कोयला मंत्रालय
कोयला क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत
Posted On:
05 AUG 2024 5:58PM by PIB Bhopal
देश में कोयले की अधिकांश आवश्यकता स्वदेशी उत्पादन और आपूर्ति के माध्यम से पूरी की जाती है। कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयास निम्नानुसार हैं:
- कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 [एमएमडीआर अधिनियम] का अधिनियमन, ताकि कैप्टिव खदानों के मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को खदान से जुड़े अंतिम उपयोग संयंत्र की आवश्यकता को पूरा करने के बाद अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50% तक ऐसी अतिरिक्त राशि का भुगतान करने पर खुले बाजार में बेचने में सक्षम बनाया जा सके, जिसे केंद्र सरकार निर्धारित करती है।
- कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र में सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल।
- कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने में कोयला ब्लॉक आवंटियों की सहायता के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
- राजस्व साझेदारी के आधार पर वाणिज्यिक खनन की नीलामी 2020 में शुरू की गई। वाणिज्यिक खनन योजना के तहत, उत्पादन की निर्धारित तिथि से पहले उत्पादित कोयले की मात्रा के लिए अंतिम प्रस्ताव पर 50% की छूट दी गई है। साथ ही, कोयला गैसीकरण या द्रवीकरण (अंतिम प्रस्ताव पर 50% की छूट) पर प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं।
- वाणिज्यिक कोयला खनन की शर्तों को उदार बनाया गया है, जिसमें कोयले के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं, नई कंपनियों को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति, कम अग्रिम राशि, मासिक भुगतान में अग्रिम राशि का समायोजन, कोयला खदानों को चालू करने के क्रम में लचीलेपन को प्रोत्साहित करने के लिए उदार दक्षता पैरामीटर, पारदर्शी बोली प्रक्रिया, स्वचालन मार्ग के माध्यम से 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और राष्ट्रीय कोयला सूचकांक पर आधारित राजस्व साझेदारी मॉडल शामिल हैं।
- कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2029-30 तक 500 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) की कोयला उत्पादन क्षमता वाली 100 नई खदानें खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
- कोकिंग कोल के आयात को कम करने के लिए इस्पात क्षेत्र को कोकिंग कोल की आपूर्ति बढ़ाने के उद्देश्य से कोकिंग कोल मिशन शुरू किया गया है। कोकिंग कोल उत्पादन को बढ़ाने के लिए पहलें की गई हैं।
- गैर-विनियमित क्षेत्र लिंकेज नीलामी के तहत 'डब्ल्यूडीओ मार्ग के माध्यम से कोकिंग कोल का उपयोग करने वाला इस्पात' नाम से एक नया उप-क्षेत्र बनाया गया है। अनुबंध की पूरी अवधि के दौरान पहचान की गई खदानों से इस्पात क्षेत्र को दीर्घकालिक कोयला लिंकेज के आश्वासन के साथ नए उप-क्षेत्र के निर्माण से देश में वास्ड कोकिंग कोल की उपलब्धता बढ़ेगी और देश में इस्पात उद्योग द्वारा घरेलू कोकिंग कोल की खपत बढ़ेगी, जिससे कोकिंग कोल के आयात में कमी आएगी।
- कोयला मंत्रालय में गठित एक समिति ने "मेक इन इंडिया/आत्मनिर्भर भारत" को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक नीतिगत पहलों का सुझाव दिया है।
- कोयला मंत्रालय के तहत कोयला सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा पारदर्शी वैश्विक खुली निविदाओं के माध्यम से खदान डेवलपर सह संचालक (एमडीओ) को नियुक्त किया जाता है, ताकि घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाया जा सके और कोयले के आयात पर निर्भरता कम की जा सके।
- बंद/परित्यक्त खदानों को राजस्व साझाकरण मॉडल के तहत फिर से खोला जा रहा है, जिससे देश में कोयला उत्पादन में वृद्धि होगी।
- सरकार ने इस्पात क्षेत्र को कोयला आपूर्ति बढ़ाने और कोयला आयात को कम करने के लिए कोल वॉशरी स्थापित करने की योजना बनाई है।
- वार्षिक अनुबंधित मात्रा (एसीक्यू) को मानक आवश्यकता के 100% तक बढ़ा दिया गया है, उन मामलों में जहां एसीक्यू को मानक आवश्यकता के 90% (गैर-तटीय) तक घटा दिया गया था या जहां एसीक्यू को मानक आवश्यकता के 70% (तटीय बिजली संयंत्र) तक घटा दिया गया था। एसीक्यू में वृद्धि से अधिक घरेलू कोयला आपूर्ति बढ़ेगी और आयात निर्भरता कम होगी।
- सरकार ने 2022 में निर्णय लिया था कि बिजली क्षेत्र के सभी मौजूदा लिंकेज धारकों की पूर्ण बिजली खरीद अनुबंध (पीपीए) आवश्यकता को पूरा करने के लिए कोयला, कोयला कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। बिजली क्षेत्र के लिंकेज धारकों की पूर्ण पीपीए आवश्यकता को पूरा करने के सरकार के निर्णय से आयात पर निर्भरता कम होगी।
- कोयला आयात प्रतिस्थापन के उद्देश्य से 29.05.2020 को कोयला मंत्रालय में एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) का गठन किया गया था। विद्युत मंत्रालय, रेल मंत्रालय, पोत परिवहन मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय, इस्पात मंत्रालय, खान मंत्रालय, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई), उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), कोयला कंपनियाँ और बंदरगाहों के प्रतिनिधि इस आईएमसी के सदस्य हैं। अब तक आईएमसी की ग्यारह बैठकें हो चुकी हैं। आईएमसी के निर्देश पर, कोयला मंत्रालय द्वारा एक आयात डेटा प्रणाली विकसित की गई है, ताकि मंत्रालय कोयले के आयात की निगरानी कर सके। कोयले की अधिक घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयास किए गए हैं।
उपरोक्त के अतिरिक्त, कोयला कंपनियों ने घरेलू कोयला उत्पादन को बढ़ाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं, ताकि आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सके:
- कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कई उपाय अपनाए हैं। अपनी भूमिगत (यूजी) खदानों में, सीआईएल मुख्य रूप से निरंतर खनिकों (सीएम) के साथ, जहाँ संभव हो, बड़े पैमाने की उत्पादन तकनीक (एमपीटी) अपना रही है। सीआईएल ने परित्यक्त/बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों की भी योजना बनाई है। सीआईएल, जहाँ संभव हो, बड़ी क्षमता वाली यूजी खदानों की भी योजना बना रही है। अपनी खुली (ओपनकास्ट, ओसी) खदानों में, सीआईएल के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले एक्सके वेटर, डंपर और सरफेस माइनर के रूप में में अत्याधुनिक तकनीक है।
- सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) द्वारा नई परियोजनाओं की शुरुआत और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन के लिए नियमित संवाद किया जा रहा है। एससीसीएल ने कोयले की निकासी के लिए सीएचपी, क्रशर, मोबाइल क्रशर, प्री-वेट-बिन जैसे बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कार्रवाई शुरू की है।
सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का फोकस कोयले के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और देश में कोयले के अनावश्यक आयात को खत्म करने पर है। वर्ष 2023-2024 में अखिल भारतीय घरेलू कोयला उत्पादन 997.828 मीट्रिक टन (अनंतिम) था, जबकि वर्ष 2022-2023 में यह 893.191 मीट्रिक टन रहा था, जो लगभग 11.71% की वृद्धि दर्शाता है। इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष (जून 2024 तक) में देश ने पिछले वर्ष की इसी अवधि के 223.376 मीट्रिक टन (अनंतिम) की तुलना में लगभग 10.75% की वृद्धि के साथ 247.396 मीट्रिक टन (अनंतिम) कोयले का उत्पादन किया है।
इसके अलावा, देश के कुल कोयला उत्पादन में वित्त वर्ष 2013-14 के 565.765 मीट्रिक टन के मुकाबले वित्त वर्ष 2023-24 (अनंतिम) में 997.828 मीट्रिक टन तक की मजबूत वृद्धि दर्ज की गई है। 2013-14 से देश में कोयला उत्पादन का विवरण इस प्रकार है:
(आंकड़े मीट्रिक टन में)
वर्ष
|
कोयला उत्पादन
|
2013-14
|
565.765
|
2014-15
|
609.179
|
2015-16
|
639.230
|
2016-17
|
657.868
|
2017-18
|
675.400
|
2018-19
|
728.718
|
2019-20
|
730.874
|
2020-21
|
716.083
|
2021-22
|
778.210
|
2022-23
|
893.191
|
2023-24*
|
997.828
|
अनंतिम
यह जानकारी केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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