जल शक्ति मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

लघु सिंचाई गणना रिपोर्ट

Posted On: 05 AUG 2024 1:58PM by PIB Delhi

लघु सिंचाई (एमआई) गणना का मुख्य उद्देश्य प्रभावी योजना और नीति निर्धारण के लिए लघु सिंचाई क्षेत्र में एक व्यापक और विश्वसनीय डेटाबेस बनाना है। लघु सिंचाई योजनाओं की गणना राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों में की जाती है, जिसमें 2,000 हेक्टेयर तक के कृषि योग्य कमांड क्षेत्र (सीसीए) वाली सभी भूजल और सतही जल योजनाओं को शामिल किया जाता है। एमआई जनगणना में, सिंचाई स्रोतों (खुदे हुए कुएं, उथले ट्यूबवेल, मध्यम ट्यूबवेल, गहरे ट्यूबवेल, सतही प्रवाह और सतही लिफ्ट योजनाएं), सिंचाई क्षमता (आईपीसी), उपयोग की जाने वाली क्षमता, स्वामित्व, होल्डिंग जैसे विभिन्न मानकों पर विस्तृत जानकारी भूस्वामी द्वारा भूमि के आकार, पानी उठाने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण, ऊर्जा के स्रोत, जल वितरण के लिए उपयोग की जाने वाली विधियां आदि एकत्र की जाती हैं।

6वीं लघु सिंचाई गणना पूरी हो गई और अखिल भारतीय एवं राज्य-वार रिपोर्ट 2023 में प्रकाशित की गईं। 6वीं एमआई गणना में, 231.4 लाख एमआई योजनाओं की गणना की गईं, जिनमें से 219.3 लाख (94.8 प्रतिशत) भूजल योजनाएं (कुएं खोदे गए) थीं/उथले ट्यूबवेल/मध्यम ट्यूबवेल/गहरे ट्यूबवेल) और 12.1 लाख (5.2 प्रतिशत) सतही जल योजनाएं (सतह प्रवाही/सतही लिफ्ट) थीं। छठी लघु सिंचाई (एमआई) गणना रिपोर्ट से उपलब्ध एमआई योजनाओं की संख्या के अखिल भारतीय आंकड़े नीचे दिए गए हैं:

भूजल योजनाएं

सतही जल योजनाएं

कुल योग 

खुदे हुए  कुएं

उथले ट्यूबवेल

मध्यम ट्यूबवेल

गहरे ट्यूबवेल

कुल

सतही प्रवाह

योजना

 

सतही लिफ्ट

योजना

कुल

8278425

5585106

4318146

3750247

21931924

611059

595981

1207040

23138964

 

भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2015-16 में 'प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)' शुरू की, जिसका उद्देश्य खेत में पानी की वास्तविक पहुंच बढ़ाना और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, कृषि जल उपयोग दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण प्रथाएं आदि शुरू करना है। हर खेत को पानी (एचकेकेपी) पीएमकेएसवाई के घटकों में से एक है। सतही लघु सिंचाई (एसएमआई) और जल निकायों की मरम्मत, नवीनीकरण और पुनरुद्धार  की योजना अब पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी का हिस्सा बन गई है। जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत जलशक्ति विभाग (डीओडब्ल्यूआर), आरडी एंड जीआर, पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी के घटक जल स्रोतों संबंधी योजनाओं के सतही लघु सिंचाई और मरम्मत, नवीनीकरण और पुनरुद्धार) के अंतर्गत सिंचाई क्षमता के निर्माण और पुनरुद्धार के लिए राज्यों को केंद्रीय सहायता प्रदान करता है। पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी के जल स्त्रोतों संबंधी घटक के एसएमआई और आरआरआर के अंतर्गत केन्द्रीय सहायता जारी करने का राज्य-वार और वर्ष-वार विवरण नीचे दिया गया है:

क्रम सं

राज्य

2019-20

2020-21

2021-22

2022-23

2023-24

1

अरुणाचल प्रदेश

17.49

104.69

142.73

41.95

138.70

2

असम

414.06

205.62

275.20

71.54

52.09

3

बिहार

27.96

10.65

8.62

11.76

7.78

4

गुजरात

 

 

 

3.16

2.57

5

हिमाचल प्रदेश

147.91

58.80 .

60.31

40.50

142.30

6

जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख

68.58

97.59

 

 

 

7

कर्नाटक

 

 

 

30.00

37.50

8

मणिपुर

24.26

69.26

75.98

26.

23.55

9

मेघालय

22.22

57.07

100.47

 46 .52

74,21

10

मिजोरम

11.34

7.65

4.66

 

0.81

11

नगालैंड

20.46

35.99

40.89

21.01

92.71

12

ओडिशा

 

34.54

 

11.0

56.25

13

राजस्थान

11.96

 

 

9.30

10.46

14

सिक्किम

9.13

9.33

9.71

12.88

29.25

15

तमिलनाडु

16.75

1.25

17.43

27.70

49.60

16

त्रिपुरा

9.00

 

 

 

 

17

उत्तराखंड

31.78

 

29.63

17.20

93.40

 

कुल योग

832.90

693.44

765.63

371.08

811.19

(करोड़ रुपये में )

इसके अलावा, वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2025-26 के लिए पीएमकेएसवाई-एचकेकेपी को जारी रखने को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर, 2021 में डब्ल्यूबी योजनाओं की एसएमआई और आरआरआर के लिए 4580 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय और 4.50 लाख हेक्टेयर की लक्षित सिंचाई क्षमता के साथ मंजूरी दे दी है।

 

दोनों योजनाओं (डब्ल्यूबी के एसएमआई और आरआरआर) के तहत केंद्रीय सहायता अनुदान के रूप में प्रदान की जाती है जो बिना विधायिका वाले केंद्र शासित प्रदेशों के लिए परियोजना लागत का शत-प्रतिशत है। विधायिका वाले केंद्र-शासित प्रदेशों और 7 उत्तर-पूर्वी राज्यों तथा सिक्किम और पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड) के लिए केंद्रीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत है। इसके अलावा, एसएमआई योजना के तहत केंद्रीय सहायता/अनुदान विशेष क्षेत्रों यानी ओडिशा के अविभाजित कोरापुट, बोलांगीर और कालाहांडी (केबीके) जिलों, यूपी और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र, जनजातीय क्षेत्र, बाढ़ संभावित क्षेत्र, डीपीएपी (सूखा संभावित क्षेत्र कार्यक्रम) क्षेत्र, अन्य राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के रेगिस्तान विकास कार्यक्रम (डीडीपी) क्षेत्र को लाभ पहुंचाने वाली परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत का 60 प्रतिशत है। जलाशयों की आरआरआर के तहत केंद्रीय सहायता अन्य सभी श्रेणियों के लिए परियोजना लागत का 60 प्रतिशत है। एसएमआई योजना सिक्किम और पहाड़ी राज्यों (हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड)/केंद्र शासित प्रदेशों और सामान्य श्रेणी के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विशेष क्षेत्रों सहित 7 उत्तर-पूर्वी राज्यों को कवर करती है, जबकि डब्ल्यूबी योजना का आरआरआर पूरे देश को समाहित करता है।

यह जानकारी केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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