गृह मंत्रालय
डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला मामले
Posted On:
27 NOV 2024 4:42PM by PIB Delhi
संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं। राज्य/संघ क्षेत्र अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से साइबर अपराध और डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले सहित अन्य अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। केंद्र सरकार राज्यों/संघ क्षेत्रों की पहलों को उनके कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत सलाह और वित्तीय सहायता के माध्यम से पूरक बनाती है।
डिजिटल गिरफ्तारी सहित साइबर अपराधों से व्यापक और समन्वित तरीके से निपटने हेतु तंत्र को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल हैं:
- गृह मंत्रालय ने देश में सभी प्रकार के साइबर अपराधों से समन्वित और व्यापक तरीके से निपटने के लिए एक संलग्न कार्यालय के रूप में ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई4सी) की स्थापना की है।
- केंद्र सरकार और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) ने आने वाली अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉलों की पहचान करने और उन्हें ब्लॉक करने के लिए एक प्रणाली तैयार की है। अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल में भारतीय मोबाइल नंबर भारत में उत्पन्न होते प्रतीत होते हैं। हाल ही में फर्जी डिजिटल गिरफ्तारियों, फेडएक्स घोटाले, खुद को सरकारी और पुलिस अधिकारी बताने आदि के मामलों में साइबर अपराधियों द्वारा ऐसी अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉल की गई हैं। ऐसी आने वाली अंतरराष्ट्रीय फर्जी कॉलों को ब्लॉक करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को निर्देश जारी किए गए हैं।
- आई4सी में एक अत्याधुनिक साइबर धोखाधड़ी शमन केंद्र (सीएफएमसी) स्थापित किया गया है, जहां प्रमुख बैंकों, वित्तीय मध्यस्थों, भुगतान संग्रहकर्ताओं, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, आईटी मध्यस्थों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि साइबर अपराध से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई और निर्बाध सहयोग हेतु मिलकर काम कर रहे हैं।
- पुलिस की दी गई जानकारी के अनुसार, 15.11.2024 तक 6.69 लाख से अधिक सिम कार्ड और 1,32,000 आईएमईआई को भारत सरकार ने ब्लॉक किया है।
- समन्वय प्लेटफॉर्म (संयुक्त प्रबंधन सूचना प्रणाली) को अप्रैल 2022 से चालू किया गया है, जो साइबर अपराध डेटा को साझा करने और विश्लेषण के लिए प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) प्लेटफॉर्म, डेटा रिपोजिटरी और एलईए के लिए समन्वय मंच के रूप में कार्य करेगा। यह विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर अपराध की शिकायतों में शामिल अपराधों और अपराधियों के विश्लेषण आधारित अंतरराज्यीय संबंध प्रदान करता है। मॉड्यूल 'प्रतिबिंब' क्षेत्राधिकार अधिकारियों को मानचित्र पर अपराधियों और अपराध के बुनियादी ढांचे के स्थानों को दर्शाता है। यह मॉड्यूल आई4सी और अन्य एसएमई से कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा तकनीकी-कानूनी सहायता प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान करता है।
- बैंकों/वित्तीय संस्थानों के सहयोग से 10.09.2024 को आई4सी ने साइबर अपराधियों के पहचानकर्ताओं की एक संदिग्ध रजिस्ट्री शुरू की है।
- केंद्र सरकार ने https://cybercrime.gov.in पर 'रिपोर्ट करें और संदिग्ध की जांच करें' नामक एक नई सुविधा शुरू की है। यह सुविधा नागरिकों को ‘सस्पेक्ट सर्च’ बटन के माध्यम से साइबर अपराधियों की पहचान के लिए आई4सी संग्रहालय को खोजने का विकल्प प्रदान करती है।
- आई4सी डिजिटल गिरफ्तारी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली फर्जी आईडी की सक्रिय रूप से पहचान करता है और उन्हें ब्लॉक करता है।
- केंद्र सरकार ने साइबर अपराधियों द्वारा राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस, एनसीबी, सीबीआई, आरबीआई और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों का नाम लेकर ‘ब्लैकमेल’ और ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ की घटनाओं के खिलाफ अलर्ट पर एक प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित की है।
- आई4सी के तहत मेवात, जामताड़ा, अहमदाबाद, हैदराबाद, चंडीगढ़, विशाखापत्तनम और गुवाहाटी के लिए सात संयुक्त साइबर समन्वय दल (जेसीसीटी) गठित किए गए हैं, जो राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाने के लिए साइबर अपराध हॉटस्पॉट/बहु-क्षेत्रीय मुद्दों वाले क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को कवर करते हैं। हैदराबाद, अहमदाबाद, गुवाहाटी, विशाखापत्तनम, लखनऊ, रांची और चंडीगढ़ में जेसीसीटी के लिए सात कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
- आई4सी के एक हिस्से के रूप में ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल’ (https://cybercrime.gov.in) शुरू किया गया है, ताकि जनता सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट कर सके, जिसमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान दिया गया है। इस पोर्टल पर रिपोर्ट की गई साइबर अपराध की घटनाओं, उसके आधार पर एफआईआर दर्ज करने, और उसके बाद की कार्रवाई कानून के प्रावधानों के अनुसार संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की कानून प्रवर्तन एजेंसियां करती हैं।
- वित्तीय धोखाधड़ी की तत्काल रिपोर्टिंग और धोखेबाजों द्वारा धन की हेराफेरी को रोकने के लिए आई4सी के तहत ‘नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली’ वर्ष 2021 में शुरू की गई है। अब तक 9.94 लाख से अधिक शिकायतों में 3431 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय राशि बचाई गई है। ऑनलाइन साइबर शिकायत दर्ज करने में सहायता प्राप्त करने के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर ‘1930’ चालू किया गया है।
- आई4सी ने भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के 7,330 अधिकारियों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है।
- आई4सी ने 40,151 से अधिक एनसीसी कैडेटों को साइबर स्वच्छता प्रशिक्षण दिया है।
- साइबर अपराध के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए, केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, एसएमएस, आई4सी सोशल मीडिया अकाउंट यानी एक्स (पूर्व में ट्विटर) (@साइबरदोस्त), फेसबुक (साइबरदोस्त आई4सी), इंस्टाग्राम (साइबरदोस्त आई4सी), टेलीग्राम (साइबरदोस्त आई4सी), रेडियो अभियान के माध्यम से संदेशों का प्रसार, कई माध्यमों में प्रचार के लिए मायगॉव को शामिल करना, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से साइबर सुरक्षा और सुरक्षा जागरूकता सप्ताह का आयोजन, किशोरों/छात्रों के लिए पुस्तिका का प्रकाशन, डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले पर समाचार पत्र विज्ञापन, डिजिटल गिरफ्तारी और साइबर अपराधियों के अन्य तौर-तरीकों पर दिल्ली मेट्रो में घोषणा, डिजिटल गिरफ्तारी पर विशेष पोस्ट बनाने के लिए सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों का उपयोग, रेलवे स्टेशनों और हवाई अड्डों पर डिजिटल डिस्प्ले आदि शामिल हैं।
यह बात गृह राज्य मंत्री श्री बंदी संजय कुमार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
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(Release ID: 2079081)
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