विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों का एकीकरण भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है


एआई और भारतजेन: भारत में समावेशी डिजिटल परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करना

राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह सत्र में भारत के तकनीकी परिदृश्य को बदलने के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर जोर दिया गया

Posted On: 23 OCT 2024 7:01PM by PIB Delhi

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी विज्ञान मंत्रालयों और विभागों के सभी स्तर के कर्मचारियों के लिए संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के दौरान जोर दिया कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच एकीकरण भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की आवश्यकताओं, निजी क्षेत्र के नवाचारों और सरकारी प्रयासों के मिलने से देश तकनीकी उन्नति के अगले चरण पर पहुँच रहा है। भारत के स्वदेशी रूप से विकसित बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) भारतजेन और शासन में एआई की बढ़ती भूमिका का उल्लेख करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि नवाचार को बढ़ावा देने, सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार करने और भारत को वैश्विक एआई परिदृश्य में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए इस तरह के सहयोगी प्रयास महत्वपूर्ण हैं। मंत्री ने कहा कि भारतजेन और एआई अनुप्रयोगों जैसी सरकारी पहलों के साथ निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता का उपयोग करने से देश की विविध आवश्यकताओं के लिए स्केलेबल, समावेशी और कुशल समाधानों का मार्ग प्रशस्त होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि इस एकीकरण में सरकार की भूमिका एक ऐसा सक्षम वातावरण तैयार करना है जो नवाचार को बढ़ावा दे, स्टार्टअप का समर्थन करे और यह सुनिश्चित करे कि तकनीकी प्रगति राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जुड़ी हो। मंत्री ने कहा, "जब सार्वजनिक मांगें निजी क्षेत्र की रचनात्मकता से मिलती हैं और सरकारी नीतियां विकास को सुविधाजनक बनाती हैं, तो हम ऐसे स्केलेबल और टिकाऊ समाधान प्राप्त कर सकते हैं जो पूरे देश को लाभान्वित करते हैं।" उन्होंने एआई और एलएलएम जैसे क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र और निजी उद्यमों के बीच चल रहे सहयोग की प्रशंसा की, जो वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में भारत की प्रतिस्पर्धी बढ़त के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इस सत्र में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव अभय करंदीकर, जैव प्रौद्योगिकी सचिव डॉ. राजेश गोखले और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रवींद्रन ने भी भाग लिया। उन्होने विभिन्न क्षेत्रों में सतत विकास और नवाचार सुनिश्चित करने के लिए एकजुट दृष्टिकोण की आवश्यकता पर डॉ. जितेंद्र सिंह के विचारों को दोहराया।

राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के तहत विज्ञान मंत्रालयों के कर्मचारियों के लिए आयोजित एक सत्र का मुख्य आकर्षण भारतीय भाषाओं के लिए तैयार स्वदेशी रूप से विकसित वृहद भाषा मॉडल (एलएलएम) भारतजेन था। इस सत्र में विभिन्न क्षेत्रों में भारतजेन के व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर गहन चर्चा की गई, जिसमें सार्वजनिक सेवा वितरण में क्रांति लाने और नागरिक सहभागिता बढ़ाने की इसकी क्षमता पर जोर दिया गया। भारत-केंद्रित डेटा का उपयोग करके, भारतजेन कई भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाले टेक्स्ट और स्पीच आउटपुट तैयार कर सकता है, जिससे देश में डिजिटल समावेशन को बढ़ावा मिलता है।

विशेषज्ञों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतजेन को शासन, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कैसे लागू किया जा सकता है, जिससे भाषाई अंतर को पाटने और भारत की आबादी के बड़े हिस्से तक डिजिटल सेवाओं को पहुँचाने में मदद मिलेगी। क्षेत्रीय भाषाओं को समझने और उनमें प्रतिक्रिया देने की मॉडल की क्षमता यह सुनिश्चित करती है कि एआई  तकनीक केवल अंग्रेजी बोलने वालों तक सीमित न रहे, जिससे उपयोगकर्ताओं को अधिक व्यक्तिगत अनुभव मिले। भारतजेन को सरकारी सेवाओं के लिए एआई -संचालित ग्राहक सहायता से लेकर वास्तविक समय के अनुवाद और भाषण-से-पाठ कार्यक्षमता तक प्रयोग किया जा सकता है।

सत्र में तकनीकी स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में भारतजेन की भूमिका पर भी चर्चा हुई। वैश्विक एआई मॉडल के विपरीत, भारतजेन भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों को प्राथमिकता देता है, जो देश के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करता है। यह एआई मॉडल आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो यह सुनिश्चित करता है कि भारत अपने डिजिटल संसाधनों पर नियंत्रण बनाए रखे, साथ ही स्टार्टअप, उद्योगों और सार्वजनिक संस्थानों को विभिन्न नवाचारों के लिए भारतजन ढांचे पर निर्माण करने के लिए सशक्त बनाए।

राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर समर्पित सत्र में, विज्ञान मंत्रालयों के कर्मचारियों को शासन और सार्वजनिक सेवा वितरण में एआई की परिवर्तनकारी क्षमता से परिचित कराया गया। सत्र में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि निर्णय लेने की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने, प्रशासनिक कार्यों को सुव्यवस्थित करने और नागरिक-केंद्रित सेवाओं को बढ़ाने के लिए एआई का उपयोग कैसे किया जा सकता है। एआई प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर, सरकारी विभाग दक्षता बढ़ा सकते हैं, मानवीय त्रुटि को कम कर सकते हैं और जनता की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक उत्तरदायी प्रणालियाँ बना सकते हैं।

सत्र में डेटा गोपनीयता की सुरक्षा और सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बनाए रखने में एआई के नैतिक और जिम्मेदाराना उपयोग पर जोर दिया गया। विशेषज्ञों ने एआई ढांचे को विकसित करने के महत्व को रेखांकित किया जो, खासकर स्वास्थ्य सेवा और शासन जैसे क्षेत्रों में संवेदनशील डेटा से निपटने के दौरान निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हैं। प्रतिभागियों को नीति-निर्माण के लिए पूर्वानुमान विश्लेषण और नियमित कार्यों को स्वचालित करने जैसे क्षेत्रों में एआई अनुप्रयोगों का पता लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि अधिक रणनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

सत्र का मुख्य आकर्षण भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुकूल एआई मॉडल बनाने का महत्व था। क्षेत्रीय भाषाओं और सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक संदर्भों पर ध्यान केंद्रित करके, एआई भारत की विविध आबादी की बेहतर सेवा कर सकता है। प्रतिभागियों से अपने एआई कौशल को लगातार उन्नत करने का आग्रह किया गया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत सार्वजनिक सेवाओं में नवाचार और समावेशिता को बढ़ावा देते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बना रहे।

सत्र का समापन करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच साझेदारी को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के सहयोग न केवल फायदेमंद हैं बल्कि भारत के दीर्घकालिक विकास के लिए आवश्यक भी हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निरंतर प्रयासों और साझा दृष्टिकोण के साथ, भारत समावेशी और दूरदर्शी दोनों तरह की तकनीकी प्रगति में अग्रणी बना रहेगा।

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