पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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संसद प्रश्न: - सार्थक जलवायु कार्रवाई के लिए रणनीति

Posted On: 28 NOV 2024 1:59PM by PIB Delhi

सरकार जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) को लागू कर रही है जो जलवायु कार्रवाई के लिए व्यापक रूपरेखा है। एनएपीसीसी के मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक समावेशी और सतत विकास रणनीति के माध्यम से समाज के गरीब और कमजोर वर्गों की रक्षा करना है जो जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है।

एनएपीसीसी में सौर ऊर्जा, बढ़ी हुई ऊर्जा दक्षता, जल, कृषि, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र, संधारणीय आवास, हरित भारत, मानव स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर रणनीतिक ज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों में राष्ट्रीय मिशन शामिल हैं। इसके नौ मिशनों में से छह कमजोर समुदायों के जलवायु लचीलेपन को बढ़ाने के लिए अनुकूलन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन सभी मिशनों को जल, स्वास्थ्य, कृषि, वन और जैव विविधता, ऊर्जा, आवास आदि सहित कई क्षेत्रों में विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उनके संबंधित नोडल मंत्रालयों/विभागों द्वारा संस्थागत और कार्यान्वित किया जाता है। 34 राज्यों ने भी एनएपीसीसी के अनुरूप जलवायु परिवर्तन पर अपनी कार्य योजनाएँ तैयार की हैं।

पेरिस समझौते के तहत, भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को अपना अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रस्तुत किया है, जिसमें 2030 तक अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के माध्यम से 2.5 से 3 बिलियन टन सीओ2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक के निर्माण का मात्रात्मक लक्ष्य शामिल है।

अतिरिक्त वन और वृक्ष आवरण के निर्माण के उद्देश्य से विभिन्न वनरोपण और वन बहाली गतिविधियों का कार्यान्वयन स्थानीय समुदायों को शामिल करके और ग्राम स्तर पर स्थापित संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की भागीदारी के माध्यम से किया जाता है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (एनडीसी) प्रतिबद्धताओं की पूर्ति विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा राज्य सरकारों सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल करके सहयोगात्मक रूप से की जाती है।

हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (जीआईएम) एनएपीसीसी के तहत उल्लिखित मिशनों में से एक है। इसका उद्देश्य भारत के वन क्षेत्र की रक्षा, पुनर्बहाली और वृद्धि करना तथा चयनित परिदृश्यों में वन और गैर-वन क्षेत्रों में वृक्षारोपण गतिविधियों को अंजाम देकर जलवायु परिवर्तन का जवाब देना है।

मैंग्रोव को अद्वितीय प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में पुनर्स्थापित करने और बढ़ावा देने तथा तटीय आवासों की स्थिरता को संरक्षित करने और बढ़ाने के लिए तटीय आवासों और भौतिक आय (एमआईएसएचटी) के लिए मैंग्रोव पहल शुरू की गई है। इस कार्यक्रम में नौ तटीय राज्यों और चार केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 540 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र इसका लाभ पहुंचाने की परिकल्पना की गई है जिससे कार्बन पृथक्करण और जलवायु लचीलापन को बढ़ावा मिलेगा।

भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस पर नागरिकों द्वारा  गृह-हितैषी गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए 'एक पेड़ माँ के नाम' #Plant4Mother अभियान की शुरुआत की अब तक 100 करोड़ से अधिक पौधे लगाए जा चुके हैं।

2023 में यूएनएफसीसीसी को प्रस्तुत भारत के तीसरे राष्ट्रीय संचार के अनुसार, 2005 से 2019 के दौरान 1.97 बिलियन टन CO2 समतुल्य अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाया गया है।

यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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एमजी/आरपीएम/केसी/एनकेएस


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