पंचायती राज मंत्रालय
अपनी तरह के पहले वित्त आयोग के सम्मेलन में ग्रामीण राजकोषीय हस्तांतरण और विकास के लिए रणनीतिक रोडमैप तैयार किया गया
डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने सतत ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए स्वयं के स्रोतों से राजस्व बढ़ाने का आह्वान किया
स्थानीय निकाय अनुदान और पंचायत वित्त पर सत्रों ने राजकोषीय पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित किया
Posted On:
14 NOV 2024 7:13PM by PIB Delhi
ग्रामीण शासन को मजबूत करने और भारत के स्थानीय शासन के वित्तीय ढांचे को नया स्वरूप देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, पंचायती राज मंत्रालय द्वारा आज विज्ञान भवन में “विकास के लिए हस्तांतरण” विषय पर वित्त आयोगों का एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 22 राज्यों के 150 से अधिक प्रतिष्ठित प्रतिभागियों ने पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) के वित्तीय ढांचे को मजबूत करने पर विचार-विमर्श किया।
सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने मुख्य वक्तव्य दिया और राजकोषीय हस्तांतरण के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया, जिसमें सतत ग्रामीण विकास के लिए स्वयं श्रोत राजस्व (ओएसआर) को बढ़ाने की अनिवार्यता पर जोर दिया गया। 11 राज्यों में व्यापक परामर्श से लाभ उठाते हुए, उन्होंने ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों के बीच चुनौतियों के अभिसरण, विशेष रूप से अपशिष्ट प्रबंधन और कार्बन उत्सर्जन में, एकीकृत विकास दृष्टिकोण की वकालत की। डॉ. पनगढ़िया ने जोर देकर कहा कि सतत ग्रामीण विकास का मार्ग स्वयं स्रोत राजस्व (ओएसआर) को मजबूत करने में निहित है। उन्होंने कहा, " जब नागरिक करों के माध्यम से योगदान करते हैं, तो वे स्थानीय शासन में सक्रिय हितधारक बन जाते हैं," उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे यह भागीदारी जमीनी स्तर पर बढ़ी हुई जवाबदेही और अधिक उत्तरदायी सेवा वितरण की ओर ले जाती है।
पंचायती राज मंत्रालय के सचिव श्री विवेक भारद्वाज ने राज्य वित्त आयोगों की संस्थागत क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए मंत्रालय की रणनीतिक पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद द्वारा विशेष ओएसआर प्रशिक्षण मॉड्यूल के विकास और बेहतर डेटा विश्लेषण और मांग एकत्रीकरण के लिए समर्थ पोर्टल की तैनाती सहित प्रणालीगत सुधारों के कार्यान्वयन का विवरण दिया। डिजिटल परिवर्तन के लिए मंत्रालय की प्रतिबद्धता 37,000 ग्राम पंचायतों को कंप्यूटरीकृत करने और 3,000 से अधिक आबादी वाले 40,000 स्थानों पर ग्राम पंचायत भवन स्थापित करने की इसकी व्यापक योजना से स्पष्ट होती है। राजकोषीय पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में, ई-ग्रामस्वराज पोर्टल पर ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) में ओएसआर विवरणों को अनिवार्य रूप से उद्धृत करने को शामिल करना एक महत्वपूर्ण सुधार है। मंत्रालय का समर्पित ओएसआर सेल राज्यों में राजस्व नियमों की समीक्षा और उन्हें सुव्यवस्थित करने, स्थानीय शासन में दक्षता बढ़ाने के लिए जटिल प्रक्रियाओं को सरल बनाने और अधिक कुशल स्थानीय संसाधन जुटाने की सुविधा प्रदान करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है।
पंचायती राज मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री आलोक प्रेम नागर ने स्थानीय निकायों के वित्त को मजबूत बनाने में प्रमुख चुनौतियों और रणनीतिक पहलों को रेखांकित करते हुए एक व्यापक प्रस्तुति दी। पहले तकनीकी सत्र में स्थानीय निकाय अनुदानों पर गहन चर्चा की गई, जिसमें बंधे और खुले अनुदानों के बीच सूक्ष्म संतुलन की जांच की गई। प्रतिभागियों ने स्थानीय निकाय खातों की ऑनलाइन उपलब्धता से पारदर्शिता बढ़ाने और मजबूत लेखा परीक्षा तंत्र स्थापित करने पर विस्तृत चर्चा की। राज्य वित्त आयोग (एसएफसी) के अध्यक्षों ने अनुदान उपयोग दक्षता में सुधार और समय पर धन प्रवाह सुनिश्चित करने पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। दूसरे सत्र में विशेष रूप से पंचायत वित्त पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें ग्रामीण शासन की महत्वपूर्ण त्रिमूर्ति - तीन 'एफ': फंड, फंक्शन और फंक्शनरी को संबोधित किया गया।
राज्य वित्त आयोगों को मजबूत बनाने पर विशेष जोर दिया गया, जिसमें भाग लेने वाले अध्यक्षों ने राजकोषीय हस्तांतरण में चुनौतियों पर चर्चा की और अधिक प्रभावी संसाधन आवंटन के लिए समाधान प्रस्तावित किए। चर्चाओं में क्षेत्र-विशिष्ट चुनौतियों के लिए लचीलापन बनाए रखते हुए एसएफसी संचालन को मानकीकृत करने के महत्व पर प्रकाश डाला गया। तेजी से विकास के प्रबंधन में पेरी-अर्बन पंचायतों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों पर विशेष ध्यान दिया गया।
समापन सत्र में डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने अपने संबोधन में पूरे दिन की चर्चा को स्थानीय निकायों के वित्त को मजबूत करने के लिए कार्यान्वयन की सिफारिशों में संश्लेषित किया। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव श्री अजय सेठ और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव श्री अशोक केके मीना सहित विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति ने ग्रामीण विकास के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को मजबूत किया।
स्थानीय निकाय वित्त और शासन के प्रमुख पहलुओं पर केंद्रित इस तरह के इस पहले सम्मेलन में भारत के प्रभावी वित्तीय विकेंद्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। चारों सत्रों में व्यापक चर्चा और साझा प्रतिबद्धताएं जमीनी स्तर पर वित्तीय सशक्तिकरण और जवाबदेह शासन के एक नए युग की शुरुआत करने का वादा करती हैं, जिसमें राज्य वित्त आयोग प्रभावी संसाधन आवंटन और उपयोग सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभाएंगे।
स्थानीय निकाय वित्त के भविष्य के नीतिगत निर्णयों पर विशेष रूप से राज्य वित्त आयोगों की संस्थागत क्षमता को मजबूत करने और पंचायती राज संस्थाओं की वित्तीय स्वायत्तता बढ़ाने में इन सत्रों के परिणामों से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। यह सशक्त स्थानीय शासन संरचनाओं के माध्यम से सतत और समावेशी ग्रामीण विकास के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राज्य वित्त आयोगों (एसएफसी) के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष, एसएफसी सदस्य और सदस्य सचिव, राज्य वित्त विभागों के प्रधान सचिव और सचिव, तथा शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञ सहित सम्मेलन में 22 राज्यों के 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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