मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
दूध उत्पादन एवं मिलावट
Posted On:
03 DEC 2024 4:51PM by PIB Delhi
पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष राज्य पशुपालन विभाग के माध्यम से आयोजित एकीकृत नमूना सर्वेक्षण के द्वारा दूध, मांस, अंडा और ऊन उत्पादन का राज्य-वार आकलन किया जाता है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश में कुल दूध उत्पादन 230.58 मिलियन टन था और इसी अवधि में प्रति व्यक्ति उपलब्धता 459 ग्राम प्रति दिन थी। जहां तक दूध की खपत का संबंध है, राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) नियमित अंतराल पर घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण करता है, जिसमें दूध और दूध उत्पादों की खपत सहित परिवारों द्वारा खाद्य और गैर-खाद्य वस्तुओं की खपत की जानकारी एकत्र की जाती है। इसके अनुसार वर्ष 2022-23 के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति दूध की खपत 164 ग्राम प्रति दिन और शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति 190 ग्राम प्रति दिन थी।
भारत में वर्ष 2022-23 के दौरान दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता खपत से अधिक थी।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएएसएसआई) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के तहत एक वैधानिक निकाय है जो भारत में खाद्य की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है। एफएसएसएआई देश भर में उपभोक्ताओं को सुरक्षित खाद्य उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस दिशा में, एफएसएसएआई राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों और अपने क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा और मानक (एफएसएस) अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए विनियमों के तहत निर्धारित गुणवत्ता और सुरक्षा मापदंडों तथा अन्य आवश्यकताओं के अनुपालन की जांच के लिए डेयरी उत्पादों, मसालों और फोर्टिफाइड चावल सहित विभिन्न खाद्य उत्पादों की नियमित निगरानी, निरीक्षण और यादृच्छिक नमूनाकरण करता है। उपर्युक्त वैधानिक आवश्यकताओं का अनुपालन न करने की स्थिति में, एफएसएस अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार दोषी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई शुरू की जाती है। इसके अलावा, एफएसएसएआई ने वर्ष 2011, 2016, 2018, 2020, 2022 और वर्ष 2023 में दूध और दूध उत्पादों की अखिल भारतीय निगरानी की है। वर्ष 2018, 2020 और वर्ष 2022 में एफएसएसएआई द्वारा की गई दूध निगरानी की रिपोर्ट www.fssai.gov.in/cms/national-surveys.php पर सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है। एफएसएसएआई ने राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों को दूध और दूध उत्पादों की स्क्रीनिंग/त्वरित जांच के लिए फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स तैनात करने को भी कहा है।
देश में दूध में मिलावट की समस्या को दूर करने और गुणवत्ता मानकों के लिए पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा उठाए गए कदमों का ब्यौरा अनुबंध-I में दिया गया है।
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) योजना के तहत, अमृतसर जिले सहित पंजाब में 18,441.39 लाख रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी सहित 27,907.38 लाख रुपये की कुल परियोजना लागत से 10 परियोजनाएं अनुमोदित की गई हैं, और इसमें से अब तक 15,509.46 लाख रुपये जारी किए जा चुके हैं। एनपीडीडी परियोजनाओं के तहत अमृतसर दुग्ध संघ को 1873.13 लाख रुपये का केंद्रीय हिस्सा मिला है, जिसमें से 1504.22 लाख रुपये का उपयोग किया जा चुका है।
अनुबंध-I
राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम
पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) फरवरी 2014 से पूरे देश में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) योजना को लागू कर रहा है। इस योजना को वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक कार्यान्वयन के लिए जुलाई 2021 में पुनर्गठित/पुनर्संरेखित किया गया है, जिसके निम्नलिखित दो घटक हैं:
(i) एनपीडीडी का घटक ''क'' राज्य सहकारी डेयरी परिसंघों/जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों/एसएचजी/दुग्ध उत्पादक कंपनियों/किसान उत्पादक संगठनों के लिए गुणवत्तापूर्ण दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ प्राथमिक प्रशीतन सुविधाओं के लिए अवसंरचना के निर्माण/सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है।
(ii) एनपीडीडी योजना के घटक 'ख' "सहकारिता के माध्यम से डेयरी" का उद्देश्य संगठित बाजार तक किसानों की पहुंच बढ़ाकर, डेयरी प्रसंस्करण सुविधाओं और विपणन अवसंरचना को उन्नत करके और उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाओं की क्षमता में वृद्धि करके दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री में वृद्धि करना है। जेआईसीए ने ऋण और अनुदान सहायता से परियोजनाओं की सहायता की है।
देश में दूध में मिलावट की समस्या से निपटने और गुणवत्ता मानकों को सुनिश्चित करने के लिए पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा शुरू किए गए प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
- डीएएचडी देश भर में डेयरी सहकारी समितियों, दूध उत्पादक कंपनियों आदि के माध्यम से दूध और दूध उत्पादों के प्रशीतन, प्रसंस्करण और परीक्षण के लिए आवश्यक अवसंरचना का निर्माण करने हेतु डेयरी विकास योजनाओं नामतः राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) और डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि (अब पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के अंतर्गत शामिल) को लागू कर रहा है।
- ii. एनपीडीडी को जुलाई 2021 में पुनर्गठित/पुनर्संरेखित किया गया है और यह वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक लागू रहेगी। योजना का घटक क मुख्य रूप से गुणवत्ता वाले दूध परीक्षण उपकरणों के साथ-साथ प्राथमिक प्रशीतन सुविधाओं के लिए अवसंरचना के निर्माण/सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है। योजना के तहत, ग्राम स्तर की डेयरी सहकारी समितियों में 113.30 लाख लीटर प्रशीतन क्षमता वाले 5125 बल्क मिल्क कूलर, 4267 दुग्ध एनालाइज़र, 47, 857 स्वचालित दूध संग्रह इकाई/डाटा प्रसंस्करण और दुग्ध एनालाइज़र के साथ दूध संग्रह इकाई तथा 6,266 इलेक्ट्रॉनिक दूध मिलावट परीक्षण उपकरण स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, 231 डेयरी संयंत्र प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ किया गया है और सभी दूध मापदंडों, मिलावट, अवशेषों, भारी धातुओं, सूक्ष्मजीवों आदि का परीक्षण करने के लिए 15 प्रमुख दूध उत्पादक राज्यों के लिए एक-एक राज्य केंद्रीय प्रयोगशाला को अनुमोदित किया गया है।
- पुष्टि मूल्यांकन (Confirmatory Assessment) योजना के तहत डीएएचडी और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा एनडीडीबी सहित विभिन्न हितधारकों के परामर्श से एक समान लोगो (Uniform Logo) तैयार किया गया, जिसमें पहले के संबंधित लोगो (Logo) बीआईएस-आईएसआई मार्क और एनडीडीबी-गुणवत्ता मार्क तथा कामधेनु गाय शामिल थे। इससे ‘उत्पाद-खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली-प्रक्रिया’ प्रमाणन एकछत्र के तहत आ गए हैं।
यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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