पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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संसद प्रश्न:- प्रकृति बहाली कानून का परिचय

Posted On: 28 NOV 2024 2:00PM by PIB Delhi

2022 में, भारत सरकार ने जैविक विविधता सम्‍मेलन में दिए गए कुनमिंग मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचे को अपनाया है और इसके फलस्वरूप राष्ट्रीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (एनबीएसएपी) को अद्यतन कर जारी की है। एनबीएसएपी पर्यावरणीय चुनौतियों को स्वीकार करती है और इको-सिस्टम बहाली, प्रजातियों के अस्तित्व को बनाए रखने सम्बंधी कार्यक्रमों और समुदाय-संचालित संरक्षण प्रयासों के माध्यम से चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करती है। ये रणनीतियां खराब हो चुके इको-सिस्टम की बहाली, आर्द्रभूमि की सुरक्षा और समुद्री और तटीय क्षेत्रों के सतत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है।

इसके अलावा, राष्ट्रीय वन नीति, 1988 का उद्देश्य बड़े पैमाने पर वनरोपण कार्यक्रमों से देश में वनों और वृक्षों के घनत्व वाला भूमि क्षेत्र पर्याप्त रूप से बढ़ाना है, विशेष रूप से उजाड़ और बंजर भूमि पर।

भारत ने बॉन चैलेंज और मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) के तहत अपने दायित्वों के तहत 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को बहाल करने की प्रतिबद्धता जताई है। अब तक भारत 18.94 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि बहाल करने में सफल रहा है। भारत ने पेरिस समझौते के तहत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के तहत वन और वृक्ष क्षेत्र को बढ़ाकर 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन उत्सर्जन से निपटने के लिए अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने की भी प्रतिबद्धता जताई है।

यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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