पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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संसद प्रश्न: बाघों की आबादी में वृद्धि

Posted On: 25 NOV 2024 5:22PM by PIB Delhi

2022 में किए गए अखिल भारतीय बाघ आकलन के अनुसार बाघों की आबादी में वृद्धि हुई है, जिसकी अनुमानित संख्या 3682 (श्रेणी-सीमा 3167-3925) है, जबकि 2018 में यह 2967 (श्रेणी-सीमा 2603-3346) और 2014 में 2226 (श्रेणी-सीमा 1945-2491) थी। नमूना क्षेत्रों की निरंतर की गयी तुलना के अनुसार, भारत में बाघों की आबादी 6% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। वर्ष 2006, 2010, 2014, 2018 और 2022 के लिए देश में बाघ परिदृश्यों से संबंधित बाघ आकलन का विवरण अनुलग्नक-I में दिया गया है।

भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से मानव-वन्यजीव नकारात्मक आमना-सामना के प्रबंधन के लिए तीन आयामी रणनीति पर जोर दिया है, जो इस प्रकार हैं:-

(i) सामग्री और लॉजिस्टिक्स सहायता: बाघ परियोजना की चल रही केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से बाघ अभयारण्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि वे अवसंरचना और सामग्री के संदर्भ में क्षमता प्राप्त कर सकें तथा अपने स्रोत क्षेत्रों से बाहर जाने वाले बाघों की समस्या को हल कर सकें। बाघ अभयारण्यों द्वारा हर साल एक वार्षिक संचालन योजना (एपीओ) के माध्यम से इसकी मांग की जाती है, जो वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 वी के तहत अनिवार्य एक व्यापक बाघ संरक्षण योजना (टीसीपी) में निहित है। अन्य बातों के साथ-साथ, अनुग्रह राशि और मुआवजे का भुगतान, मानव-पशु संघर्ष पर आम जनता को संवेदनशील बनाने, मार्गदर्शन करने और सलाह देने के लिए आवधिक जागरूकता अभियान, मीडिया के विभिन्न प्रारूपों के माध्यम से सूचना का प्रसार, स्थिरीकरण उपकरण, दवाओं की खरीद, संघर्ष की घटनाओं से निपटने के लिए वन कर्मचारियों का प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण जैसी गतिविधियों के लिए आम तौर पर मांग की जाती हैं।

(ii) आवास हस्तक्षेपों को प्रतिबंधित करना: बाघ अभयारण्य में बाघों की वहन क्षमता के आधार पर, आवास हस्तक्षेपों को एक व्यापक टीसीपी के माध्यम से प्रतिबंधित किया जाता है। यदि बाघों की संख्या, वहन क्षमता के स्तर पर है, तो यह सलाह दी जाती है कि आवास हस्तक्षेपों को सीमित किया जाना चाहिए, ताकि बाघों सहित वन्यजीवों का अत्यधिक फैलाव न हो और मानव-पशु संघर्ष कम से कम हों। इसके अलावा, बाघ अभयारण्यों के आसपास के अतिरिक्त क्षेत्रों में, आवास हस्तक्षेपों को इस तरह से प्रतिबंधित किया जाता है कि वे मुख्य/महत्वपूर्ण बाघ आवास क्षेत्रों की तुलना में उप-इष्टतम हों, केवल अन्य समृद्ध आवास क्षेत्रों में फैलाव की सुविधा के लिए पर्याप्त रूप से विवेकपूर्ण हों।

(iii) मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी): राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने मानव-पशु संघर्ष से निपटने के लिए निम्नलिखित तीन एसओपी जारी किए हैं, जो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध हैं:

i. मानव-केन्द्रित परिदृश्यों में बाघों के भटकने के कारण उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से निपटने के लिए,

ii. पशुधन पर बाघों के हमले से निपटने के लिए,

iii. परिदृश्य स्तर पर स्रोत क्षेत्रों से बाघों के पुनर्वास की दिशा में सक्रिय प्रबंधन के लिए।

तीन एसओपी में अन्य बातों के साथ-साथ बाघों के फैलाव का प्रबंधन, संघर्ष को कम करने के लिए पशुधन के मारे जाने का प्रबंधन और साथ ही बाघों को स्रोत क्षेत्रों से उन क्षेत्रों में स्थानांतरित करना शामिल है, जहां बाघों की संख्या विरल है, ताकि समृद्ध स्रोत क्षेत्रों में संघर्ष नहीं हो।

इसके अलावा बाघ संरक्षण योजनाओं के अनुसार, वन्यजीव आवास की गुणवत्ता में सुधार के लिए बाघ रिजर्व द्वारा आवश्यकता आधारित और स्थल-विशिष्ट प्रबंधन हस्तक्षेप किए जाते हैं। इन गतिविधियों के लिए वित्त पोषण सहायता, वन्यजीव आवासों के एकीकृत विकास की जारी केंद्र प्रायोजित योजना के बाघ परियोजना घटक के तहत प्रदान की जाती है।

राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान पुष्टि किए गए अप्राकृतिक कारणों (अवैध शिकार, जब्ती और अप्राकृतिक, लेकिन शिकार नहीं) के कारण बाघों की मृत्यु का विवरण अनुलग्नक-II में दिया गया है।

अनुलग्नक-I

वर्ष 2006, 2010, 2014, 2018 और 2022 के लिए देश में बाघ परिदृश्य से संबंधित बाघ आकलन का विवरण (अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट के अनुसार)

राज्य

बाघों की आबादी

 

2006

2010

2014

2018

2022

शिवालिक-गंगा मैदान परिदृश्य परिसर

उत्तराखंड

178

227

340

442

560

उत्तर प्रदेश

109

118

117

173

205

बिहार

10

8

28

31

54

शिवालिक गंगा

297

353

485

646

819

 

मध्य भारतीय परिदृश्य परिसर और पूर्वी घाट परिदृश्य परिसर

आंध्र प्रदेश

95

72

68

48

63

तेलंगाना

-

-

-

26

21

छत्तीसगढ

26

26

46

19

17

मध्य प्रदेश

300

257

308

526

785

महाराष्ट्र

103

169

190

312

444

ओडिशा

45

32

28

28

20

राजस्थान

32

36

45

69

88

झारखंड

-

10

3

5

1

मध्य भारत

601

601

688

1033

1439

 

पश्चिमी घाट परिदृश्य परिसर

कर्नाटक

290

300

406

524

563

केरल

46

71

136

190

213

तमिलनाडु

76

163

229

264

306

गोवा

-

-

5

3

5

पश्चिमी घाट

412

534

776

981

1087

 

उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ और ब्रह्मपुत्र बाढ़ के मैदान

असम

70

143

167

190

229

अरुणाचल प्रदेश

14

-

28

29

9

मिजोरम

6

5

3

0

0

नागालैंड

-

-

-

0

0

उत्तरी पश्चिम बंगाल

10

-

3

0

2

उत्तर पूर्वी पहाड़ियाँ, और ब्रह्मपुत्र

100

148

201

219

236

सुंदरबन

-

70

76

88

101

कुल

1411

1706

2226

2967

3682

अनुलग्नक-II

पिछले तीन वर्षों और वर्तमान के दौरान पुष्टिकृत अप्राकृतिक कारणों (अवैध शिकार, जब्ती और अप्राकृतिक, लेकिन शिकार नहीं) के कारण खोए गए बाघों का राज्यवार विवरण

राज्य

2021

2022

2023

2024

(20.11.2024 तक)

पी

एस

यूएनपी

पी

एस

यूएनपी

पी

एस

यूएनपी

पी

एस

यूएनपी

आंध्र प्रदेश

-

-

1

2

-

-

1

-

-

-

-

-

अरुणाचल प्रदेश

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

असम

-

-

-

-

-

2

-

3

-

-

-

-

बिहार

-

-

-

-

-

1

1

1

-

-

-

-

छत्तीसगढ

-

-

2

-

-

-

-

-

-

-

-

-

दिल्ली

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

गोवा

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

गुजरात

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

हरियाणा

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

झारखंड

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

कर्नाटक

-

-

1

3

-

-

-

-

-

-

-

-

केरल

-

-

-

-

-

3

1

-

1

-

-

-

मध्य प्रदेश

3

-

1

5

1

1

5

-

3

1

-

-

महाराष्ट्र

5

-

2

2

-

2

1

-

3

-

-

-

नगालैंड

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

ओडिशा

-

-

-

-

1

-

-

-

-

-

-

-

राजस्थान

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

तमिलनाडु

-

-

1

-

-

1

2

-

1

-

-

-

तेलंगाना

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

उत्तर प्रदेश

-

1

2

-

-

-

-

-

-

-

-

-

उत्तराखंड

-

-

1

-

-

1

1

-

1

-

-

-

पश्चिम बंगाल

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

-

कुल

8

1

11

12

2

11

12

4

9

1

0

0

पी – अवैध शिकार

एस – जब्ती

यूएनपी – अप्राकृतिक, लेकिन अवैध शिकार नहीं

यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

***

एमजी/केसी/जेके


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