उप राष्ट्रपति सचिवालय
बदलाव का सबसे बड़ा केंद्र है शिक्षा - उपराष्ट्रपति
अनुशासन एवं मानव निर्माण के लिए युवाओं में श्रेष्ठ गुणों का संचार आवश्यक - उपराष्ट्रपति
भारत की आत्मा ग्रामीण अंचल में है - उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने कहा, बच्चों को कौशलयुक्त बनाएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
विश्व बाल दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति ने जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्रों को संबोधित किया।
Posted On:
20 NOV 2024 3:53PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति ने आज कहा कि शिक्षा समाज में बदलाव और समानता स्थापित करने का सबसे बड़ा केंद्र है। उन्होंने कहा, “शिक्षा समाज में समानता को बढ़ावा देती है और असमानता को समाप्त करती है। शिक्षा हमें जो चरित्र प्रदान करती है, वही हमें परिभाषित करता है।”
राजस्थान के झुंझुनूं जिले के काजरा स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए विश्व बाल दिवस के अवसर पर उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने अनुशासन, संस्कार और मानव निर्माण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कहा, “आपकी उम्र में संस्कारी बनना आवश्यक है। माता-पिता का सम्मान करना, गुरूजनों को प्रणाम करना, आपसी भाईचारे को बढ़ाना और अनुशासन दिखाना आपके जीवन के अभिन्न हिस्से होने चाहिए। मानव निर्माण के लिए श्रेष्ठ आदतों का संचार आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में युवाओं के लिए उभरते अवसरों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आज की सरकारी नीतियों ने आपकी प्रतिभा को चमकाने के लिए अनेक मंच प्रदान किए हैं।”
छात्रों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “आप सभी ग्रामीण भारत की रीढ़ की हड्डी हैं। याद रखें, भारत की आत्मा ग्रामीण आंचल में है। हमारी जड़ें ग्रामीण भारत में ही मजबूत होती हैं। हमारा अन्नदाता किसान भी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहता है।” उन्होंने कहा कि पंचायत राज और नगर पालिका जैसी संस्थाओं के माध्यम से भारत ने लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक सशक्त किया है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे एक “गेम-चेंजर” बताया। उन्होंने कहा, “तीन दशकों के बाद भारत को एक नई शिक्षा नीति मिली है, जिसका उद्देश्य छात्रों को केवल पुस्तकों और डिग्रियों के बोझ से मुक्त करना और उन्हें कौशलयुक्त बनाना है। यह नीति भारत को 2047 तक विकसित भारत के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।”
उन्होंने छात्रों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करते हुए आग्रह किया कि वे अपने दादा-दादी और नाना-नानी के नाम पर पेड़ लगाएं। उन्होंने संस्थानों से अपील की कि वे इस नेक कार्य को ‘मिशन मोड’ में लेकर चलें। उपराष्ट्रपति ने कहा, “जब आप इस विद्यालय से बाहर जाएं, तो आपको ऐसा अनुकरणीय आचरण दिखाना चाहिए, जो इस विद्यालय के गौरव को बढ़ाए।”
उपराष्ट्रपति ने अंत में बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और उनकी कार्यशैली की सराहना की, जिसने भारत के युवाओं को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए मंच प्रदान किया है।
इस अवसर पर राजस्थान सरकार के शहरी विकास विभाग के राज्य मंत्री श्री झाबर सिंह खर्रा, नवोदय विद्यालय समिति की आयुक्त एवं शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त सचिव श्रीमती प्राची पांडेय, जेएनवी काजरा, झुंझुनूं के प्राचार्य श्री संजय कुमार यादव एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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