भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
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भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद कार्य समूह 2 के अंतर्गत समुद्री प्लास्टिक कूडें का मूल्यांकन एवं निगरानी उपकरणों पर ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन

Posted On: 08 NOV 2024 9:21PM by PIB Delhi

हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) कार्य समूह 2 ने 08 नवंबर, 2024 को "समुद्री प्लास्टिक कूड़े का मूल्यांकन एवं निगरानी उपकरणों" पर एक ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण को संबोधित करने एवं अभिनव निगरानी समाधानों पर चर्चा करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के विशेषज्ञ और अधिकारी एक मंच पर आए। कार्यशाला में प्लास्टिक कचरे की निगरानी के लिए नए डिजिटल उपकरणों की खोज करने और प्लास्टिक कूड़े से निपटने में भारत की अनूठी चुनौतियों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

इस कार्यक्रम की शुरुआत नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट फॉर वाटर रिसर्च (एनआईवीए) के अनुसंधान निदेशक डॉ मैरिएन ऑलसेन के उद्घाटन भाषण के साथ हुई, जिन्होंने प्रतिभागियों का स्वागत किया और सहयोगात्मक चर्चाओं के लिए मंच तैयार किया। डॉ. परविंदर मैनी, वैज्ञानिक सचिव, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय और सुश्री सिग्ने रत्सो, अनुसंधान एवं नवाचार महानिदेशालय, यूरोपीय आयोग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की उप महानिदेशक ने अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और साझा विशेषज्ञता के माध्यम से प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल देते हुए अपना उद्घाटन भाषण दिया।

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(डॉ. परविंदर मैनी, वैज्ञानिक सचिव, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय उद्घाटन भाषण देते हुए)

डॉ. परविंदर मैनी ने सहयोग के महत्व पर बल देते हुए कहा कि प्लास्टिक कूड़े की निगरानी एवं न्यूनीकरण पर भारत और यूरोपीय संघ के बीच यह साझेदारी न केवल समयानुकूल है बल्कि ऐसे समाधान विकसित करने के लिए आवश्यक है जो वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली एवं स्थानीय रूप से व्यवहार्य हैं। सुश्री सिग्ने रत्सो ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह तकनीकी नवाचारों को साझा करने और हाल ही में स्थापित व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद अवसंरचना में आम हितों पर चर्चा करने में यूरोपीय संघ और भारत के बीच उत्कृष्ट सहयोग को दर्शाता है।

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(सुश्री सिग्ने रत्सो, अनुसंधान एवं नवाचार महानिदेशालय, यूरोपीय आयोग में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की उप महानिदेशक कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालती हुईं)

कार्यशाला की कार्यसूची में आईआईएससी बैंगलोर के मुख्य अनुसंधान वैज्ञानिक, प्रोफेसर एचएन चाणक्य द्वारा प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में भारतीय संदर्भ पर एक विस्तृत प्रस्तुति शामिल थी। इसके बाद प्लास्टिक कूड़े की निगरानी में सहायता करने के लिए एनआईवीए टीम द्वारा डिजाइन किए गए ई-लर्निंग टूल का परिचय दिया गया। इस सत्र का नेतृत्व एनआईवीए के प्रो. बर्ट वान बावेल और डॉ. ओडा एलिंग्सन ने किया, जिसमें उपकरणों की कार्यप्रणाली में अंतर्दृष्टि प्रदान की गई और इसके तीन मॉड्यूल प्रदर्शित किए गए, जिनमें दो परिचयात्मक मॉड्यूल और एक प्लास्टिक कचरे का आकलन करने के लिए थर्मो विश्लेषणात्मक उपायों पर केंद्रित था।

कार्यशाला के भाग के रूप में, भारतीय विशेषज्ञों ने भारतीय संदर्भ में आने वाली विशिष्ट आवश्यकताओं एवं चुनौतियों पर अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए और ई-लर्निंग टूल पर अपनी प्रतिक्रिया दी। डॉ. स्मिता मोहंती, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीआईपीईटी, भुवनेश्वर; प्रोफेसर ई वी रामासामी, पूर्व प्रोफेसर, एमजी विश्वविद्यालय, केरल; डॉ. के. रामू, वैज्ञानिक एफ, राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय; और डॉ महुआ साहा, प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। सभी विशेषज्ञों ने क्षेत्रीय आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला और भारतीय परिदृश्यों में ई-लर्निंग टूल के अनुप्रयोग में अपनी मूल्यवान फीडबैक दी।

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(एनआईवीए से प्रोफेसर बर्ट वान बावेल ई-लर्निंग पाठ्यक्रम में अंतर्दृष्टि प्रदान की)

इस कार्यक्रम में एक संवादात्मक पैनल चर्चा हुई, जहां प्रतिभागियों ने एनआईवीए टीम से बातचीत की, फीडबैक साझा की और अनुरूप ई-लर्निंग मॉड्यूल विकसित करने, डेटा निगरानी में सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने, मौजूदा प्रौद्योगिकियों/ समाधानों पर जानकारी आदान-प्रदान करने, संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं की शुरुआत एवं प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के प्रयासों को बढ़ाने हेतु क्षमता निर्माण पर भविष्य में सहयोग पर चर्चा की। कार्यशाला के अंत में, ई-लर्निंग टूल पर प्रतिभागियों के विचारों का आकलन करने एवं आगे सुधार करने के लिए उनके सुझावों को इकट्ठा करने के लिए एक प्रश्नावली वितरित की गई। समापन सत्र में, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में वैज्ञानिक 'डी' डॉ. हफ्सा अहमद ने भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल से श्री किंचित बिहानी के साथ आगामी आइडियाथॉन पहल की घोषणा की, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में नवाचार को बढ़ावा देना और भारत-यूरोपीय संघ के सहयोग को मजबूत करना है।

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(समुद्री प्लास्टिक कूड़े पर आइडियाथॉन का शुभारंभ)

कार्यशाला का समापन डॉ. मनोरंजन मोहंती, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय में सलाहकार और सुश्री निएनके बुइसमैन, यूरोपीय आयोग के अनुसंधान और नवाचार महानिदेशालय में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग इकाई की प्रमुख द्वारा दिए गए आधिकारिक समापन भाषण के साथ हुआ।

डॉ. परविंदर मैनी और सुश्री सिग्ने रत्सो ने प्रतिभागियों के प्रति उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया और डेटा-संचालित दृष्टिकोण एवं आपसी सहयोग के माध्यम से संयुक्त रूप से प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए यूरोपीय संघ और भारत की प्रतिबद्धता दोहराई।

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(कार्यशाला के प्रतिभागियों की समूहिक तस्वीर)

कार्यशाला में भारत सरकार के वरिष्ठ प्रतिनिधियों, संबद्ध मंत्रालयों, भारत और यूरोपीय संघ के अकादमिक एवं अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जो प्रौद्योगिकी, नवाचार और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के साझा मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यशाला में 30 भारतीय प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद हमारे द्विपक्षीय वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग का आधार बन चुकी है। इस कार्यशाला के सफल समापन ने हमारे जुड़ाव में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है।

भारत और यूरोपीय संघ द्वारा स्थापित व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद के संदर्भ में

भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) की घोषणा पहली बार यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष, उर्सुला वॉन डेर लेयेन और भारत के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल 2022 में की थी। इसकी स्थापना 06 फरवरी, 2023 को हुई थी, यह रणनीतिक समन्वय तंत्र दोनों पक्षों को व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी एवं सुरक्षा संबंधों में चुनौतियों से निपटने में मदद करता है और इन क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करता है। भारत-यूरोपीय संघ टीटीसी की स्थापना भारत और यूरोपीय संघ के सभी लोगों के लाभ हेतु एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

टीटीसी दोनों भागीदारों के बीच व्यापार एवं प्रौद्योगिकी पर रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। भू-रणनीतिक चुनौतियों ने साझा मूल्यों के आधार पर सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने की दिशा में यूरोपीय संघ और भारत के साझा हितों को मजबूत किया है।

टीटीसी में तीन कार्य समूह हैं:

  1. रणनीतिक प्रौद्योगिकियों, डिजिटल प्रशासन और डिजिटल संपर्क पर कार्य समूह 1
  2. हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर कार्य समूह 2; और
  3. व्यापार, निवेश और लचीली मूल्य श्रृंखला पर कार्य समूह 3।

ये कार्य समूह अब संयुक्त रूप से पहचाने गए उद्देश्यों एवं प्रमुख कार्यों को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। हरित एवं स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों पर भारत-यूरोपीय संघ टीटीसी कार्य समूह 2 का नेतृत्व भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और यूरोपीय संघ की ओर से यूरोपीय आयोग के अनुसंधान और नवाचार महानिदेशालय द्वारा किया जा रहा है।

दोनों पक्ष समुद्री प्लास्टिक कूड़े का आकलन एवं निगरानी उपकरणों पर इस कार्यशाला जैसी पहलों के माध्यम से इस क्षेत्र में हुई प्रगति पर 2025 में मंत्री स्तर की अगली टीटीसी बैठक में रिपोर्ट करेंगे। समुद्री प्लास्टिक कूड़े पर भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद डब्ल्यूजी2 सहयोग का परिणाम 2025 में अगले नेताओं के शिखर सम्मेलन के दौरान परिलक्षित होगा।

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