/एचएन/एनजे
 


(Release ID: 2080724) Visitor Counter : 285


Read this release in: English , Urdu