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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 52वें वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय आरएसएसडीआई सम्मेलन का उद्घाटन किया,  लक्षण प्रकट होने से पहले और मधुमेह से पूर्व की अवस्था में मधुमेह की रोकथाम का समर्थन किया;  इससे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान से बचाने में सहायता मिल सकती है; विशेष रूप से युवा और गर्भवती महिलाओं में सख्त निवारक उपायों पर जोर दिया


आरएसएसडीआई ने भारत में मधुमेह की रोकथाम के लिए तत्काल उपाय करने का आग्रह किया, ग्रामीण-शहरी रोकथाम रणनीति और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने का आह्वान किया

Posted On: 15 NOV 2024 8:14PM by PIB Delhi

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह जो राष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने प्रोफेसर और मधुमेह रोग विशेषज्ञ हैं, उन्होंने आज रिसर्च सोसाइटी फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज इन इंडिया (आरएसएसडीआई) के 52वें अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने लक्षण दिखने से पहले और मधुमेह से पूर्व की अवस्था में मधुमेह की रोकथाम का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इससे गुर्दे, हृदय आदि जैसे महत्वपूर्ण अंगों को होने वाले नुकसान से बचाने में सहायता मिल सकती है।

दुनिया भर से आए स्वास्थ्य पेशेवरों और मधुमेह रोग विशेषज्ञों के एक प्रतिष्ठित श्रोता समूह को संबोधित करते हुए मंत्री ने विशेष रूप से युवाओं और गर्भवती महिलाओं में लक्षण विकसित होने से पहले मधुमेह की रोकथाम के लिए पूर्व-निवारक रणनीतियों के महत्व पर जोर दिया। उनके संबोधन में भारत में मधुमेह के बढ़ते रोगियों की समस्या से निपटने की तत्काल आवश्यकता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को कम करने के उपायों की आवश्यक भूमिका पर जोर दिया गया।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विशेष रूप से युवाओं और गर्भवती महिलाओं के लिए सख्त निवारक उपाय करने का आह्वान किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "मधुमेह से जुड़ी जटिलताएं प्राय: लक्षण दिखने से पहले ही शुरू हो जाती हैं जिससे महत्वपूर्ण अंगों को पता चले बिना धीरे-धीरे नुकसान पहुंचता है।" उन्होंने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और आम जनता दोनों से विशेष रूप से टाइप 2 मधुमेह रोग के बारे में जागरूकता और रोकथाम के प्रयासों को बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने अपने संबोधन में गर्भावस्था के दौरान "जन्म से पूर्व" मधुमेह रोग के नियंत्रण की अवधारणा का भी उल्लेख किया। यह एक ऐसी परिकल्पना है जिसमें गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए स्वस्थ परिस्थितियों को बढ़ावा देकर प्रारंभिक अवस्था से ही ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित कर भावी पीढ़ियों में मधुमेह रोग के वंशानुगत जोखिम को कम किया जा सकता है।

सम्मेलन में आरएसएसडीआई की रिपोर्ट भी जारी की गई। इस रिपोर्ट में भारत में 101 मिलियन से अधिक व्यक्तियों में मधुमेह होना और इसके अतिरिक्त 136 मिलियन लोगों का मधुमेह की पूर्व की अवस्था में होने के बारे में बताया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मधुमेह शहरी क्षेत्रों की तरह ही तेजी से बढ़ रहा है। यह जीवनशैली में बदलाव और सीमित स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के कारण इस बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है। भारत में 11.4 प्रतिशत लोग मधुमेह से ग्रसित हैं। इसलिए इस बारे में तत्काल उपाय करने की आवश्यता है। इसमें बात पर जोर दिया गया है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की आबादी में मधुमेह के प्रसार को धीमा करने के लिए लक्षित समुदाय-केंद्रित रोकथाम रणनीतियां महत्वपूर्ण हैं।

इन बढ़ती चुनौतियों के जवाब में, आरएसएसडीआई ने एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने का प्रस्ताव किया है जिसमें टेलीमेडिसिन सेवाओं का विस्तार, ग्रामीण स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और राष्ट्रीय बीमा योजनाओं के तहत मधुमेह के उपचार को शामिल करने वाली नीतियों का समर्थन करना शामिल है। आरएसएसडीआई भारत की क्षेत्रीय विविधता को ध्यान में रखते हुए मधुमेह नियंत्रण को सुलभ और प्रभावी बनाने के लिए सांस्कृतिक रूप से अनुकूलित आहार और जीवन शैली दिशानिर्देशों के महत्व को भी रेखांकित करता है। इसके अलावा, संगठन मधुमेह के उपचार में अधिक लक्षित और प्रभावशाली परिणामों के लिए रोग की निगरानी और उपचारात्मक एवं निवारक उपायों की सिफारिश करता है। साथ में, ये उपाय एक समग्र, समावेशी रणनीति के साथ मधुमेह महामारी से निपटने की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

नई दिल्ली के यशोभूमि सम्मेलन केंद्र में आयोजित इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह महासंघ के अध्यक्ष प्रोफेसर पीटर श्वार्ज और 20,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में मुख्य भाषण, संवादात्मक कार्यशालाएं और पूर्ण सत्र आयोजित किए गए जिनमें मधुमेह की रोकथाम, नैदानिक ​​देखभाल और नई सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों पर चर्चा की गई। 27 विश्व प्रसिद्ध संकाय सदस्यों और सुदर्शन पटनायक द्वारा रेत कला स्थापना जैसी अनूठी विशेषताओं के साथ सम्मेलन मधुमेह अनुसंधान और सहायक देखभाल समाधानों को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रमुख वैश्विक मंच के रूप में अपनी स्थिति को रेखांकित करता है।

मुख्य अतिथि और आरएसएसडीआई के आजीवन संरक्षक के रूप में डॉ. जितेन्द्र सिंह की उपस्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा के प्रति उनकी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है साथ ही पूरे भारत में मधुमेह की रोकथाम के लिए सक्रिय उपायों के लिए एक प्रेरणादायक आह्वान भी करती है।

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