महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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सरकार ने महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है

Posted On: 31 JUL 2024 7:54PM by PIB Delhi

सरकार पिछड़े क्षेत्रों सहित पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। सरकार ने महिलाओं के शैक्षिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए जीवन चक्र निरंतरता आधार पर बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे वे देश के विकास की प्रक्रिया का नेतृत्व कर सकें।

पिछले कुछ वर्षों में, झारखंड सहित पूरे देश में महिलाओं के समग्र विकास और सशक्तिकरण के लिए अनेक पहल की गई हैं।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय वित्तीय वर्ष 2022-23 से 15वें वित्त आयोग की अवधि में 'मिशन शक्ति' नामक अम्ब्रेला योजना लागू कर रहा है। इसका उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और सशक्तिकरण के लिए मध्यवर्तन को मजबूत करना है तथा जीवन-चक्र निरंतरता के आधार पर महिलाओं को प्रभावित करने वाले मुद्दों को संबोधित करके महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को साकार करना है। यह मंत्रालयों/विभागों और शासन के विभिन्न स्तरों पर अभिसरण में सुधार लाने के लिए कार्यनीतियों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह डिजिटल अवसंरचना को समर्थन, अंतिम मील ट्रैकिंग और जन सहभागिता को मजबूत करने के अलावा, पंचायतों और अन्य स्थानीय स्तर के शासन निकायों की अधिक भागीदारी और समर्थन को बढ़ावा देता है। मिशन शक्ति की दो उप-योजनाएं हैं - 'संबल' और 'समर्थ्य'

"संबल" उप-योजना महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा के लिए है। इसमें वन स्टॉप सेंटर (ओएससी), महिला हेल्पलाइन (डब्ल्यूएचएल), बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी) और नारी अदालत का एक नया घटक शामिल हैं।

"समर्थ्य" उप योजना महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है। इसमें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई), शक्ति सदन, सखी निवास, पालना और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए गैप फंडिंग का एक नया घटक यानी संकल्प: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हब (एचईडब्ल्यू) है जिससे केंद्र, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश और जिला स्तरों पर महिलाओं के लिए योजनाओं और कार्यक्रमों के अंतर-क्षेत्रीय अभिसरण की सुविधा प्राप्त हो सके ताकि एक ऐसे वातावरण का निर्माण किया जा सके जिसमें महिलाओं को अपनी पूरी क्षमता का एहसास हों। महिलाओं को एचईडब्ल्यू के अंतर्गत सहायता उनके सशक्तिकरण और विकास के लिए विभिन्न संस्थागत और योजनाबद्ध सेटअप के लिए मार्गदर्शन, लिंक और सहायता प्रदान करती है, जिसमें स्वास्थ्य देखभाल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, करियर और व्यावसायिक परामर्श/प्रशिक्षण, वित्तीय समावेशन, उद्यमिता, बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज, श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और डिजिटल साक्षरता तक पहुंच शामिल है।

मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाएं एक सार्वभौमिक, प्रवेश निषेध योजना है जिसके अंतर्गत गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं पूरक पोषण कार्यक्रम (एसएनपी) सहित सेवाएं प्राप्त करने की पात्र हैं। सरकार ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) भी लागू की है जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (पीडब्लू और एलएम) को मजदूरी के नुकसान के आंशिक मुआवजे के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से नकद प्रोत्साहन प्रदान करना है ताकि महिला प्रसव से पहले और बाद में पर्याप्त आराम कर सके और अपने स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में सुधार ला सके। यह योजना दूसरे बच्चे के लिए अतिरिक्त नकद प्रोत्साहन प्रदान करके बालिका के प्रति सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा देने की भी कोशिश करती है, अगर वह एक बालिका है। इस योजना के माध्यम से 3.44 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभ प्रदान किया गया है। इसके अलावा, बच्चों को डे केयर सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में एक उप-योजना पालना लागू की गई है। अधिक से अधिक माताओं को काम करने और देखभाल करने वालों को कार्यबल में भाग लेने में सक्षम बनाने के लिए आंगनवाड़ी सह क्रेच (एडब्ल्यूसीसी) के माध्यम से बच्चों की देखभाल की सेवाओं का विस्तार किया गया है।

किशोरियों के लिए योजना (एसएजी) को 2019-20 से मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के अंतर्गत लाया गया है। 01.04.2022. इस योजना के अंतर्गत लक्षित लाभार्थियों में आकांक्षी जिलों और सभी उत्तर-पूर्वी राज्यों में 14 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियां शामिल हैं।

प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) का लक्ष्य 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के विकास को लक्षित करना है ताकि पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार संपर्क और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ संतृप्त किया जा सके। पीएम-जनमन योजना के अंतर्गत, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के साथ अभिसरण के माध्यम से पीवीटीजी बस्तियों में 916 नए आंगनवाड़ी केंद्रों को मंजूरी प्रदान की है।

2017 में, मातृत्व लाभ अधिनियम में संशोधन करके पहले दो बच्चों के लिए भुगतान मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से 26 सप्ताह तक बढ़ाया गया। इस अधिनियम में 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले सभी प्रतिष्ठानों में महिला कामगारों को सवेतन प्रसूति अवकाश और निर्धारित दूरी के अंदर क्रेच सुविधा प्रदान करने का भी प्रावधान है। महिला को सौंपे गए कार्य की प्रकृति के आधार पर, अधिनियम की धारा 5(5) में ऐसी अवधि के लिए मातृत्व लाभ प्राप्त करने के बाद और ऐसी शर्तों पर जो नियोक्ता और महिला परस्पर सहमत हों, महिला के लिए घर से काम करने का भी प्रावधान है।

इसके अलावा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीईएम) में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। विज्ञान ज्योति को 2020 में 9वीं से 12वीं कक्षा तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विभिन्न स्ट्रिमों में लड़कियों के कम प्रतिनिधित्व को संतुलित करने के लिये शुरु किया गया। ओवरसीज फेलोशिप योजना 2017-18 में शुरू की गई। यह भारतीय महिला वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविदों को एसटीईएम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करता है। कई महिला वैज्ञानिकों ने भारत के पहले मार्स ऑर्बिटर मिशन (एमओएम), या मंगलयान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र में वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण और परीक्षण शामिल है।

उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय पूरे देश में छात्रों को ई-लर्निंग के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन (एनएमईआईसीटी), स्वयं (युवा महत्वाकांक्षी दिमागों के लिए सक्रिय शिक्षण का अध्ययन वेब), स्वयं प्रभा, राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (एनडीएल), वर्चुअल लैब, ई-यंत्र, एनईएटी (प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय शिक्षा गठबंधन) आदि का संचालन कर रहा है। प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी कार्यक्रम के अंतर्गत, सरकार द्वारा विद्या लक्ष्मी पोर्टल (वीएलपी) शुरू किया गया है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र बैंकों की एकल खिड़की प्रणाली के माध्यम से आसानी से शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकें। सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को पोर्टल पर ऑन-बोर्ड किया गया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी), यह योजना घरों के महिला स्वामित्व पर केंद्रित है और यह निर्णय लिया गया है कि घर का आवंटन महिला के नाम पर या पति और पत्नी के नाम पर संयुक्त रूप से किया जाएगा, सिवाय विधुर/ अविवाहित/ अलग हो चुके व्यक्ति/ ट्रांसजेंडर को छोड़कर।

'स्वच्छ भारत मिशन' के अंतर्गत 12.21 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण, 'उज्ज्वला योजना' के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली 10.33 करोड़ महिलाओं को स्वच्छ रसोई गैस कनेक्शन और 'जल जीवन मिशन' के अंतर्गत 14.99 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल पेयजल कनेक्शन से जोड़कर कठिन परिश्रम और देखभाल के बोझ को कम करके महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया गया है।

महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए, सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण का निर्माण करने के लिए श्रम संहिताओं में कई सक्षम प्रावधान शामिल किए गए हैं, जैसे मजदूरी संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 आदि। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) में कहा गया है कि योजना (मनरेगा) के अंतर्गत सृजित नौकरियों का कम से कम एक तिहाई महिलाओं को दिया जाना चाहिए।

दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत, लगभग 10.18 करोड़ महिलाएं लगभग 91.57 लाख महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं जो ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को कई अभिनव, सामाजिक और पारिस्थितिक रूप से जिम्मेदार तरीकों से बदल रही हैं, आनुशंगिक मुक्त ऋण सहित सरकारी सहायता भी प्राप्त कर रही हैं।

कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने कौशल भारत मिशन शुरू किया है। राष्ट्रीय कौशल विकास नीति समावेशी कौशल विकास पर ध्यान केन्द्रित करती है जिसका उद्देश्य बेहतर आर्थिक उत्पादकता के लिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना है।

सरकार ने पूरे देश में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री कौशल केंद्र भी स्थापित किए हैं। महिलाओं के लिए प्रशिक्षण और प्रशिक्षुता दोनों के लिए अतिरिक्त अवसंरचना निर्माण पर बल दिया गया है; जिसमें महिलाओं को समायोजित करने के लिए लचीले प्रशिक्षण वितरण तंत्र जैसे मोबाइल प्रशिक्षण इकाइयां, लचीले दोपहर के बैच के साथ-साथ स्थानीय आवश्यकता-आधारित प्रशिक्षण; सुरक्षित और लिंग संवेदनशील प्रशिक्षण वातावरण, महिला प्रशिक्षकों को रोजगार, पारिश्रमिक में समानता और शिकायत निवारण तंत्र सुनिश्चित करना आदि शामिल है।

राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम, कृषि वस्तुओं के लिए एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म महिलाओं को बाजारों तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं को दूर करने या क्षतिपूर्ति करने में मदद कर रहा है। राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) महिला सहकारी समितियों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है क्योंकि बड़ी संख्या में महिलाएं खाद्यान्न प्रसंस्करण, रोपण फसलों, तिलहन प्रसंस्करण, मत्स्य पालन, डेयरी और पशुधन, कताई मिलों, हथकरघा और पावरलूम बुनाई, एकीकृत सहकारी विकास परियोजनाओं आदि से संबंधित गतिविधियों वाली सहकारी समितियों में कार्यरत हैं और शामिल हैं। अन्य योजनाओं में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी), समग्र शिक्षा, बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना, स्वच्छ विद्यालय मिशन, स्वच्छ भारत मिशन आदि शामिल हैं। महिला कामगारों के नियोजन में वृद्धि करने के उद्देश्य से, सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों तथा क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। कौशल विकास और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने कौशल भारत मिशन भी शुरू किया है।

भारत सशस्त्र बलों में लड़कियों के लिए बड़ी भूमिकाओं को बढ़ावा दे रहा है। सरकार ने भारतीय वायु सेना, कमांडो, केंद्रीय पुलिस बलों में लड़ाकू पायलट, सैनिक स्कूलों में प्रवेश, एनडीए में लड़कियों के प्रवेश आदि जैसे गैर-पारंपरिक क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी की अनुमति देने वाले प्रावधानों को भी सक्षम बनया है। सरकार ने विशेष रूप से कम आय वाले परिवारों की युवा स्कूली छात्राओं पर विशेष ध्यान देते हुए महिला विमानन पेशेवरों के सृजन के साथ नागर विमानन क्षेत्र में महिला भागीदारी बढ़ाने के लिए भी पहल की है। वैश्विक स्तर पर, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ वुमन एयरलाइन पायलट के अनुसार, लगभग 5 प्रतिशत पायलट महिलाएं हैं। भारत में, महिला पायलटों की हिस्सेदारी बहुत ज्यादा है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और स्टैंड-अप इंडिया, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) जैसी योजनाएं हैं जो महिलाओं को अपना उद्यम स्थापित करने में मदद करने के लिए शुरू की गई हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए, सरकार द्वारा 'स्टैंड-अप इंडिया' के अंतर्गत 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक ऋण में 84% ऋण महिलाओं को उपलब्ध कराए गए हैं।

उद्यमिता पर विशेष ध्यान देने के साथ, भारत सरकार ने महिलाओं के नेतृत्व वाले छोटे उद्यमों को बड़ी संख्या में ऋण सुविधा और वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, यह सुनिश्चित करते हुए कि महिलाएं स्टार्ट-अप इंडिया के अतंर्गत समर्थित देश के बढ़ते स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण शक्ति बनें।

महिलाओं को जमीनी स्तर पर राजनीतिक नेतृत्व की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से सरकार ने संविधान के 73वें संशोधन में महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं में कम से कम 33% स्थान आरक्षित किए हैं। आज, पीआरआई में 14.50 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि (ईडब्ल्यूआर) हैं, जो कुल निर्वाचित प्रतिनिधियों का लगभग 46% है। सरकार शासन प्रक्रियाओं में प्रभावी भागीदारी के लिए महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उनकी क्षमता का निर्माण करने के लिए समय-समय पर निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण प्रदान कर रही है।

महिला सशक्तिकरण और देश के सर्वोच्च राजनीतिक कार्यालयों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए सबसे बड़ी छलांग सरकार द्वारा 28 सितंबर, 2023 को नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 (संविधान 106वां संशोधन) अधिनियम, 2023 की अधिसूचना है, जिसमें लोक सभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा सहित राज्य विधान सभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।

यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी आज राज्यसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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