विधि एवं न्‍याय मंत्रालय
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अक्टूबर 2024 तक देश भर में 313 ग्राम न्यायालय कार्यशील हैं; इन न्यायालयों ने अक्टूबर 2024 तक 2.99 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया है


लोक अदालतें

Posted On: 29 NOV 2024 3:33PM by PIB Delhi

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति की वेबसाइट (https://ecommitteesci.gov.in/service/district-courts-portal/) के अनुसार, देश भर में 688 जिला न्यायालय हैं। इसके अलावा, ग्राम न्यायालय अधिनियम, 2008 जिसे जमीनी स्तर पर ग्राम न्यायालय स्थापित करने के लिए अधिनियमित किया गया था। इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में नागरिकों को न्याय प्राप्त करने के अवसर सुनिश्चित करते हुए न्याय तक पहुंच प्रदान करना है। अक्टूबर, 2024 तक, देश भर में 313 ग्राम न्यायालय कार्यशील हैं। इन ग्राम न्यायालयों ने दिसंबर, 2020 से अक्टूबर, 2024 के दौरान 2.99 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया है।

इसके अलावा, अदालतों में लंबित मामलों को कम करने और मुकदमेबाजी-पूर्व चरण में विवादों को निपटाने के लिए विधिक सेवा संस्थानों द्वारा उचित समझे जाने वाले अंतरालों पर लोक अदालतों का आयोजन किया जाता है। लोक अदालतें संबंधित न्यायालयों द्वारा भेजे गए लंबित अदालती मामलों की सुनवाई करती हैं। चूंकि लोक अदालतें स्थायी नहीं होती हैं इसलिए सभी अनसुलझे मामले संबंधित अदालतों को वापस कर दिए जाते हैं और इसलिए लोक अदालतों में मामले लंबित नहीं रहते हैं। वर्ष 2024-25 (सितंबर, 2024 तक) के दौरान, राज्य लोक अदालतों की 5944 पीठों का गठन किया गया। इन लोक अदालतों ने 10,11,912 मामलों का निपटारा किया। इसके अलावा, इसी अवधि के दौरान स्थायी लोक अदालतों (सार्वजनिक उपयोगिता सेवाएं) की 17,309 बैठकों के माध्यम से 98,776 मामलों का निपटारा किया गया।

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से विधिक सहायता कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के लिए वर्ष 2024-25 (अक्टूबर, 2024 तक) के दौरान 200 करोड़ रुपए जारी किए हैं। समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए तालुका स्तर से लेकर सर्वोच्च न्यायालय स्तर तक विधिक सेवा संस्थान स्थापित किए गए हैं। सितंबर, 2024 तक, ग्रामीण क्षेत्रों सहित पूरे देश में न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने के लिए विधिक सेवा संस्थानों के पास 41,775 पैनल वकील और 43,050 पैरा लीगल वालंटियर उपलब्ध हैं।

विधि एवं न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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