रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
केंद्र सरकार डीएपी खाद की उपलब्धता और इसकी शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों, रेलवे व उर्वरक कंपनियों के साथ मिलकर आवश्यक कार्रवाई कर रही है
वैश्विक कारकों के बावजूद, मौजूदा रबी सीजन के दौरान विभिन्न बंदरगाहों पर अक्टूबर और नवंबर में 17 लाख टन से अधिक डीएपी खाद पहुंची जिसे राज्यों को भेज दी गई है
अक्टूबर और नवंबर 2024 में राज्यों को 23 लाख टन डीएपी (आयातित और घरेलू) की आपूर्ति की गई
मौजूदा रबी सीजन के दौरान अब तक 34.81 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 55.14 लाख मीट्रिक टन एनपीकेएस उपलब्ध कराया गया है
Posted On:
27 NOV 2024 10:27PM by PIB Delhi
भारत सरकार के उर्वरक विभाग ने कई चुनौतियों के बावजूद राज्यों को डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की दिशा में कई कदम उठाए हैं।
प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भारत को कम निर्यात तथा लाल सागर संकट जैसी मौजूदा भू-राजनीतिक परस्थितियों के कारण इस वर्ष डीएपी की आपूर्ति प्रभावित हुई।
राज्यों की मांग को पूरा करने के लिए भारत डीएपी की आयातित आपूर्ति पर निर्भर है। वर्तमान में डीएपी की लगभग 60 प्रतिशत उपलब्धता आयातित आपूर्ति से पूरी होती है।
इसके अलावा, घरेलू उत्पादन भी कच्चे माल के आयात पर निर्भर करता है। लाल सागर संकट के कारण फॉस्फोरिक एसिड सहित जहाजों को ‘केप ऑफ गुड होप’ के रास्ते से गुजरना पड़ा, जिसके कारण यात्रा का समय लंबा हो गया और आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान उत्पन्न हुआ।
कई वैश्विक कारकों के बावजूद, इस रबी सीजन 2024-25 में विभिन्न बंदरगाहों पर 17 लाख टन से अधिक डीएपी पहुंचा और अक्टूबर और नवंबर 2024 में राज्यों को भेजा गया। इसके अलावा लगभग 6.50 लाख टन घरेलू उत्पादन राज्यों को उपलब्ध कराया गया। अक्टूबर और नवंबर 2024 में राज्यों को आपूर्ति की गई आयातित और घरेलू डीएपी खाद, अब तक राज्यों में उपलब्ध बफर स्टॉक को छोड़कर लगभग 23 लाख टन हो गई है।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों ने पिछले रबी सीजन की तुलना में 5 लाख टन अधिक विभिन्न ग्रेड के एनपीकेएस का उपयोग किया है। पूरे देश में, पिछले रबी सीजन की तुलना में 10 लाख टन अधिक एनपीकेएस की खपत की है।
सरकार के अथक प्रयासों के फलस्वरूप वर्तमान रबी सीजन के दौरान अब तक कुल 34.81 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 55.14 लाख मीट्रिक टन एनपीकेएस उपलब्ध कराई जा चुकी है। स्थानीय स्तर पर उपलब्धता और शीघ्र आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्यों, रेलवे और उर्वरक कंपनियों के साथ मिलकर सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
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