विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "सीएसआईआर सभी के लिए एक राष्ट्रीय खजाना - हमारे समय का सच्चा परिवर्तनकर्ता"


वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने आज अपना 83वां स्थापना दिवस मनाया

"प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत पर ध्यान केन्द्रित करना, सीएसआईआर को राष्ट्रीय विकास के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार और नेतृत्व के लिए प्रोत्साहन देता है" केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

"लैवेंडर की खेती की बैंगनी क्रांति ने नए जम्मू और कश्मीर का परिदृश्य बदला"

Posted On: 26 SEP 2024 6:01PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज एनएएससी कॉम्प्लेक्स, पूसा में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 83वें स्थापना दिवस समारोह में कहा, "सीएसआईआर हम सभी के और वैज्ञानिक बिरादरी के लिए एक राष्ट्रीय खजाना है, जो हमारे समय के सच्चे परिवर्तनकर्ता हैं।"

समारोह को संबोधित करते हुए केन्‍द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान, पीएमओ, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्वच्छ ऊर्जा के लिए हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी या कृषि आधारित स्टार्टअप के निर्माण जैसी सफलताओं को बढ़ावा देकर भारत को स्‍थायी विकास में विश्‍व में अग्रणी बनाने के लिए सीएसआईआर को बधाई दी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोहराया कि सीएसआईआर एमएसएमई, स्टार्टअप्स को सहयोग देने और विज्ञान में महिलाओं को बढ़ावा देने के माध्यम से न केवल राष्ट्र के आर्थिक विकास को गति दे रहा है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रहा है कि नवाचार से बड़े पैमाने पर समाज को लाभ मिले।

समारोह के मुख्य अतिथि भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के लिए भारत के उपराष्ट्रपति के नेतृत्व और अटूट समर्थन की सराहना की, जो एक विकसित और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर भारत की यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है। मंत्री ने कहा कि भारत के उपराष्ट्रपति की उपस्थिति एक मजबूत महत्वाकांक्षा के निर्माण में नवाचार और वैज्ञानिक जांच को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर देती है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत पर ध्यान केन्‍द्रित करने से सीएसआईआर को स्वास्थ्य सेवा, ऊर्जा, विनिर्माण, कृषि आदि सहित राष्ट्रीय विकास के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार करने और नेतृत्व करने की प्रेरणा मिली है। प्रधानमंत्री के निरंतर समर्थन से, सीएसआईआर भारत की विकास गाथा में केन्‍द्रीय भूमिका निभाता रहेगा। मंत्री ने कहा, "सीएसआईआर जैसे संस्थानों द्वारा स्वदेशीकरण, रणनीतिक प्रौद्योगिकियों और स्थिरता में बदलाव का नेतृत्व करने से विकसित भारत 2047 का लक्ष्य हासिल किया जाएगा।"

डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम, विशेषकर मंगल ऑर्बिटर मिशन के दौरान नेतृत्व के लिए, इसरो के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के. राधाकृष्णन की भी सराहना की, जो वैज्ञानिक समुदाय और प्रत्येक भारतीय के लिए प्रेरणास्रोत रहा है।

अपने 83वें स्थापना दिवस समारोह के एक भाग के रूप में, सीएसआईआर ने एक अद्वितीय और अपनी तरह का पहला लीडरशिप सम्मेलन आयोजित किया, जिसमें सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक विकसित भारत 2047 के लिए सीएसआईआर के योगदान पर अपनी दूरदर्शिता और सुझाव साझा करने के लिए एक साथ आए। सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने कहा कि यह उन दिग्गजों से ज्ञान प्राप्त करने का एक अमूल्य अवसर प्रदान करता है, जिन्होंने दशकों के वैज्ञानिक विकास और प्रगति के माध्यम से सीएसआईआर का नेतृत्व किया है।

हाल के वर्षों में सीएसआईआर के परिवर्तनकारी प्रभाव पर जोर देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने जम्मू और कश्मीर में बैंगनी क्रांति का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया। अरोमा मिशन के माध्यम से, सीएसआईआर ने उस क्षेत्र में लैवेंडर की खेती को उत्प्रेरित किया है, जिसने कृषि-स्टार्टअप के एक संपन्न इकोसिस्‍टम को जन्म दिया है। मंत्री ने कहा कि इस पहल से न केवल आजीविका के नए स्रोत उत्‍पन्‍न कर किसानों को सशक्त बनाया गया है, बल्कि क्षेत्र में समृद्धि भी आई है। मंत्री ने कहा, "लैवेंडर की खेती की क्रांति ने नए जम्मू और कश्मीर के परिदृश्य को बदल दिया है, जिससे यह सुगंधित फसलों और कृषि आधारित उद्यमिता का केन्‍द्र बन गया है।"

इसके अतिरिक्त, विकसित भारत के लिए सीएसआईआर विषयगत प्रदर्शनी, जिसका उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा किया गया, में दिखाया गया कि किस प्रकार विभिन्न क्षेत्रों में सीएसआईआर का योगदान 2047 तक भारत के राष्ट्रीय एजेंडे से जुड़ रहा है।

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