वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

सरकार ने व्यवसाय को बढ़ावा देने, निर्यात एवं विनिर्माण में वृद्धि करने के लिए कई कदम उठाये

Posted On: 30 JUL 2024 5:05PM by PIB Delhi

केंद्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने तथा व्यवसाय करने की सुगमता में वृद्धि करने के लिए समय समय पर कई महत्वपूर्ण पहल किए हैं तथा नीतिगत कदम उठाये हैं।

1- नई विदेश व्यापार नीति 31 मार्च, 2023 को लांच की गई तथा 1 अप्रैल, 2023 से प्रभावी हुई।

2- शिपमेंट से पहले एवं पश्चात रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समकरण योजना भी कुल 12788 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ 31-08-2024 तक विस्तारित कर दी गई है।

3- निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं नामतः ट्रेड इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एक्सपोर्ट स्कीम ( टीआईईएस ) और मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव्स ( एमएआई ) स्कीम के माध्यम से सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।

4- श्रम केंद्रित सेक्टर के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्रीय लेवी तथा करों में छूट ( आरओएससीटीएल ) स्कीम 07.03.2019 से कार्यान्वित की जा रही है।

5- निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट ( रोडटेप ) स्कीम 01.01.2021 से कार्यान्वित की जा रही है। 15.12.2022 से, फार्मास्यूटिकल्स, जैविक एवं अजैविक रसायन तथा लौह एवं इस्पात की वस्तुओं जैसे अनछुए सेक्टरों को रोडटेप के तहत कवर किया जा रहा है। इसी प्रकार, 432 टैरिफ लाइनों में विसंगतियों पर ध्यान दिया गया है और सही दरों को 16.01.2023 से लागू किया गया है।

6- व्यापार को सुविधाजनक बनाने तथा निर्यातकों द्वारा मुक्त व्यापार समझौते ( एफटीए ) के उपयोग को बढ़ाने के लिए उद्भव प्रमाण पत्र के लिए कॉमन डिजिटल प्लेटफॉर्म लांच किया गया है। 

7- प्रत्येक जिले में निर्यात क्षमता वाले उत्पादों की पहचान करके, इन उत्पादों के निर्यात में आने वाली बाधाओं को दूर करके और जिले में रोजगार सृजन करने के लिए स्थानीय निर्यातकों/ विनिर्माताओं की सहायता करके इन जिलों के लिए निर्यात हब पहलों की शुरुआत की गई है। 

8- भारत के व्यापार,पर्यटन, प्रौद्योगिकी तथा निवेश लक्ष्यों को बढ़ावा देने की दिशा में विदेशों में भारतीय मिशनों की सक्रिय भूमिका बढ़ाई गई है। विदेशों में वाणिज्यिक मिशनों, निर्यात संवर्धन परिषदों , कमोडिटी बोर्डों/ प्राधिकरणों तथा उद्योग संघों के साथ निर्यात निष्पादन की नियमित निगरानी की जा रही है तथा समय समय पर सुधार संबंधी उपाय किए जा रहे हैं।

सरकार ने भारत में घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें वस्तु एवं सेवा कर की शुरूआत, कॉर्पोरेट कर में कमी, व्यापार करने में आसानी में सुधार, एफडीआई नीति में सुधार, अनुपालन बोझ में कमी के उपाय, सार्वजनिक खरीद आदेशों के माध्यम से घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के उपाय, चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) और क्यूसीओ ( गुणवत्ता नियंत्रण आदेश )  शामिल हैं। इसके अलावा, भारत के  ' आत्मनिर्भर ' बनने के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिए 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पीएलआई योजनाओं की घोषणा की गई है। ।

व्यवसाय करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी में सुधार लाने के उद्देश्य से, सरकार ने सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में सरकार से व्यवसाय और नागरिक इंटरफेस को सरल बनाने, तर्कसंगत बनाने, डिजिटलीकरण करने और अपराधमुक्त करने की पहल की है। अब तक, 42,000 से अधिक अनुपालन कम कर दिए गए हैं और 3,800 से अधिक प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया गया है। नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम (एनएसडब्ल्यूएस) विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य विभागों से सभी जी2बी मंजूरी के लिए आवेदन करने के लिए एक एकीकृत मंच है। सभी 32 केंद्रीय मंत्रालय/विभाग एनएसडब्ल्यूएस में एकीकृत हैं। एनएसडब्ल्यूएस के माध्यम से कुल 277 केंद्रीय अनुमोदन के लिए आवेदन किया जा सकता है। 661 से अधिक अनुमोदनों से संबंधित जानकारी निवेशकों को नो योर अप्रूवल्स ( केवाईए ) मॉड्यूल के माध्यम से उपलब्ध है। जन विश्वास ( प्रावधानों में संशोधन ) अधिनियम, 2023 को विश्वास -आधारित शासन को आगे बढ़ाने और छोटे अपराधों और अनुपालन -आधारित कानूनों और आवश्यकताओं को अपराधमुक्त करने में सक्षम बनाने के लिए पेश किया गया था। इस अधिनियम ने 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 अधिनियमों के तहत 183 प्रावधानों को अपराधमुक्त कर दिया।

सरकार ने भारत 2047 के रोडमैप के हिस्से के रूप में, भारतीय उद्योगों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ अधिक एकीकरण की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं। विवरण इस प्रकार हैं :

  1. निवेश को बढ़ावा देने और व्यापार करने में आसानी में सुधार के लिए सरकार की नीतिगत पहलों ने भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाया है। भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। अक्टूबर, 2019 में प्रकाशित विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट ( डीबीआर ), 2020 में भारत 63वें स्थान पर है। डीबीआर में भारत की रैंक 2014 में 142वें से सुधरकर 2019 में 63वें स्थान पर पहुंच गई, जिसमें 5 वर्षों की अवधि में 79 रैंक की छलांग दर्ज की गई।
  2. बौद्धिक संपदा अधिकार ( आईपीआर ) के क्षेत्र में संस्थागत मजबूती और प्रक्रिया डिजिटलीकरण के संबंध में पिछले 9 वर्षों में नीति और विधायी सुधार किए गए हैं। इससे विकसित भारत संकल्प को पूरा करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से राष्ट्र के आर्थिक विकास में तेजी आएगी। 132 अर्थव्यवस्थाओं के बीच ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स ( जीआईआई ) में भारत की रैंक 2015 में 81वें से सुधरकर जीआईआई 2023 में 40वें स्थान पर पहुंच गई है। दिए गए पेटेंट की संख्या 2014-15 में 5,978 से सत्रह गुना बढ़कर 2023-24 में 1,03,057 हो गई है। पंजीकृत डिज़ाइनों की संख्या में 2014-15 में 7,147 से चार गुना वृद्धि दर्ज की गई है और 2023-24 में 30,672 हो गई है।
  3. स्टार्टअप इंडिया पहल को टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत इको सिस्टम बनाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान में " सरलीकरण और आरंभिक सहायता ", " फंडिंग समर्थन और प्रोत्साहन " और " उद्योग-अकादमिक साझेदारी और ऊष्मायन " जैसे क्षेत्रों में फैले 19 कार्य मदें शामिल हैं। सरकार के निरंतर प्रयासों से डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स की संख्या बढ़कर 1.33 लाख हो गई है।
  4. भारत ने वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी और हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए व्यापार नीति में सुधार किए हैं। भारत की विदेश व्यापार नीति ( एफटीपी ) वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में देश के एकीकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत का एफटीपी, लागत प्रतिस्पर्धात्मकता, व्यापार सुविधा और उभरते क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान करता है।
  5. भारत सरकार ने पीएम गतिशक्ति एनएमपी जीआईएस -सक्षम पोर्टल का उपयोग करके बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र की योजना की सुविधा के लिए 13 अक्टूबर, 2021 को पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान लॉन्च किया। पीएमजीएस का उपयोग मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देता है, अंतिम मील कनेक्टिविटी को बढ़ाता है जो व्यापार करने में आसानी और जीवन जीने में आसानी में योगदान देता है। पीएम गतिशक्ति एनएमपी के पूरक के रूप में, देश में लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने और लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार के लिए प्रधानमंत्री द्वारा 17 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति ( एनएलपी ) लॉन्च की गई थी। ये नीतियां नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ अधिक एकीकरण की सुविधा प्रदान कर रही हैं।

यह जानकारी केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री जितिन प्रसाद ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी ।

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