उप राष्ट्रपति सचिवालय
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असम के गुवाहाटी में कृष्णगुरु इंटरनेशनल स्पिरिचुअल यूथ सोसाइटी के 21वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ

Posted On: 27 OCT 2024 8:31PM by PIB Delhi

श्री कृष्णगुरू परमानंद जी महाराज आपके चरणों में नमन,

जब यहां पर आया और श्रद्धेय श्री कृष्णगुरु परमानंद जी महाराज के साथ एक नाम कृष्णगुरु कई पलो तक यह नाम मेरे कानों में गूंजता रहा, मुझे ऊर्जा देता रहा। मैं यहां से बहुत बड़ी ताकत लेकर जा रहा हूं एक नाम में सब कुछ समाहित है, एक नाम कृष्णगुरु!

इसके जाप से हमारी सभ्यता की आध्यात्मिकता, उत्कृष्टता और अमृत का संगम होता है।

यह पल मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा इस पल के माध्यम से मेरा जुड़ाव मजबूत हुआ है, खास तौर से हमारी युवा पीढ़ी के साथ, मजबूत युवा पीढ़ी के साथ जो मैं सामने देख रहा हूं। उल्लेखनीय शानदार युवा युवाओं की एक परिभाषा के साथ सभा, जो राष्ट्रवाद से होतप्रोत हैं आध्यात्मिकता की सोच वाले है उनके दिल और दिमाग में समाज को देने का है क्योंकि उनका आदर्श है एक नाम कृष्णगुरू। दोस्तों, मैंने यहाँ जो देखा वह शक्तिशाली दिव्य ऊर्जा की अभिव्यक्ति है।

यह डिवाइन एनर्जी कहां से आई परम पूज्य कृष्णगुरू जी से। वे ईश्वरीय कृपा के सार स्वरूप हैं तथा प्रेम, सेवा और मानवता की शिक्षाओं से अपने भक्तों के हृदयों को आलोकित करते हैं।

अंदाजा लगाइए उनके वचन अमृत हैं सबके दिलों को जोड़ते हैं प्यार से सद्भावना से जब ऐसा विचार मन को प्रफुल्लित करता है तो दिल दिमाग आत्मा एक होकर एक ही बात कहती है कि एक नाम कृष्णगुरु!

दोस्तो, दिवाली बस कुछ ही दिन दूर हैं। दीपावली का पर्व हम कैसे मनाते हैं, कितने दिए जलाते हैं हाल के वर्षों में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आभार, अयोध्या की दीपावली में एक नया रंग आ गया है। मैंने तो दीपावली से पहले दीपावली देख ली यहां, यह सभा मुझे याद दिलाती है, क्योंकि जो भी नवयुवक मेरे सामने है वह दिये से कम नहीं है, दिया तपस्या करता है औरों का प्रकाश बनता है।

मित्रों, परम पूज्य कृष्णगुरूजी के अध्यात्म और सेवा के प्रति हमारा कार्य हमें याद दिलाता है कि हम एक जीवंत परंपरा हैं। आखिर हमारे देश और दुनिया के और देशों में फर्क क्या है हमारी जो 5000 साल की सांस्कृतिक विरासत है। 5,000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत, विश्व में अद्वितीय, इसको जीवित जिन महापुरुषों ने रखा है बड़ा प्रयास करके रखा है चुनौतियों का सामना करते हुए रखा है। उनमें देयर इस द स्टार इन द स्काई, एक नाम कृष्णगुरू!

साथियो, गुवाहाटी सचमुच इस कॉन्क्लेव के लिए आदर्श स्थल है। इससे खूबसूरत जगह और क्या हो सकती है? भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र। मैं तो राजस्थान से आया हूं, माननीय मुख्यमंत्री जी मुझे यहां कई जगह ले गए। और जब मैंने देखा है, क्या देखा है? रोलिंग हिल्स, हरी-भरी घाटियों, शांत नदियों के लुभावने परिदृश्य। और यह सब ऐसा अलौकिक वातावरण बनाते हैं जहां आध्यात्मिकता और मानवता का कल्याण, दिल और दिमाग में छा जाती है।

मित्रों, इस क्षेत्र की विशुद्ध सुन्दरता आत्मनिरीक्षण और ध्यान के लिए अनुकूल शांति का वातावरण निर्मित करती है, जिससे आध्यात्मिकता की गहन खोज और जीवन की परस्पर संबद्धता के प्रति अधिक सराहना का अवसर मिलता है। आज के दिन सबसे बड़ी चुनौती है सोने का वातावरण होना चाहिए 10 साल पहले के हालात थे हम विचलित थे हम चिंतित थेl वहां विनाश और निराशा का माहौल था, अब हम आशा और संभावना का माहौल देख रहे हैं।

इन्हीं महापुरुषों के योगदान की वजह से आज हमारा भारत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया के हर कोने में महत्व रखता है ऐसा पहले कभी नहीं हुआ हाल वर्षों में।

मित्रों, मैं पूर्वोत्तर में हूं, प्राकृतिक सौहार्द के साथ पूर्वोत्तर उन सभी को आमंत्रित करता है जो आत्म-खोज, आंतरिक शांति के लिए आते हैं। मुझे तो आज यहां आकर अंतर्मन की शांति की एक नई भावना मिली आज मैं यहां आके धन्य हो गया जो धन में यहां से लेकर जा रहा हूं उसकी ताकत का अंदाजा लगाना मुश्किल है हमारी आध्यात्मिक विरासत और दुनिया में कहीं ऐसी हेरिटेज नहीं मिलेगी अद्वितीय और अनूठी हमारी आध्यात्मिक विरासत ज्ञान का खजाना है जो ग्रंथों, रामायण, महाभारत, भगवद गीता में समाहित है।

एक एक को ध्यान दीजिए कितना बड़ा ज्ञान रखा हुआ है उसे ज्ञान की आवश्यकता है हमारे युवा को क्योंकि भारत का भविष्य हमारे नवयुवकों के हाथ में है यह जो मूल मंत्र है जो सफलता की कुंजी है जो हमारी सांस्कृतिक विरासत भी है उसको जीवित और जीवन रखने में प्रमुख भूमिका निभाई है एक नाम कृष्णगुरु।

आध्यात्मिक ज्ञान के ये कालातीत भंडार नैतिक जीवन, निस्वार्थ कर्म और कर्तव्य के महत्व के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। यह तीनों की तीनों बातें हमारे नवयुवकों को ध्यान में रखने के लिए जरूरी है आपका आचरण उत्तम हो आपका आश्रम एथिकल हो उसमें कोई विकार ना हो आप काम सिर्फ स्वयं के लिए ना करें समाज के लिए करें राष्ट्र आपकी सोच की धुरी होनी चाहिए राष्ट्र को प्राथमिकता मिलनी चाहिए हम भारतीय हैं भारतीयता हमारी पहचान है और इस पहचान के लिए हम अपना सब कुछ लुटाने के लिए तैयार हैं यह संदेश दिया है एक नाम कृष्णगुरु।

आज के दिन हम जीने के लिए नहीं जी सकते जो सिर्फ जीने के लिए जीते हैं वह हमारे महापुरुषों का अनादर करते हैं हमारे महापुरूषों ने हमें एक दृष्टिकोण दिया है एक बड़ा उद्देश्य दिया है और इसीलिए हमारे साथ सूत्रों में कहा गया है वसुधैव कुटुंबकम यह हमारी सोच है हम सीमित नहीं है हममें सब कुछ समाहित है।

और ये शास्त्र, रामायण, महाभारत, भगवद गीता, उपनिषद, वेद, वे हमें क्या याद दिलाते हैं? कि हमारे कार्य एक उच्च उद्देश्य के लिए निर्देशित होना चाहिए, जिससे न केवल हमें बल्कि दूसरों को, हमारे समुदायों को भी लाभ हो। यह संदेश आज भी गहराई से गूंजता है। आज। उस संदेश को आज मैंने महसूस किया है परम पूज्य के साथ ध्वनि हुई उच्चारण हुआ एक नाम कृष्णगुरु, और यह जो गतिविधियां हैं। वे केवल सम्मेलनों तक ही सीमित नहीं हैं। कृष्णगुरु आध्यात्मिक विश्व विद्यालय भी है। यह भारतीय युवाओं को तैयार करने में एक अमूल्य भूमिका निभाता है। और देश को आगे ले जाने के लिए प्रगति के इंजन को फ्यूल देने के लिए भारतीय प्रधानमंत्री जी ने एक मूल मंत्र दिया कि देश में जो बहुत बड़ा यज्ञ हो रहा है जिस यज्ञ का उद्देश्य है 2047 में भारत एक विकसित भारत बनी श्रीमान नरेन्द्र मोदी जी ने कहा है। इसमें सबसे बड़ी आहुति हमारे नवयुवकों की है। आप शासन और लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण हितधारक हैं।

आप उस इंजन के लिए एक ईंधन हैं जो हमें 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाएगा। मुझे पूरा भरोसा, उम्मीद और आशावाद है, जिन लोगों के मन में कृष्णगुरु की भावना का संचार है वह देश के लिए समर्पित हैं उनका संकल्प एक ही है की हर हालत में मेरा भारत मेरा राष्ट्र सर्वोपरि है।

और ऐसा वातावरण है इस विश्वविद्यालय में युवा मस्तिष्क आध्यात्मिकता, नैतिकता और दर्शन की गहराई का पता लगा सकते हैं, जिससे उनमें संतुष्टि की भावना पैदा होगी, और एक बात जरूर कहूंगा कि भारत को समझिए, भारत मानवता का छठा हिस्सा है। भारत एक सभ्यता है, जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यता है। भारत एक ऐसा लोकतंत्र है जो सबसे जीवंत और क्रियाशील है। भारत इस समय एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जिसकी तुलना में कोई अन्य अर्थव्यवस्था नहीं है। हम दुनिया की पांचवी महाशक्ति है एक साल में जर्मनी और जापान को पीछे छोड़कर तीसरी बनेंगे यह सब युवाओं के द्वारा है यह आपके द्वारा है आपका रोल बहुत बड़ा है। मैं आपसे तीन बातें कहता हूं उन तीन बातों पर खास ध्यान दीजिए।

तीन सिद्धांत जो हमारे युवाओं को देश में परिवर्तनकारी तंत्र का हिस्सा बनने में मदद करेंगे, वे हैं; किसी भी हालत में आध्यात्मिकता से दूर मत हटिए, आध्यात्म का पाठ कृष्णगुरु जी ने पढ़ाया है, उसे पाथ से भटक गए तो गलत होगा उसे पाथ के साथ आप ध्यान रखिए राष्ट्रवाद का, आधुनिकता का, टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट का, बदलती हुई तस्वीर का इन तीनों का जब मिश्रण होता तो जैसा यहां कहा गया है बहुत सालों पहले वह दर्ज हमारे पास था विश्व गुरु का दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत का इसको कोई नहीं रोक पाएगा।

मैं आपसे गुजारिश करता हूं, मित्रों जब देश इतनी तीव्र प्रगति पर है तेजी से बढ़ती आर्थिक वृद्धि और विकास जो अविश्वसनीय है। जिस देश में हर साल चार एयरपोर्ट हो और एक मेट्रो हो यह कल्पना नहीं की थी जब भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र के रूप में विशालता के रूप में उभर रहा है, तो फिर कुछ लोगों को तकलीफ होनी ही है, कुछ देश में है कुछ देश के बाहर हैं उनका जवाब कौन देगा उनका जवाब आप देंगे क्योंकि आपने वह शिक्षा प्राप्त की है वह कृष्णगुरु जी की भावना है विचार है। और इसलिए हम अपने पूरे इतिहास में हमेशा अपने राष्ट्र के लिए खड़े हैं, हमें बहुत अच्छा मिलता रहा है कि हमारे महापुरूषों ने जब भी संकट आया हमारा हाथ पकड़ा और ऐसी संस्कृति दी चाहे कोविड महामारी हो चाहे कहीं अर्थक्वेक आ गया हो चाहे कोई और संकट आ गया हो हमारे मंदिर हमारे मठ आगे आए जनता को राहत दी है कौन से देश में ऐसा होता है निस्वार्थ तरीके से, केवल लोगों की मदद करने के लिए, और इसीलिए कहा गया है, कृष्णगुरु जी ने, खुद के आगे सोचिए।

अपने से आगे बढ़कर सोचें, समुदाय के लिए सोचें, राष्ट्र के लिए सोचें, और भारत एक ऐसा देश है जिसका भूगोल आध्यात्मिकता के ऐसे केंद्रों से भरा पड़ा है। आपके सेंटर में यहां पर हैं एक इस जगह पर मैं वर्तमान में हूं, मैं महसूस कर रहा हूं। मेरे युवा मित्रों, जब आप आध्यात्मिक जागृति के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो मैं आपको याद दिलाना चाहता हुं कि हमारे बीच एक और जागृति उभर रही है और वह है भारत का क्रमिक, निरंतर उत्थान। भारत सदियों से दबा हुआ था, अब वह मुक्त हो गया है।

एक ऐसा वातावरण भारत में प्रधानमंत्री की नीतियों से बन गया है जहां आज का नवयुग अपनी प्रतिभा को अनेक तरीके से चमका सकता है। यहां एक ऐसा इकोसिस्टम मौजूद है जहां हर युवा अपनी क्षमता और प्रतिभा का उपयोग कर सकता है, अपने सपनों और आकांक्षाओं को साकार कर सकता है, और जो भारत है पहले लोग कहते थे भारत एक सोया हुआ स्लीपिंग जायंट है। भारत अब उठ खड़ा हुआ है, भारत आगे बढ़ रहा है। यह वृद्धि अभूतपूर्व है, यह वृद्धि अजेय है, यह वृद्धि निरंतर है, यह वृद्धि 2047 में एक विकसित राष्ट्र के रूप में फलित होगी।

मैं आज से 34 साल पहले केंद्र में मंत्री था मैंने तब के हालात देखे हैं इंटरनेशनल मोनेटरी फंड हमें क्या कहता था, वर्ल्ड बैंक क्या कहता था हमारा सोना हवाई जहाज से स्विट्जरलैंड के बैंक में गया क्योंकि हमारी विदेशी मुद्रा लगभग एक बिलियन यूएस डॉलर था। मेरे युवा मित्रों, आज यह विदेशी मुद्रा 700 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है। 700 गुना की प्रगति कभी सोचा नहीं था।

पूरी दुनिया के नजर आज भारत पर है, भारत आज के दिन संस्थाओं के अनुसार अवसर और निवेश का एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है, और आज के समय प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता की वजह से हम क्या देख रहे हैं, हम पूर्वोदय का एक ऐसा चेहरा देख रहे हैं जिसकी कल्पना भी इस जगह के लोगों ने कभी नहीं की थी। मैं अपनी बात को समझाने के लिए आपको एक आंकड़ा देता हूँ। पिछले 10 वर्षों में, पिछले एक दशक में, केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र में 3.37 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। ये सिर्फ संख्याएँ नहीं हैं, कनेक्टिविटी के अलावा सड़कें, रेलवे और एयरपोर्ट का भी बहुत बड़ा योगदान है। पूर्वोत्तर का बदलाव समावेश की इसी भावना का प्रमाण है। दशकों से, इस क्षेत्र को विकास और कनेक्टिविटी से जुड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन आज, यह सर्वोच्च प्राथमिकता है। बहुत कुछ किया गया है, काम प्रगति पर है, और यह दिन-प्रतिदिन बदल रहा है।

90 के दशक के मध्य में जो लुक ईस्ट का विजन आया था, उसे प्रधानमंत्री मोदी ने और भी सार्थक आयाम दिया है। लुक ईस्ट, एक्ट ईस्ट इसका मतलब है कि भारत ने दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की तरफ देखना शुरू किया है। इस लुक ईस्ट, एक्ट ईस्ट नीति के कारण जहाँ हम दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों तक पहुँच रहे हैं, वहीं पूर्वोत्तर का गौरवशाली स्थान बना है। पूर्वोत्तर अवसरों का स्थान बन रहा है और सबसे बड़ी बात मेरे युवा साथियों, यह हमारे नवयुवकों के लिए जो ऑपच्यरुनिटीज का बास्केट है वह बढ़ता ही जा रहा है आप थोड़ा सा इस पर ध्यान केंद्रित कीजिए।

आपके पास अपनी प्रतिभा का उपयोग करने के लिए बहुत सारे अवसर हैं, क्योंकि सरकार ने पूर्वोत्तर को पोषित करने और उसे समृद्ध बनाने के लिए सकारात्मक नीतियां बनाई हैं। और यह केवल एक भौतिक परिवर्तन नहीं होने जा रहा है, पूर्वोत्तर की विशिष्ट पहचान और संस्कृति की मान्यता बढ़ रही है। हाल ही में आपने देखा होगा कि यह एक गौरवपूर्ण क्षण था जब एक बड़ी मांग पूरी हुई। बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत के साथ असमिया को भारत की शास्त्रीय भाषाओं में से एक के रूप में मान्यता मिलना असम के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है। माननीय मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर बहुत ही स्पष्ट रूप से अपनी गहरी खुशी व्यक्त करते हुए ट्वीट किया था।

इससे असम को अपनी सांस्कृतिक समृद्धी को और बढ़ाने में मदद मिलेगी। असम की समृद्ध सांस्कृतिक संपदा, स्थानीय भाषा की झलक अब हर जगह पहुंचेगी। मेरे दोस्तों, आपको पूर्वोत्तर में इस पुनर्जागरण को आगे बढ़ाने में अग्रणी भागीदार बनना होगा। जब आप आध्यात्मिकता और राष्ट्रवाद के एक विशिष्ट मिश्रण से पोषित होते हैं, तो आप संकोच के क्षेत्र से आत्मविश्वास की ओर बढ़ते हैं। अब तो पूरी तरह कॉन्फिडेंस का ही वातावरण है होप एंड पॉसिबिलिटी का है आप कुछ भी कर गुजर सकते हो सरकारी नीतियां सकारात्मक है दुनिया में देश की इज्जत बढ़ती जा रही है हमारी अर्थव्यवस्था में प्रगति हो रही है हमारा जो संस्थागत ढांचा है उसमें अकल्पनीय प्रगति हुई हैl मेरी उम्र के लोग कभी सपने में भी नहीं सोच सकते थे कि भारत में ऐसे हवाई अड्डे, सड़कें, आर्थिक उन्नति और सम्मेलन केंद्र होंगे जैसे दिल्ली में हैं, जहां हमने भारत मंडपम के रूप में जी-20 का आयोजन किया था।

पूर्वोत्तर हाशिये पर था। पूर्वोत्तर अब केंद्रीय मंच पर है, पूर्वोत्तर हमारी राष्ट्रीय कहानी है। मेरे युवा मित्रों, एक नया भारत उभर कर सामने आया है। आपको अधिक नेतृत्वकारी भूमिकाएँ निभानी चाहिए, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थापित करने में अधिक आत्मविश्वास होना चाहिए। देखिए आपका अपना राज्य, असम कैसे बदल रहा है। असम के दूत बनें, दुनिया को नए असम, नए पूर्वोत्तर और नए भारत की कहानी बताएं। असम ने अर्जुन भोगेश्वर बरुआ से लेकर लवलीना बोरगोहेन तक अंतरराष्ट्रीय स्तर के सांस्कृतिक और खेल दूत दिए हैं। हम अंतरराष्ट्रीय ख्याति के वैज्ञानिक, टेक्नोक्रेट, अर्थशास्त्री, विचारक पैदा करने का सपना क्यों नहीं देख सकते? मेरे युवा मित्रों, जैसा कि हम इस सम्मेलन के विषयों पर विचार करते हैं, मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि इस सम्मेलन से बाहर निकलने के बाद आप अपने कार्य का मार्ग तय करें।

आप जब यहां से जाएं एक संकल्प लेकर जाएं राष्ट्रवाद के प्रति समर्पण का संकल्प, संकल्प लेकर जाएं आज के नवयुवकों के ऊपर बहुत बड़ा भर है। प्रधानमंत्री जी ने जो करना था वह आपके लिए किया है विकसित भारत का जो सपना है उसको साकार करने में उसे यज्ञ में सबसे महत्वपूर्ण आहुति आपकी है। पूर्वोत्तर को एक हीलिंग टच की आवश्यकता है और इसका मार्गदर्शन एक नाम कृष्णगुरू द्वारा किया जा सकता है। एक नाम कृष्णगुरू को दृष्टिगत रखिए पूर्वोत्तर में हीलिंग टच आएगा।

मेरे युवा मित्रों, हमें याद रखना चाहिए कि आध्यात्मिकता में प्रेम, करुणा, धैर्य, सहनशीलता, क्षमा और जिम्मेदारी की भावना जैसे कुछ अंतर्निहित गुण होते हैं। जब हम इन मूल्यों को बढ़ावा देते हैं, तो हम एक शांतिपूर्ण और न्यायपूर्ण विश्व का मार्ग प्रशस्त करते हैं। और दुनिया में कोई देश अगर शांति, सद्भाव और खुशी की सोचता है तो वह भारत है। और यही हमारी सांस्कृतिक विरासत है और यही सोच हो चाहिए और इस सोच को आगे बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमारे राष्ट्रवाद की नींव मजबूत हो, स्थिर हो।

मैं युवाओं से आह्वान करता हूं कि वे अपनी पूरी ऊर्जा के साथ इन दुष्ट शक्तियों को बेअसर करें, और थोड़ी भी आपको दिक्कत आए तो एक सेकंड सोचिए एक नाम कृष्णगुरु।

अंत में मैं आपको यह कहूंगा, मैं आप सभी की उपस्थिति और भागीदारी के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। आध्यात्मिक विकास और सामुदायिक सेवा के प्रति आपकी प्रतिबद्धता प्रेरणादायी है। मैं कामना करता हूँ कि यह सम्मेलन आपको हमारी समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने, राष्ट्रवाद की भावना को पोषित करने और सेवा और ईमानदारी का जीवन जीने के लिए प्रेरित करे।

अंत में मैं यह कहूंगा, मैं सदा के लिए ऋणी बन गया, सदा के लिए ऋणी हो गया हुं, एक ही नाम जय कृष्णगुरु! जय कृष्णगुरु! जय कृष्णगुरु!

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एमजी/आरपीएम/केसी/डीवी


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