संस्कृति मंत्रालय
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु उत्कल केशरी डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती समारोह का उद्घाटन करेंगी
Posted On:
20 NOV 2024 6:53PM by PIB Delhi
उत्कल केशरी डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती समारोह का उद्घाटन कल सुबह 11.30 बजे विज्ञान भवन में होगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि होंगी। शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत और ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण माझी भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे।
कटक से सांसद और डॉ. हरेकृष्ण महताब के पुत्र श्री भर्तृहरि महताब भी ओडिशा के शेर के प्रभाव और विरासत को सम्मानित करने वाले कार्यक्रम का हिस्सा होंगे।
डॉ. हरेकृष्ण महताब के सम्मान में एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का इस कार्यक्रम में जारी किया जाएगा। साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन, ने कल के कार्यक्रम के दौरान विमोचन के लिए ओडिया में एक मोनोग्राफ, गान मजलिस का अंग्रेजी अनुवाद और गांव मजलिस का हिंदी अनुवाद तैयार किया है।
इसके अलावा, संस्कृति मंत्रालय द्वारा उनके जीवन और विरासत पर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में ओडिया कलाकारों की कृतियाँ भी दिखाई जाएँगी जो पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हैं और संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन ललित कला अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय चित्रकला शिविर में भाग ले रहे हैं।
श्रीमती सुस्मिता दास एक संगीत कार्यक्रम के द्वारा ओडिशा के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को आदराँजलि अर्पित करेंगी।
डॉ. हरेकृष्ण महताब, जिन्हें "उत्कल केशरी" के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म 21 नवंबर 1899 को ओडिशा के अगरपारा में हुआ था। वे भारतीय इतिहास के एक बहुमुखी नेता थे, जिन्हें स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, इतिहासकार, लेखक, समाज सुधारक और पत्रकार के रूप में जाना जाता है। वे स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस और महात्मा गांधी जैसी हस्तियों से बहुत प्रभावित थे। उनका राजनीतिक जीवन कॉलेज के दौरान शुरू हुआ जब उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के कार्यक्रमों, जैसे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह आदि में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्हें उनकी सक्रियता के लिए कई बार गिरफ्तार किया गया और उन्होंने ओडिशा को भारत संघ में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डॉ. हरेकृष्ण महताब रियासत के अंतिम प्रधानमंत्री थे। बाद में स्वतंत्र भारत में मुख्यमंत्री के रूप में, उन्होंने ओडिशा के औद्योगिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया और राज्य के आर्थिक विकास की वकालत की। डॉ. हरेकृष्ण महताब महत्वपूर्ण साहित्यिक भी थे, जिन्होंने ओडिया और अंग्रेजी दोनों में व्यापक रूप से लिखा और अपने काम के लिए प्रशंसा प्राप्त की, जिसमें 'ओडिशा का इतिहास' ऐतिहासिक विवरण भी शामिल है और 1983 में 'गाँव मजलिस' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता। उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में भी कार्य किया और 1962 में निर्विरोध लोकसभा के लिए चुने गए।
डॉ. हरेकृष्ण महताब को उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति, संकल्प और प्रभाव के कारण राज्य के अग्रणी नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है।
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