रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
यूरिया क्षेत्र में नये निवेश की सुविधा के लिये दो जनवरी, 2013 को नयी निवेश नीति 2012 और सात अक्टूबर, 2014 को इसके संशोधन की घोषणा की गयी
यूरिया उत्पादन 2014-15 के दौरान 225 लाख मीट्रिक टन ( एलएमटी) प्रति वर्ष से बढ़कर 2023-24 के दौरान 314.07 एलएमटी हो गया
Posted On:
06 AUG 2024 4:02PM by PIB Delhi
सरकार ने यूरिया क्षेत्र में नये निवेश की सुविधा प्रदान करने और भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिये दो जनवरी, 2013 को नयी निवेश नीति (एनआईपी)-2012 की घोषणा की थी और सात अक्टूबर, 2014 को इसमें संशोधन किया था। एनआईपी-2012 के तहत कुल छह नयी यूरिया इकाइयां स्थापित की गयी हैं, जिनमें नामांकित सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की संयुक्त उद्यम कंपनियों (जेवीसी) के माध्यम से स्थापित चार यूरिया इकाइयां और निजी कंपनियों द्वारा स्थापित दो यूरिया इकाइयां शामिल हैं। जेवीसी के माध्यम से स्थापित इकाइयां तेलंगाना में रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (आरएफसीएल) की रामागुंडम यूरिया इकाई और उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार में क्रमशः हिंदुस्तान उर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की तीन यूरिया इकाइयां गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी हैं। निजी कंपनियों द्वारा स्थापित इकाइयां पश्चिम बंगाल में मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) की पानागढ़ यूरिया इकाई हैं, और राजस्थान में चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (सीएफसीएल) की गडेपान-तृतीय यूरिया इकाई है। इनमें से प्रत्येक इकाई की स्थापित क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एलएमटीपीए) है। ये इकाइयां अत्यधिक ऊर्जा कुशल हैं, क्योंकि ये नवीनतम तकनीक पर आधारित हैं। इसलिये, इन इकाइयों ने मिलकर 76.2 एलएमटीपीए की यूरिया उत्पादन क्षमता बढ़ा दी है, जिससे कुल स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता (पुनर्मूल्यांकन क्षमता, आरएसी) 2014-15 के दौरान 207.54 एलएमटीपीए से बढ़कर वर्तमान में 283.74 एलएमटीपीए हो गयी है। इसके अलावा, कोयला गैसीफिकेशन रूट पर 12.7 एलएमटीपीए का एक नया ग्रीनफील्ड यूरिया संयंत्र स्थापित करके नामांकित पीएसयू तालचेर फर्टिलाइजर्स लिमिटेड (टीएफएल) के जेवीसी के माध्यम से एफसीआईएल की तालचेर इकाई के पुनरुद्धार के लिये एक विशेष नीति को भी मंजूरी दे दी गयी है।
इसके अलावा, सरकार ने आरएसी से परे स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करने के उद्देश्यों में से एक के साथ मौजूदा 25 गैस-आधारित यूरिया इकाइयों के लिये 25 मई, 2015 को नयी यूरिया नीति (एनयूपी) - 2015 भी अधिसूचित की। एनयूपी-2015 के कारण 2014-15 के दौरान सालाना उत्पादन की तुलना में यूरिया का 20-25 एलएमटी अतिरिक्त उत्पादन हुआ है।
इन कदमों के माध्यम से 2014-15 के दौरान यूरिया उत्पादन को 225 एलएमटी प्रति वर्ष के स्तर से बढ़ाकर 2023-24 के दौरान 314.07 एलएमटी के रिकॉर्ड यूरिया उत्पादन तक पहुंचाने में मदद की है।
पी एंड के उर्वरकों के संबंध में, सरकार ने 16 सितंबर, 2019 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी नीति लागू की है। फॉस्फेटिक और पोटेशियम (पी एंड के) उर्वरकों के लिये 1.4.2010 नीति के तहत, अधिसूचित पी एंड के उर्वरकों पर उनकी पोषक तत्व सामग्री के आधार पर वार्षिक/ द्विवार्षिक आधार पर तय की गयी सब्सिडी की एक निश्चित राशि प्रदान की जाती है। पी एंड के सेक्टर नियंत्रण मुक्त है और उर्वरक कंपनियां बाजार की गतिशीलता के अनुसार उर्वरक का उत्पादन/आयात करती हैं।
देश को उर्वरक उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिये निम्नलिखित उपाय किये गये हैं:
- एनबीएस के तहत उर्वरक कंपनियों को उनकी उत्पादन क्षमता बढ़ाने और एनबीएस के तहत नयी पी एंड के कंपनियों और उनके उर्वरक उत्पादों को शामिल करने की अनुमति दी गयी है।
- शीरे से प्राप्त पोटाश (पीडीएम) जो 100 प्रतिशत स्वदेशी रूप से निर्मित उर्वरक है, को पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना के तहत अधिसूचित किया गया है।
- एसएसपी पर माल ढुलाई सब्सिडी, जो एक स्वदेशी निर्मित उर्वरक है, मिट्टी को फॉस्फेटिक या ‘पी’ पोषक तत्व प्रदान करने के लिये एसएसपी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये खरीफ, 2022 से लागू है।
इन कदमों के परिणाम स्वरूप, डीएपी का उत्पादन 2018-19 में 38.99 एलएमटी से बढ़कर 2023-24 में 42.93 एलएमटी हो गया है, जबकि इसी अवधि के दौरान, 22 पीएंडके उर्वरक इकाई द्वारा एनपीके का उत्पादन 89.98 एलएमटी से बढ़कर 95.48 एलएमटी हो गया है। इसी प्रकार, 104 एसएसपी उत्पादन इकाइयों द्वारा एसएसपी का उत्पादन 2018-19 में 40.72 एलएमटी से बढ़कर 2023-24 में 44.44 एलएमटी हो गया।
आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में कहा गया है कि भारतीय कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी को आजीविका सहायता प्रदान करता है और मौजूदा कीमतों पर देश की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 18.2 प्रतिशत है। देश में उच्च कृषि उत्पादन प्राप्त करने के लिये उर्वरक, पानी और बीज महत्वपूर्ण चीजें हैं। सरकार ने पिछले दशक के दौरान विभिन्न प्रयास किये हैं, जिसके कारण कुल उर्वरक उत्पादन 2014-15 में 385.39 एलएमटी से बढ़कर 2023-24 में 503.35 एलएमटी हो गया है।
सरकार की ओर से कई उपाय किये गये हैं, जैसे यूरिया सब्सिडी योजना, नयी यूरिया नीति 2015, पोषक तत्व आधारित सब्सिडी योजना, देश में कुल उर्वरक उत्पादन को बढ़ाना आदि। इसके अलावा, यह देश में वैकल्पिक उर्वरकों जैसे नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और जैविक उर्वरक के उपयोग जैसे टिकाऊ तरीकों को भी बढ़ावा देता है।
रसायन और उर्वरक मंत्रालय में राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने यह जानकारी आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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