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भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना: नवाचार और विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये की उद्यम पूंजी कोष पहल

Posted On: 25 OCT 2024 5:32PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र का समर्थन करने के लिए 1,000 करोड़ रुपये के उद्यम पूंजी (वीसी) कोष की स्थापना को मंजूरी दे दी है। आईएन-स्पेस (इंडियन नेशनल स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर) के तत्वावधान में विकसित इस अग्रणी पहल का उद्देश्य अंतरिक्ष स्टार्टअप के विकास को बढ़ावा देना, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और देश को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। इस फंड की स्थापना नवाचार को बढ़ावा देने, आर्थिक विकास सुनिश्चित करने और उच्च तकनीक उद्योगों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरुप है और इस प्रकार आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों का समर्थन करती है।

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कोष के उद्देश्य और रणनीतिक दृष्टिकोण

1,000 करोड़ रुपये का वीसी फंड, अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप है और 2020 के अंतरिक्ष सुधारों में निर्धारित लक्ष्यों का समर्थन करता है। फंड को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उच्च-जोखिम, उच्च-इनाम क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों की अनूठी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। फंड का मकसद निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करना है:

  • पूंजी को लेकर प्रोत्साहन: पूंजी कोष के ज़रिए बाद के चरणों के विकास के लिए अतिरिक्त निवेश को प्रोत्साहित करने, बाजार के विश्वास को बढ़ाने और विकास के लिए ज़रुरी प्रारंभिक चरण में वित्तीय सहायता प्रदान करने की उम्मीद की जाती है।
  • प्रतिभा अवधारण और घरेलू विकास: कई भारतीय स्टार्टअप बेहतर वित्तीय अवसरों के कारण विदेशों में चले जाते हैं। यह फंड भारत के भीतर ऐसी प्रतिभाओं को बनाए रखने, प्रतिभा पलायन को रोकने और घरेलू अंतरिक्ष कंपनियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए काम करेगा।
  • अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का पांच गुना विस्तार: सरकार का लक्ष्य अगले दशक में भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को पांच गुना बढ़ाना है, जिससे अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में उभर सके।
  • तकनीकी प्रगति: नवाचार में निवेश अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने में मदद करेगा, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए जटिल समाधानों के विकास में मदद करेगा।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना: भारतीय कंपनियों को अनूठे अंतरिक्ष-आधारित समाधान विकसित करने में सक्षम बनाने से विदेशी प्रौद्योगिकी पर निर्भरता कम होगी और वैश्विक स्तर पर मजबूत प्रतिस्पर्धा होगी।
  • आत्मनिर्भर भारत का समर्थन: स्वदेशी स्टार्टअप में निवेश करके, यह फंड आत्मनिर्भरता के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बाहरी प्रौद्योगिकी पर कम निर्भरता के साथ साथ एक मज़बूत घरेलू अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है।
  • वाइब्रेंट इनोवेशन इकोसिस्टम बनाना: यह फंड स्टार्टअप्स को मदद करके और विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर एक गतिशील अंतरिक्ष नवाचार के तंत्र को बढ़ावा देना चाहता है। ऐसे वातावरण में नए विचारों, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा, जो भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में नवाचार के निरंतर चक्र को चलायमान रखेगा।
  • आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देना: अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप्स और उद्यमियों का समर्थन करके, फंड से आर्थिक गतिविधि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियों का निर्माण होगा। यह आपूर्ति श्रृंखला में कंपनियों को संचालन करने में सक्षम करेगा, जो वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति को बढ़ाएगा।

वित्तीय प्रभाव और तैनाती संरचना

1,000 करोड़ रुपये के वीसी फंड को पांच वर्षों में रणनीतिक रूप से लगाया जाएगा, जो विकास के विभिन्न चरणों में स्टार्टअप की मदद करेगा। उद्योग की जरूरतों और विकास के अवसरों के आधार पर वार्षिक निवेश सीमा 150 करोड़ रुपये से 250 करोड़ रुपये के बीच होने का अनुमान है। वित्तीय सालाना प्रस्तावित विवरण निम्नलिखित है-

वित्त वर्ष

अनुमान ( करोड़ रुपए में)

2025-26

150.00

2026-27

250.00

2027-28

250.00

2028-29

250.00

2029-30

100.00

कुल

1000.00

 

कंपनी के विकास के चरण और भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं पर अनुमानित प्रभाव के आधार पर निधि परियोजन को दो स्तरों में रखा गया है:

  • विकास चरण: स्टार्टअप के विकास पथ और दीर्घकालिक क्षमता के आधार पर निवेश 10 करोड़ रुपये से 30 करोड़ रुपये तक होगा।
  • बाद का विकास चरण: निवेश 30 करोड़ रुपये से 60 करोड़ रुपये तक होगा, जो अधिक स्थापित कंपनियों की मदद करेगा, जिन्होंने महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई है और जो एक मजबूत विकास पथ पर हैं।

इस फंडिंग रेंज के आधार पर, वीसी फंड का लक्ष्य करीब 40 स्टार्टअप का समर्थन करना है, जो भारत के अंतरिक्ष उद्योग में विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक वित्तीय आधार प्रदान करते हैं।

रोजगार और आर्थिक विकास पर अपेक्षित प्रभाव

फंड के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक, ऐसा मजबूत तंत्र बनाना है, जो रोजगार सृजन को बढ़ावा देता हो और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत की स्थिति को बढ़ाता हो। फंड के लक्ष्य निम्नलिखित हैं:

  • प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न करना: इंजीनियरिंग, डेटा विश्लेषण, सॉफ्टवेयर विकास, विनिर्माण और अन्य तकनीकी क्षेत्रों में नौकरियां बढ़ने की उम्मीद है। प्रत्येक निवेश संभावित रूप से इन उच्च-कौशल क्षेत्रों के भीतर सैकड़ों प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है।
  • अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर: लॉजिस्टिक्स, पेशेवर सेवाओं और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन से जुड़े क्षेत्रों में भी अतिरिक्त रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। ये नौकरियां व्यवसायों और विनिर्माण इकाइयों को बढ़ाने से उत्पन्न होंगी।
  • भारत के अंतरिक्ष कार्यबल को मजबूत करना: अंतरिक्ष क्षेत्र में एक कुशल कार्यबल को बढ़ावा देकर, फंड का उद्देश्य एक स्थायी प्रतिभा पूल का निर्माण करना, भारत की वैश्विक स्थिति को बढ़ाना और कुशल पेशेवरों के ज़रिए से नवाचार को बढ़ावा देना है।

यह फंड न केवल रोजगार पैदा करेगा, बल्कि अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार और एक नवाचार-केंद्रित अर्थव्यवस्था का निर्माण करके आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगा, जो आत्मनिर्भरता और सतत् विकास का समर्थन करता है।

इन-स्पेस की भूमिका

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) की स्थापना वर्ष 2020 में, सरकार के व्यापक अंतरिक्ष क्षेत्र सुधारों के एक हिस्से के रूप में की गई थी। इसका मकसद अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और उसकी निगरानी करना है, जो अंतरिक्ष स्टार्टअप और व्यवसायों के लिए एक प्रमुख सुविधा के रूप में कार्य करता है। इन-स्पेस उन सुधारों को शुरू करने में सहायक रहा है, जो अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को बढ़ाने, निजी भागीदारी बढ़ाने और वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी का विस्तार करने के सरकार के लक्ष्यों के अनुरूप हैं।

वीसी फंड को इन-स्पेस द्वारा उच्च तकनीक अंतरिक्ष क्षेत्र में जोखिम पूंजी की कमी को दूर करने के लिए प्रस्तावित किया गया था, जो विकास को बनाए रखने और भारतीय कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाने के लिए ज़रुरी है। पारंपरिक ऋणदाता अक्सर अंतरिक्ष से संबंधित स्टार्टअप में शामिल उच्च जोखिम और रिटर्न की दीर्घकालिक समयसीमा को देखते हुए मदद करने में संकोच करते हैं। इसलिए वीसी फंड, इस फंडिंग गैप को खत्म करने के लिए डिज़ाइन की गई सरकार समर्थित पहल का प्रतिनिधित्व करता है, जो स्टार्टअप को मजबूत विकास क्षमता के साथ उच्च जोखिम वाले वातावरण में पनपने के लिए सशक्त बनाता है।

भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के नेता के रूप में स्थापित करना

वर्तमान में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था का मूल्य लगभग 8.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो वैश्विक अंतरिक्ष बाजार का 2% हिस्सा है। सरकार ने वर्ष 2033 तक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने की कल्पना की है, जिसमें 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात शामिल है, जो वैश्विक हिस्सेदारी का 7-8% है। यह वृद्धि निजी क्षेत्र की भागीदारी से प्रेरित होने का अनुमान है, जिसमें वर्तमान में भारत में अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे करीब 250 स्टार्टअप की एक आशाजनक पाइपलाइन भी शामिल है।

कई देशों ने अंतरिक्ष क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को पहचाना है और नवाचार को बढ़ावा देने, निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अंतरिक्ष-केंद्रित वीसी फंड स्थापित किए हैं। उदाहरणों में यूके का 30 मिलियन जीबीपी सेराफिम स्पेस फंड, इटली का 86 मिलियन यूरो प्राइमो स्पेस फंड, जापान का 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर का स्पेस स्ट्रैटेजिक फंड और पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड (पीआईएफ), सऊदी अरब द्वारा नियो स्पेस ग्रुप (एनएसजी) शामिल हैं। अपने वीसी फंड के ज़रिए भारत का लक्ष्य भी ऐसा ही समान दृष्टिकोण अपनाना है, अपने स्टार्टअप का समर्थन करना और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और संबंधित सेवाओं के स्थानीय विकास को चलाते हुए, एक मजबूत अंतरिक्ष नवाचार के तंत्र को बढ़ावा देना है।

निष्कर्ष

इन-स्पेस के तहत 1,000 करोड़ रुपये का वीसी फंड, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में एक मील का पत्थर है, जो आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और भारत को अंतरिक्ष में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जोखिम पूंजी प्रदान करके, रोजगार पैदा करके, नवाचार को बढ़ावा देकर और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करके, ये फंड उच्च तकनीक क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है। यह न केवल एक वित्तीय प्रतिबद्धता है, बल्कि एक जीवंत, अभिनव और टिकाऊ अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के निर्माण में एक दीर्घकालिक रणनीतिक निवेश भी है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों के साथ अनुरूप है।

संदर्भ

https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2045802&reg=3&lang=1

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2067667

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