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सरकार पाली भाषा और उसमें लिखी भगवान बुद्ध की धार्मिक शिक्षाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी आवश्यक प्रयास करेगी: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित किया

सरकार द्वारा बुद्ध धम्म की विरासत को सांस्कृतिक रूप से संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए जा रहे हैं: श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत

Posted On: 17 OCT 2024 6:48PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज घोषणा करते हुए कहा है कि सरकार पाली भाषा और इसमें लिखे पवित्र ग्रंथों तथा भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सभी आवश्यक प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि आज एक ऐतिहासिक अवसर है क्योंकि यह अभिधम्म दिवस है और पाली ही वह भाषा थी, जिसमें आज ही के दिन बुद्ध की शिक्षाएं दी गई थीं, अब इस भाषा को शास्त्रीय दर्जा दिया गया है।। प्रधानमंत्री ने कहा कि धम्म को समझने के लिए पाली भाषा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भाषा सिर्फ संचार का माध्यम नहीं है, बल्कि यह सभ्यता की आत्मा है, संस्कृति है और विरासत है। श्री मोदी ने कहा है कि पाली भाषा का अस्तित्व बनाए रखना और उसके माध्यम से बुद्ध के संदेश को आगे बढ़ाना हमारा कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के समारोह के उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि भले ही भाषा पाली वर्तमान में प्रचलन में नहीं है, लेकिन एक भाषा, साहित्य, कला एवं आध्यात्मिक परंपराएं किसी भी राष्ट्र की विरासत को व्यक्त करती हैं, जो उसकी पहचान है। इसलिए भारत सरकार पाली भाषा का संरक्षण एवं संवर्धन करेगी।

प्रधानमंत्री संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता से पहले सदियों के औपनिवेशिक शासन तथा आक्रमणकारियों ने भारत की पहचान को मिटाने की कोशिश की और ‘गुलाम मानसिकता’ वाले लोगों ने हमारी आजादी के बाद ऐसा यह किया। श्री मोदी ने कहा कि उस समय के इकोसिस्टम ने भारत को उसकी विरासत से दूर कर दिया था और देश बहुत पीछे छूट गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार भारत की बौद्ध विरासत को पुनर्स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में हम विदेशों से 600 से अधिक कलाकृतियां भारत ला चुके हैं, जिनमें से अधिकांश बौद्ध से जुड़ी हुई वस्तुएं थीं।

प्रधानमंत्री ने बताया कि हम मोबाइल ऐप, डिजिटलीकरण और अभिलेखीय अनुसंधान के माध्यम से पाली भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाली को समझने के लिए शैक्षणिक व आध्यात्मिक दोनों तरह के प्रयासों की आवश्यकता है। श्री मोदी ने कहा कि विद्वानों और शिक्षाविदों को लोगों को बुद्ध धम्म को समझने में उनका मार्गदर्शन करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि बुद्ध की विरासत के पुनरुद्धार में भारत अपनी पहचान को नया स्वरूप दे रहा है और यह तेजी से विकास करने तथा अपनी समृद्ध विरासत को पुनर्जीवित करने में लगा हुआ है।

श्री मोदी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि भारत के नौजवानों को न केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में विश्व का नेतृत्व करना चाहिए, बल्कि उन्हें अपनी संस्कृति, मूल्यों और जड़ों पर भी गर्व करना चाहिए।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने चीवर दान किया और संघ के वरिष्ठतम भिक्षुओं के साथ बातचीत की।

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत तथा केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कार्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू भी इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

इस अवसर पर श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार भारत और नेपाल में बुद्ध सर्किट विकसित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि बुद्ध धम्म की विरासत को सांस्कृतिक रूप से संरक्षित करने और इसे बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अभूतपूर्व प्रयास किए जा रहे हैं।

इस कार्यक्रम के दौरान अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के महासचिव शारत्से खेंसुर रिनपोचे जंगचुप चोएडेन द्वारा पाली भाषा में मंगलाचरण और अभिवादन किया गया। लगभग 2000 प्रतिनिधियों ने अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस में भाग लिया और इसके अलावा, सम्मेलन में 10 से अधिक देशों के राजदूत तथा उच्चायुक्त भी उपस्थित थे।

भारत की शास्त्रीय भाषा के रूप में पाली के महत्व पर एक विशेष वार्ता बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पाली और बौद्ध अध्ययन विभाग के प्रोफेसर बिमलेंद्र कुमार तथा नेपाल के लुम्बिनी बौद्ध विश्वविद्यालय में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, (आईसीसीआर) के अध्यक्ष प्रोफेसर द्वारा प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर दो प्रदर्शनियां लगाई गई थीं। पहली में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की विभिन्न लिपियों को प्रदर्शित करने वाले सूचीपत्र तथा पाली भाषा के प्रसार को दर्शाने वाले क्षेत्र का मानचित्र प्रदर्शित किया गया था।

दूसरी प्रदर्शनी ‘बुद्ध के जीवन और शिक्षाएं’ विषय पर केंद्रित थी।

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