पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
पेट्रोलियम रिफाइनिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत
Posted On:
29 JUL 2024 2:56PM by PIB Bhopal
रिफाइनिंग क्षमता के क्रमिक विस्तार की बदौलत देश पहले से ही रिफाइनिंग क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन चुका है। विभिन्न प्रयासों के परिणामस्वरूप, पिछले 10 वर्षों में भारतीय रिफाइनिंग क्षमता 215.1 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) से बढ़कर 256.8 एमएमटीपीए हो गई है। 256.8 एमएमटीपीए की वर्तमान रिफाइनिंग क्षमता के मुकाबले, वर्ष 2023-24 में पेट्रोलियम उत्पादों की घरेलू खपत 233.3 एमएमटीपीए थी। वर्ष 2028 तक देश की रिफाइनिंग क्षमता बढ़कर 309.5 एमएमटीपीए होने का अनुमान है। पेट्रोल और डीजल की खपत में दीर्घकालिक विकास के रुझान और ऊर्जा संक्रमण की दिशा में सरकार के विभिन्न प्रयासों, संपीड़ित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) को अपनाने में वृद्धि, इथेनॉल सहित जैव ईंधन, इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), आदि के साथ-साथ बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताओं के आधार पर इस क्षमता के अनुमानित मांगों को पूरा करने की दिशा में पर्याप्त होने की संभावना है। इसके अलावा, रिफाइनरियां रिफाइनिंग की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए नवीनतम तकनीकों के अनुसार अपनी सुविधाओं को लगातार उन्नत बना रही हैं। बीएस-VI ऑटो ईंधन का वितरण पहले ही 01.04.2020 से लागू किया जा चुका है और वर्तमान में तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) के सभी खुदरा आउटलेट अखिल भारतीय आधार पर बीएस-VI मोटर स्पिरिट (एमएस) और हाई-स्पीड डीजल (एचएसडी) की आपूर्ति कर रहे हैं।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार, कोक और रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों (एनआईसी 19) के निर्माण का सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) वर्ष 2012-13 में 1.56 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 2.12 लाख करोड़ रुपये (पहले संशोधित अनुमान के अनुसार) हो गया है जिसने वर्तमान मूल्यों पर इसी अवधि में अखिल भारतीय जीडीपी को 99.44 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 269.49 लाख करोड़ रुपये करने में भी योगदान दिया है।
यह जानकारी पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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