स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के लिए 2020-21 और 2021-22 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा अनुमान जारी किए


इन एनएचए अनुमानों के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली में पिछले 9 वर्षों में सुधार हुआ है और इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य पर सरकार के व्यय का अधिक मजबूत और सटीक लेखा-जोखा सामने आया है: सदस्य, नीति आयोग

"कुल स्वास्थ्य व्यय में से स्वयम अपने से किए जाने वाले खर्च में 2013-14 के 64.2% से घटकर 2021-22 में 39.4% होना एक बहुत ही सकारात्मक संकेतक दर्शाता है"

देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में सरकारी स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी 1.13% (2014-15) से बढ़कर 1.84% (2021-22) हुई

कुल स्वास्थ्य व्यय में सरकारी स्वास्थ्य व्यय की हिस्सेदारी 29.0% (2014-15) से बढ़कर 48.0% (2021-22) हुई

स्वास्थ्य सेवा पर प्रति व्यक्ति सरकारी खर्च तीन गुना हुआ

Posted On: 25 SEP 2024 8:07PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत के लिए 2020-21 और 2021-22 के राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा (एनएचए) अनुमान जारी किए हैं। ये अनुमान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा हर साल जारी की जाने वाली रिपोर्टों की श्रृंखला में आठवें और नौवें हैं।

सत्र को संबोधित करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने कहा कि "इन एनएचए अनुमानों के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली में पिछले 9 वर्षों में सुधार हुआ है और इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य पर सरकार के व्यय का अधिक मजबूत और सटीक लेखा-जोखा सामने आया है।" उन्होंने कहा कि "कुल स्वास्थ्य व्यय में से आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय में 2013-14 के 64.2% से 2021-22 में 39.4% तक की गिरावट एक बहुत ही सकारात्मक संकेत को दर्शता है।"

डॉ. पॉल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई से एक  लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है और इसका हाल के एनएचए अनुमानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि 2015-16 में शुरू की गई मुफ्त डायलिसिस योजना जैसी अन्य योजनाओं से 25 लाख लोगों को लाभ हुआ है।"

इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने कहा कि “सरकार के स्वास्थ्य व्यय में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, जबकि स्वयम अपने से भुगतान करने  वाले खर्च में कमी आई है जो एक अच्छा संकेत है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुल स्वास्थ्य व्यय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जो स्वास्थ्य के प्रति सरकार के प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

एनएचए के अनुमान 'स्वास्थ्य लेखा प्रणाली (एसएचए), 2011' के विश्व स्तर पर स्वीकृत ढांचे पर आधारित हैं, जो अंतर-देशीय तुलना की सुविधा प्रदान करता है। यह रिपोर्ट भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में विभिन्न स्रोतों द्वारा वित्तीय प्रवाह, धन कैसे खर्च किया जाता है, स्वास्थ्य सेवा कैसे प्रदान की जाती है, और उपयोग की जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की प्रकृति का व्यवस्थित विवरण प्रदान करती है।

2021-22 के लिए एनएचए के अनुमानों से पता चलता है कि देश में स्वास्थ्य सेवा के लिए सरकारी व्यय में वृद्धि जारी है, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को उजागर करता है। देश के समग्र सकल घरेलू उत्पाद में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई) की हिस्सेदारी 2014-15 में 1.13% से बढ़कर 2021-22 में 1.84% हो गई है। सामान्य सरकारी व्यय (जीजीई) में हिस्सेदारी के संदर्भ में, यह 2014-15 में 3.94% से बढ़कर 2021-22 में 6.12% हो गया है।

चित्र 1: सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई)

 

चित्र 2: सामान्य सरकारी व्यय (जीजीई) के प्रतिशत के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (जीएचई)

प्रति व्यक्ति के हिसाब से जीएचई 2014-15 से 2021-22 के बीच तीन गुना बढ़कर 1,108 रुपये से 3,169 रुपये हो गया है। 2019-20 और 2020-21 के बीच स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में 16.6% की वृद्धि हुई, जबकि 2020-21 और 2021-22 के बीच इसमें 37% की अभूतपूर्व वृद्धि हुई, जो कोविड-19 महामारी से निपटने में सरकार द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका को दर्शाता है।

स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में वृद्धि से परिवारों कि वित्तीय कठिनाई में कमी आने की महत्वपूर्ण संभावना है। 2014-15 और 2021-22 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय (टीएचई) में जीएचई की हिस्सेदारी 29% से बढ़कर 48% हो गई है। इसी अवधि के दौरान, टीएचई में आउट-ऑफ-पॉकेट व्यय (ओओपीई) की हिस्सेदारी 62.6% से घटकर 39.4% हो गई।

समग्र स्वास्थ्य व्यय में ओओपीई में निरंतर गिरावट सरकार द्वारा अपने नागरिकों के लिए वित्तीय सुरक्षा और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज सुनिश्चित करने की दिशा में किए गए ठोस प्रयासों की पुष्टि करती है।

चित्र 3: कुल स्वास्थ्य व्यय (THE) के प्रतिशत के रूप में सरकारी स्वास्थ्य व्यय (GHE) और अपने  से किया गया व्यय (OOPE)

देश के स्वास्थ्य वित्तपोषण क्षेत्र में एक और सकारात्मक प्रवृत्ति स्वास्थ्य सेवा पर सामाजिक सुरक्षा व्यय (SSE) में वृद्धि है। सामाजिक सुरक्षा में इस वृद्धि का स्वयम से किए गए सीधे भुगतान को कम करने पर सीधा प्रभाव पड़ता है। एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा तंत्र यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्तियों को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँचने के परिणामस्वरूप वित्तीय कठिनाई और गरीबी के जोखिम का सामना नहीं करना पड़ेगा। स्वास्थ्य पर SSE का हिस्सा, जिसमें सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य बीमा, सरकारी कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति और सामाजिक स्वास्थ्य बीमा कार्यक्रम शामिल हैं, THE में 2014-15 में 5.7% से बढ़कर 2021-22 में 8.7% हो गया है।

आज जारी 2020-21 और 2021-22 के लिए एनएचए अनुमान यहां देखे जा सकते हैं: https://nhsrcindia.org/national-health-accounts-records .

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेष कार्य अधिकारी श्रीमती पुण्या शशिला श्रीवास्तव, स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार श्री जयदीप कुमार मिश्रा, स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती एल.एस. चांगसन, स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती आराधना पटनायक, स्वास्थ्य मंत्रालय में अपर सचिव श्रीमती इंद्राणी कौशल, स्वास्थ्य मंत्रालय में वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार श्री सौरभ जैन, स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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