संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए 2024 का समापन: भारत दूरसंचार और डिजिटल नवाचार में अपने अग्रणी संकल्पों के लिए वैश्विक समर्थन के साथ दूरसंचार/आईसीटी के भविष्य को आकार देने की दिशा में अग्रणी है


भारत ने प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से न केवल डिजिटल विभाजन को पाटने, बल्कि लैंगिक समावेशन सुनिश्चित करने के मामले में भी एक बड़ी छलांग लगाई है: ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया

यह अब तक का सबसे समावेशी डब्ल्यूटीएसए रहा है, जिसमें उद्योग और तकनीकी समुदाय, युवा और महिलाएं शामिल रहे: डोरेन बोगडान-मार्टिन, आईटीयू एसजी

आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए 2024 में 160 से अधिक देशों के 3,700 प्रतिनिधियों की ऐतिहासिक उपस्थिति देखी गई, जो डब्ल्यूटीएसए असेंबली के लिए अब तक की सबसे अधिक भागीदारी को दर्शाता है

Posted On: 24 OCT 2024 7:59PM by PIB Delhi

इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन - वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली (डब्ल्यूटीएसए) में निष्कर्ष निकाला गया है कि  भारत ने वैश्विक दूरसंचार के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपनी सक्रिय भागीदारी के माध्यम से, भारत ने सफलता के साथ अभूतपूर्व प्रस्ताव पेश किए हैं और मौजूदा प्रस्तावों में संशोधन में योगदान दिया है, जिसे सदस्य देशों की तरफ व्यापक समर्थन हासिल हुआ है।

यह कार्यक्रम आज एक समापन समारोह के साथ संपन्न हुआ, जिसमें संचार और उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री माननीय श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया, आईटीयू के महासचिव डोरेन बोगडान-मार्टिन, संचार और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासानी चंद्र शेखर, डॉट सचिव (टी) डॉ. नीरज मित्तल, टीएसबी निदेशक आईटीयू सिजो ओनो, डब्ल्यूटीएसए-24 अध्यक्ष आर आर मित्तर और डब्ल्यूटीएसए-24 सचिव बिलेल जमौसी ने भाग लिया।

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “इस डब्ल्यूटीएसए-24 सम्मेलन ने साबित कर दिया है कि जब हम एक साझा उद्देश्य के साथ सहयोग करते हैं, तो प्रौद्योगिकी समानता और प्रगति का प्रतीक बन जाती है। आगे का रास्ता चुनौतियों से भरा है, फिर भी यह सकारात्मक बदलाव के उत्प्रेरक के रूप में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। भारत इस साझा यात्रा में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार है और हम अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देंगे और वैश्विक मानकों के विकास में सक्रिय रूप से योगदान देंगे।

आईटीयू महासचिव डोरेन बोगडान-मार्टिन ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शब्दों का हवाला देते हुए कहा, “आइए हम माननीय प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों को ध्यान में रखें क्योंकि हम डब्ल्यूटीएसए के निष्कर्षों पर अमल कर रहे हैं। सुरक्षा, सम्मान और समानता के सिद्धांतों को अपने प्रयासों के केंद्र में रखते हुए’, आइए हम एक साझा डिजिटल भविष्य की ओर इस यात्रा को जारी रखें। एक ऐसा भविष्य जो तकनीकी रूप से मजबूत हो और मानकों की ठोस नींव पर बना हो। एक ऐसा भविष्य जो नैतिक रूप से मजबूत हो, जिसके मूल में नवाचार और समावेश हो।

इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. पेम्मासनी चंद्रशेखर ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत ने रणनीतिक साझेदारी, अभूतपूर्व अनुसंधान और नवाचार आधारित विकास के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, तथा डिजिटल क्रांति में अपनी अग्रणी स्थिति की पुष्टि की है।”

भारत के प्रमुख प्रस्तावों में शामिल हैं:

  1. डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर मानकीकरण गतिविधियों को बढ़ाने पर एक नया प्रस्ताव
  2. दूरसंचार/सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के समर्थन में एआई प्रौद्योगिकियों पर आईटीयू दूरसंचार मानकीकरण क्षेत्र की मानकीकरण गतिविधियों पर एक नया प्रस्ताव,

भारत द्वारा समर्थित अन्य नए आईटीयू-टी प्रस्तावों में शामिल हैं:

  1. टिकाऊ डिजिटल परिवर्तन पर मानकीकरण गतिविधियों को बढ़ाना
  2. मेटावर्स मानकीकरण को बढ़ावा देना और मजबूत करना
  3. वाहन संचार के लिए मानकीकरण गतिविधियों को बढ़ावा देना और मजबूत करना
  4. आईटीयू दूरसंचार मानकीकरण क्षेत्र में रणनीतिक योजना;
  5. आपातकालीन संचार के लिए हैंडसेट आधारित कॉलर लोकेशन की जानकारी का प्रावधान
  6. आईटीयू-टी मानकीकरण गतिविधियों में अगली पीढ़ी के विशेषज्ञों की भागीदारी बढ़ाना।

ये पहल न केवल दूरसंचार/सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के क्षेत्रों में अग्रणी के रूप में भारत की भूमिका को मजबूत करती हैं, बल्कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के दृष्टिकोण के साथ भी सहज रूप से जुड़ी हुई हैं, जैसा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान व्यक्त किया गया था। डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए एक वैश्विक ढांचा बनाने पर उनका जोर वैश्विक शासन के लिए इन संकल्पों के महत्व का पता चलता है। ये संकल्प प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया के चार स्तंभों - कम कीमत वाले उपकरण, देश के हर कोने में डिजिटल कनेक्टिविटी की व्यापक पहुंच, डेटा तक आसान पहुंच और 'डिजिटल फर्स्ट' के लक्ष्य के साथ भी जुड़े हुए हैं।

इसके अतिरिक्त, भारत ने लगभग 25 मौजूदा प्रस्तावों के संशोधन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उल्लेखनीय स्वीकृतियों और आम सहमति में आईएसओ/आईईसी के साथ सहयोग, दूरसंचार नंबरिंग प्रबंधन, साइबर सुरक्षा, दिव्यांगों के लिए दूरसंचार/आईसीटी पहुंच और आईसीटी एवं पर्यावरण/जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। कई प्रस्तावों पर बिना किसी बदलाव के आम सहमति प्राप्त होने के साथ, इस प्रगति से एक सहयोग की भावना पता चलती है, जिससे वैश्विक मानकों के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को बल मिला है।

भारत की सक्रिय भागीदारी ने न केवल दूरसंचार में इसके नेतृत्व को उजागर किया है, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, ब्राजील, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों से समर्थन भी प्राप्त किया है। भारत की अध्यक्षता में हुए इस आयोजन में कई लंबे समय से चर्चित संरचनात्मक सुधारों को सफलतापूर्वक लागू किया गया, जिनमें एसजी9 और एसजी16 के विलय के आधार पर एक नया अध्ययन समूह बनाना, एक देश से एक से अधिक अध्यक्ष न होना और बहुत से भिन्न विचारों के बावजूद नेतृत्व पदों को अंतिम रूप देना शामिल हैं।

डब्ल्यूटीएसए 24 में आठ नए प्रस्ताव पेश किए गए और 44 संशोधित प्रस्ताव लिए गए। इस 10 दिवसीय कार्यक्रम में कई रिकॉर्ड स्थापित हुए, जिससे भारत दूरसंचार उद्योग में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित हुआ। इस कार्यक्रम की कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • रिकॉर्ड भागीदारी: 160 से अधिक देशों से 3,700 प्रतिनिधियों की ऐतिहासिक उपस्थिति, जो डब्ल्यूटीएसए असेंबली के लिए अब तक की सबसे अधिक भागीदारी को दर्शाता है।
  • नेतृत्व को मान्यता: एक प्रमुख दूरसंचार विशेषज्ञ और दूरसंचार विभाग, भारत सरकार के पूर्व सलाहकार आर. आर. मित्तर को सर्वसम्मति से डब्ल्यूटीएसए-24 के लिए अध्यक्ष चुना गया।
  • अध्ययन समूहों में नेतृत्व: आईटीयू-टी में भारत को अब तक प्राप्त नेतृत्व के पदों की अधिकतम संख्या। अब सभी 10 आईटीयू-टी अध्ययन समूहों और एससीवी (शब्दावली पर मानक समिति) में नेतृत्व की भूमिका में भारतीय विशेषज्ञ हैं। यह डब्ल्यूटीएसए 22 में 7 ऐसे पदों से अब 11 पदों तक एक बड़ी छलांग है।
  • लैंगिक संतुलन को बढ़ावा देना: जिनेवा के बाहर आयोजित डब्ल्यूटीएसए के लिए 26% की उच्चतम महिला भागीदारी के साथ, इस कार्यक्रम में दूरसंचार में लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हुए अभूतपूर्व महिला भागीदारी का जश्न मनाया गया
  • अधिकतम साइड इवेंट: डब्ल्यूटीएसए के साथ-साथ 15 से अधिक उच्च स्तरीय साइड इवेंट भी आयोजित किए गए, जिनमें एआई4गुड: भारत का प्रभाव, नेटवर्क फॉर वीमेन (एनओडब्ल्यू), केलिडोस्कोप, रेगुलेटर्स कॉन्फ्रेंस, संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण कॉन्फ्रेंसिंग, आईटीयू-डब्ल्यूएचओ सेफ लिसनिंग, हैकाथॉन, आईटीयू एक्सपो आदि शामिल हैं।
  • अभूतपूर्व शैक्षणिक सहभागिता: 15वें आईटीयू केलिडोस्कोप सम्मेलन में रिकॉर्ड पेपर प्रस्तुत किए गए, जो डिजिटल बुनियादी ढांचे के भविष्य में वैश्विक रुचि को दर्शाता है। इनमें से दो-तिहाई पेपर भारत से थे और शीर्ष तीन पेपरों को सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • युवाओं और उद्यमियों की भागीदारी: रोबोटिक्स फॉर गुड यूथ चैलेंज इंडिया और इनोवेशनल एक्सचेंज जैसे आयोजनों में युवाओं और उद्यमियों की भागीदारी देखी गई। इस चैलेंज में 11 राज्यों के छात्रों ने भाग लिया। 120 टीमों में से 51 टीमों को आपदा प्रबंधन की थीम के तहत अपने रोबोटिक्स समाधान प्रस्तुत करने के लिए चुना गया। एआई फॉर गुड इम्पैक्ट इंडिया के एक हिस्से के रूप में, जूनियर और सीनियर श्रेणियों के विजेता जुलाई 2025 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए जिनेवा जाएंगे। इनोवेशन एक्सचेंज में नेक्स्टजेन नेटवर्क (5जी/6जी), एआई और रोबोटिक्स, सुरक्षित संचार नेटवर्क और क्वांटम संचार पर युवाओं एवं स्टार्टअप द्वारा विषयगत चर्चाएं देखी गईं।
  • भारत 6G गठबंधन: अंतर्राष्ट्रीय हितधारकों के साथ महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए, जो वैश्विक 6जी पेटेंट में भारत के 10% योगदान के वादे की दिशा में एक कदम है।

आईटीयू-डब्ल्यूटीएसए 2024 का सफल समापन भारत की दूरसंचार यात्रा में एक ऐतिहासिक अध्याय है। दूरदर्शी संकल्पों का प्रस्ताव करके और वैश्विक आम सहमति को बढ़ावा देकर भारत के नेतृत्व ने डिजिटल बुनियादी ढांचे के भविष्य को आकार देने में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। रिकॉर्ड तोड़ भागीदारी, रणनीतिक एमओयू और आईटीयू-टी अध्ययन समूहों में उन्नत नेतृत्व के साथ, भारत ने दूरसंचार में नवाचार और समावेशिता को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, मानकीकरण प्रयासों में भारत की सक्रिय भागीदारी वैश्विक डिजिटल परिदृश्य को प्रभावित करती रहेगी, जिससे सभी के लिए एक टिकाऊ और डिजिटल रूप से सशक्त भविष्य सुनिश्चित होगा।

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