विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के लिये भारत के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सराहना की
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी और डब्ल्यूएचओ के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर, एक महत्वपूर्ण कदम: डॉ. जितेंद्र सिंह
यह साझेदारी ‘चिकित्सा निदान के लिये प्रौद्योगिकी’ पर ध्यान केंद्रित करने के साथ स्वास्थ्य सेवा नवाचार में एक अगुवा के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करती है
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में संपूर्ण सरकार का संपूर्ण वैज्ञानिक दृष्टिकोण: डॉ. सिंह
Posted On:
09 AUG 2024 8:12PM by PIB Delhi
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए), नयी दिल्ली में समझौते की औपचारिक घोषणा करने के समारोह में चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के लिये भारत के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने पर डब्ल्यूएचओ की सराहना की।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत में डब्ल्यूएचओ की अद्भुत मानवीय पहलों के लिये आभार व्यक्त करते हुये कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी और डब्ल्यूएचओ के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ के कोविड प्रौद्योगिकी एक्सेस पूल (सीटीएपी) का उल्लेख किया और कहा कि यह एक उत्कृष्ट पहल है, क्योंकि यह विभिन्न देशों की सफल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्रदान करती है। सीटीएपी को अब स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी एक्सेस पूल (एचटीएपी) के रूप में जाना जाता है। डॉ. सिंह ने कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस समझौता ज्ञापन का हिस्सा बनने पर गर्व है क्योंकि यह एससीटीआईएमएसटी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग को वैश्विक उद्यमियों के साथ साझेदारी करने, प्रौद्योगिकियों को लाइसेंस देने और रॉयल्टी के माध्यम से राजस्व सृजन करने की अनुमति देता है।”
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने वर्ष 2020 में कठिन कोविड काल के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को याद करते हुये कहा कि स्वदेशी उपकरणों का उत्पादन करने के बावजूद हमें मांग को पूरा करने के लिये आवश्यक मात्रा में उनका उत्पादन करने की जरूरत है।
मंत्री महोदय ने जोर देकर कहा कि स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने से, यह साझेदारी स्वास्थ्य सेवा नवाचार में एक अगुवा के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। इसके अतिरिक्त, यह एक उच्च कुशल कार्यबल के विकास में योगदान देता है, जिससे देश की विनिर्माण क्षमताओं में और वृद्धि होती है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने इन-विट्रो परीक्षण, जीनोमिक्स, सटीक दवा और वैक्सीन उत्पादन जैसी प्रौद्योगिकियों के विकास से संबंधित हमारी विश्व स्तरीय सुविधाओं पर प्रकाश डाला और कहा कि एससीटीआईएमएसटी द्वारा विकसित तकनीक चिकित्सा निदान के तेजी से बढ़ते इकोसिस्टम का एक हिस्सा है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ सहयोग पर विश्वास व्यक्त किया और कहा इसके परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी के अधिक विकास के साथ-साथ नवाचार होंगे और हमारे चिकित्सा, नैदानिक और चिकित्सीय बुनियादी अवसरंचना को मजबूत करने और वैश्विक बीमारियों और भविष्य की महामारियों से निपटने में आगे रहने के लिये अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने संस्थापक निदेशक पद्म विभूषण दिवंगत प्रोफेसर वलियाथन द्वारा किये गये अग्रणी प्रयासों को याद किया, जिनकी दूरदर्शिता की वजह से संस्थान ने जैव चिकित्सा प्रौद्योगिकी विकास के क्षेत्र में किये जा रहे उत्कृष्ट कार्य किये हैं।
बैठक में नीति आयोग के सदस्य और एससीटीआईएमएसटी के अध्यक्ष, डॉ. वी के सारस्वत, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, डॉ. ए करंदीकर, कार्यवाहक अतिरिक्त महानिदेशक और निदेशक, विनियमन और पूर्व अर्हता विभाग, डब्ल्यूएचओ, जिनेवा, डॉ. रोजेरियो पाउलो पिंटो डी सा गैसपर, भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच. ऑफरिन, दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रीय कार्यालय, डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय सलाहकार, डॉ. मनीषा श्रीधर, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंस एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ. संजय बिहारी, बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी इकाई के प्रमुख, डॉ. एच के वर्मा, वैज्ञानिक जी, आईएनएसए, डीएसटी, आईसीएमआर, डीबीटी, डॉ. अनूप थेक्कुवेटिल और अन्य संगठनों के सदस्य, डब्ल्यूएचओ के सदस्य, एससीटीआईएमएसटी के सदस्य भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि यह साझेदारी “चिकित्सा निदान के लिये प्रौद्योगिकी” पर ध्यान केन्द्रित करते हुये स्वास्थ्य सेवा नवाचार में अग्रणी के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। निरन्तर प्रोत्साहन देने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हुये डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरी सरकार और पूरे वैज्ञानिक दृष्टिकोण को पिछले दशक में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में आये परिवर्तन का श्रेय जाता है।”
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एमजी/एआर/एसवी/एसएस
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