मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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आईसीएआर-सीआईएफई और वामनिकॉम ने मत्स्य पालन में सहकारी प्रबंधन में सुधार करने के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

Posted On: 27 AUG 2024 4:53PM by PIB Delhi

मत्स्य पालन क्षेत्र के अंतर्गत सहकारी प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) ने सोमवार (अगस्त 26, 2024) को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यह प्रत्येक पंचायत में 2 लाख प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स), डेयरी और मत्स्य पालन सहकारी समितियों की स्थापना की परिकल्पना को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है

भारत में मत्स्य पालन 14.46 मिलियन लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इस महत्वपूर्ण साझेदारी का उद्देश्य उन्नत प्रौद्योगिकी के एकीकरण और पहुंच को बढ़ाने के साथ-साथ मत्स्य सहकारी समितियों में मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन प्रदान करना है। वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) मिलकर शिक्षा, अनुसंधान, क्षमता निर्माण और परामर्श के दृष्टिकोण से मछली, मछली सहकारी और मत्स्य पालन इकोसिस्टम के क्षेत्र में नए अवसर तलाशेंगे।

मुंबई में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) परिसर में आयोजित समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) के निदेशक और कुलपति डॉ. रविशंकर सीएन और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) की निदेशक डॉ. हेमा यादव उपस्थित थीं। इस अवसर पर दोनों संस्थानों के वैज्ञानिक, संकाय सदस्य और प्रमुख टीम के सदस्य भी उपस्थित थे।

इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) के बीच तालमेल को मजबूत करना है, जिससे मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारी प्रबंधन कार्यप्रणालियों को बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा। इस साझेदारी के माध्यम से, संस्थान अनुसंधान, प्रशिक्षण और विकास पहल पर सहयोग करेंगे, जिससे सहकारी प्रबंधन रणनीतियों और कार्यप्रणालियों में सुधार करके मत्स्य पालन क्षेत्र पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।

डॉ. रविशंकर सीएन ने सहयोग के बारे में प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह समझौता ज्ञापन दोनों संस्थानों के साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण क्षण है। डॉ. रविशंकर सीएन ने कहा, “यह साझेदारी न केवल हमारी अनुसंधान क्षमताओं को मजबूत करेगी बल्कि प्रभावशाली प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने में हमारी पहुंच भी बढ़ाएगी। हम इस सहयोग से सहकारी प्रबंधन में संभावित प्रगति को लेकर उत्साहित हैं।''

डॉ. हेमा यादव ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) से मिलने वाले पारस्परिक लाभ और अवसरों पर प्रकाश डालते हुए इन भावनाओं को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) के साथ जुड़कर, हम मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारी प्रबंधन सिद्धांतों को एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। यह सहयोग हमें नवाचार को प्रोत्साहन देने और इस पूरे क्षेत्र में कार्यप्रणालियों में सुधार करने के लिए एक-दूसरे की विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाने में सक्षम करेगा।''

इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण गठबंधन की शुरुआत का प्रतीक है जिसका उद्देश्य उन्नत सहकारी प्रबंधन के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत आजीविका विकास और परिचालन उत्कृष्टता प्राप्त करना है। दोनों संस्थान प्रमुख चुनौतियों का समाधान करने और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में प्रगति लाने के लिए अपनी संयुक्त शक्तियों का लाभ उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) के बारे में:

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (आईसीएआर-सीआईएफई) एक अग्रणी मत्स्य शिक्षा विश्वविद्यालय है, जिसकी एक अनूठी विरासत है और इसने वर्षों से कई प्रसिद्ध विद्वानों और विशेषज्ञों को तैयार किया है। अस्तित्व के 50 से अधिक वर्षों में, केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई) मत्स्य पालन और संबद्ध विषयों में उच्च शिक्षा के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उभरा है। संस्थान की स्थापना 6 जून 1961 को भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत संयुक्त राष्ट्र का खाद्य एवं कृषि संगठन/संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (एफएओ/यूएनडीपी) की सहायता से की गई थी। भारत के एक अग्रणी विश्वविद्यालय के रूप में, केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई) शैक्षिक और अनुसंधान कार्यक्रमों में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों का नवीनीकरण करने और अपनाने का प्रयास करता है जो विद्यार्थियों को संबंधित क्षेत्रों में अग्रणी बनने के लिए तैयार करता है। केंद्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान (सीआईएफई) ने शिक्षण और अनुसंधान उत्कृष्टता का एक इकोसिस्टम बनाया है जिससे यह विद्यार्थियों का पसंदीदा संस्थान बन गया है। विषयों की व्यापकता और घटक संस्थानों के बीच सहयोग विद्यार्थियों को विभागीय सीमाओं को पार करने और विभिन्न आयामों का पता लगाने का अद्वितीय अवसर प्रदान करता है।

वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) के बारे में:

वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) सहकारिता मंत्रालय के अंतर्गत एक राष्ट्रीय संस्थान है, जो पशुधन, डेयरी और मत्स्य पालन क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों में हितधारकों को प्रशिक्षण देता है। वर्ष 1964 में, सहकारी क्षेत्र की प्रशिक्षण आवश्यकताओं का आकलन करने के लिए स्वर्गीय प्रोफेसर डी. आर. गाडगिल की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक उच्च स्तरीय समूह ने एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना का परामर्श दिया था। इस संस्थान की परिकल्पना सहकारी संस्थानों/विभागों में वरिष्ठ कर्मियों को प्रशिक्षण देने, मौलिक/अनुप्रयुक्त अनुसंधान करने और परामर्श सेवाएं प्रदान करने, सहकारी व्यावसायिक संगठनों में वरिष्ठ कर्मियों के लिए व्यवसाय प्रबंधन में पाठ्यक्रम आयोजित करने और युवाओं को प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित करने के लिए की गई थी।

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