इस्पात मंत्रालय
इस्पात विनिर्माण क्षमता
Posted On:
03 DEC 2024 5:06PM by PIB Delhi
इस्पात एक नियंत्रण-मुक्त क्षेत्र है और सरकार इसमें सुविधा प्रदाता के रूप में कार्य करती है। विनिर्माण क्षमता बढ़ाने के बारे में निर्णय उद्योग द्वारा तकनीकी-वाणिज्यिक विचारों के आधार पर लिया जाता है। इसमें कच्चे माल की उपलब्धता, बंदरगाह से दूरी, रसद आदि शामिल हैं। सरकार ने झारखंड सहित देश में इस्पात क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:-
'मेड इन इंडिया' इस्पात को बढ़ावा देना और निवेश का विस्तार करना:-
सरकारी खरीद के लिए 'मेड इन इंडिया' इस्पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह और इस्पात उत्पाद (डीएमआई और एसपी) नीति का कार्यान्वयन।
देश के भीतर 'स्पेशलिटी स्टील' के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का शुभारंभ। स्पेशियलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है। इससे लगभग 24 मिलियन टन की डाउनस्ट्रीम क्षमता का निर्माण और 14,760 लोगों का प्रत्यक्ष रोजगार सृजन होगा।
वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में घोषित 11,11,111 करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय ने बुनियादी ढांचे के विस्तार पर बल दिया है, जिससे स्टील की खपत में वृद्धि हुई है।
कच्चे माल की उपलब्धता में सुधार और कच्चे माल की लागत में कमी:-
फेरो निकेल कच्चा माल पर मूल सीमा शुल्क में ढाई प्रतिशत से शून्य तक की कटौती, इसे शुल्क मुक्त बनाना।
बजट 2024 में 31 मार्च 2026 तक फेरस स्क्रैप पर शुल्क छूट का विस्तार।
घरेलू स्तर पर उत्पादित फेरस स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए स्टील स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति की अधिसूचना।
आयात निगरानी और गुणवत्ता नियंत्रण:-
घरेलू इस्पात उद्योग को आयात पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने के लिए आयात की प्रभावी निगरानी के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) का पुनर्निर्माण।
स्टील गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों की शुरूआत। इससे घरेलू बाजार में घटिया और दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया जा सके और साथ ही उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाता है कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाले इस्पात ही उपलब्ध कराए जाएं। आज की तारीख में कार्बन स्टील, मिश्र धातु इस्पात और स्टेनलेस स्टील को कवर करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अंतर्गत 151 भारतीय मानक अधिसूचित किए गए हैं।
अन्य उपाय:-
अधिक अनुकूल शर्तों पर इस्पात निर्माण के लिए कच्चे माल की उपलब्धता को सुगम बनाने के लिए मंत्रालयों और राज्यों के साथ शीघ्र वैधानिक मंजूरी और अन्य देशों के साथ समन्वय।
परिवहन और बिजली आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे का विकास एक सतत और गतिशील प्रक्रिया है जो सामाजिक-आर्थिक विचारों, चल रही परियोजनाओं की देनदारियों, धन की समग्र उपलब्धता और प्रतिस्पर्धी मांगों के आधार पर की जाती है। झारखंड राज्य में राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की वर्तमान लंबाई 3,633 किलोमीटर है, रेलवे लाइनों की लंबाई 3,070 किलोमीटर है और बिजली उपयोगिताओं की स्थापित क्षमता 3002.50 मेगावाट है जो इस्पात सहित सभी उद्योगों के विकास का समर्थन करती है। झारखंड राज्य में 70,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाएं कमीशनिंग के विभिन्न चरणों में हैं।
इस्पात मंत्रालय ने 'स्पेशलिटी स्टील' के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को अधिसूचित किया है। इससे झारखंड राज्य सहित देश भर में इस्पात क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार सृजित होंगे। यह जानकारी केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
*****
एमजी/ केसी/एसके
(Release ID: 2080220)
Visitor Counter : 77