संस्कृति मंत्रालय
राष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी 2024: कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाएं और चिंताएं
Posted On:
27 NOV 2024 11:10AM by PIB Delhi
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) ने 26 नवंबर, 2024 को नेहरू विज्ञान केंद्र, मुंबई में राष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी (एनएसएस) 2024 का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस वार्षिक कार्यक्रम में भारत के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 32 उत्कृष्ट छात्रों ने "कृत्रिम बुद्धिमत्ता: संभावनाएं और चिंताएं" पर चर्चा की। 1982 में अपनी स्थापना के बाद से एनएसएस कक्षा आठवीं से दसवीं तक के छात्रों के बीच बौद्धिक जिज्ञासा विकसित करने का एक महत्वपूर्ण मंच बना हुआ है। पिछले कुछ वर्षों में देश भर के 50,000 से अधिक छात्रों ने ब्लॉक स्तर से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर तक इसकी बहु-स्तरीय चर्चाओं में भाग लिया। 2024 की संगोष्ठी में शीर्ष 32 प्रतिभागियों की प्रस्तुतियाँ उनके शिक्षक अनुरक्षकों के साथ प्रदर्शित की गई। इस संगोष्ठी में उनकी रचनात्मकता, नवाचार और आलोचनात्मक सोच के बारे में बताया गया।

संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि, आईआईटी बॉम्बे में डीन (पूर्व छात्र और कॉर्पोरेट संबंध) और एआई और एमएल चेयर प्रोफेसर, प्रो. रवींद्र डी. गुडी ने किया। सी-डैक, मुंबई के कार्यकारी निदेशक डॉ. एम. ससिकुमार ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। अन्य प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों में एनसीएसएम के महानिदेशक श्री अरिजीत दत्ता चौधरी और नेहरू विज्ञान केंद्र, मुंबई के निदेशक श्री उमेश कुमार रुस्तागी के साथ-साथ छात्र, शिक्षक और आमंत्रित अतिथि शामिल थे।
प्रो. रवींद्र डी. गुडी ने अपने प्रेरक उद्घाटन भाषण में विविध क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की परिवर्तनकारी शक्ति विशेष रूप से व्यक्तिगत चिकित्सा में इसकी क्रांतिकारी भूमिका पर प्रकाश डालकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने बताया कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता केवल एक माध्यम नहीं है बल्कि मानवीय निगरानी में पूर्व ज्ञान का उपयोग करने और अपनाने का एक साधन है जो नैतिक और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करता है। तकनीकी विकास की छह तरंगों के माध्यम से मानव की उल्लेखनीय यात्रा के बारे में बताते हुए प्रो. गुडी ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और उन्नत तकनीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने भविष्य को फिर से परिभाषित करने के लिए इन नवाचारों की गहन क्षमता पर जोर दिया और हमसे इस बदलाव को दूरदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ अपनाने का आग्रह किया। अपने मुख्य भाषण में डॉ. एम. ससिकुमार ने अपने उच्च अध्ययन के दौरान कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बारे में प्राप्त अपने अनुभव साझा किए और इसके विकास और सीमाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने गूगल ट्रांसलेट जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता उपकरणों के जिम्मेदारी पूर्वक उपयोग की आवश्यकता पर जोर दिया और डीपफेक तकनीक जैसी चुनौतियों के प्रति आगाह किया। उन्होंने छात्रों से विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास में योगदान देने का आग्रह किया। श्री अरिजीत दत्ता चौधरी ने सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए युवाओं में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने और संवाद विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। छात्रों की प्रस्तुतियों में संभावनाओं और सावधानी का संतुलन दिखाई दिया जिसमें नैतिक चिंताओं का समाधान करते हुए महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने की कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्षमता को स्वीकार किया गया।

यह दिन गतिविधियों से भरा रहा। सभी 32 प्रतिभागियों ने अपनी अच्छी तरह से शोध की गई और अभिनव प्रस्तुतियाँ पेश की। जजों को इनकी गहन समीक्षा की। प्रोफेसर कुमारदेव बनर्जी, यशवंत कानेतकर, डॉ. मनोज के डेका, डॉ. कविता सूदा और श्री भरत गुप्ता सहित जजों के प्रतिष्ठित पैनल ने प्रत्येक प्रस्तुति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जिससे छात्रों की गहन सोच और "कृत्रिम बुद्धिमत्ता: संभावनाएँ और चिंताएँ" विषय पर विचारों का निष्पक्ष और व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित हुआ।

कार्यक्रम का समापन शाम 6:00 बजे एक शानदार समापन सत्र और पुरस्कार वितरण समारोह से हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर जयराम एन चेंगलूर की गरिमामयी उपस्थिति रही। शाम का मुख्य आकर्षण राष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी 2024 के विजेताओं की घोषणा थी जिसमें मिस रचना एस. जी., भारत विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल, तमिलनाडु ने प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता और नौ उपविजेता रहे। उनकी विचारोत्तेजक प्रस्तुतियों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता की संभावनाओं और चुनौतियों का पता लगाने में भारत के युवाओं की असाधारण प्रतिभा और दूरदर्शिता का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का समापन एनएसएस 2024 के राष्ट्रीय समन्वयक श्री तपस कुमार मोहराना के धन्यवाद ज्ञापन के साथ होगा। यह नवाचार के इस उत्सव का एक यादगार समापन होगा। राष्ट्रीय विज्ञान संगोष्ठी 2024 ने युवा वैज्ञानिकों को विचार साझा करने, चर्चा करने और जिम्मेदारी पूर्वक कृत्रिम बुद्धिमत्ता की उन्नत तकनीक द्वारा भविष्य की रूपरेखा प्रस्तुत करने का एक मंच प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने भारत के युवाओं में वैज्ञानिक जिज्ञासा और नवाचार को बढ़ावा देने के महत्व की पुष्टि की।

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(Release ID: 2079309)