कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय

फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी का उपयोग

Posted On: 26 JUL 2024 2:40PM by PIB Delhi

सटीक कृषि का उद्देश्य ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, सेंसर और ड्रोन का उपयोग करके खेत विशेष का प्रबंधन करना है, ताकि बहुत ही स्थानीय स्तर पर मिट्टी के गुणों, उसमें नमी के स्तर और फसल के स्वास्थ्य पर डेटा एकत्र किया जा सके। यह जानकारी किसानों को उर्वरकों, कीटनाशकों और पानी जैसी कृषि जरूरतों को सटीक रूप से पूरा करने में मदद करती है जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग होता है और बर्बादी कम होती है। इसके अलावा, फसलों के स्वास्थ्य की निगरानी रिमोट सेंसिंग तकनीकों और मल्टीस्पेक्ट्रल कैमरों से लैस ड्रोन के माध्यम से की जा सकती है। इससे फसलों में तनाव या बीमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाया जा सकता है। इससे समय पर उपाय करना संभव होता है, ताकि पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए फसल उत्पादकता बढ़े और दीर्घकालिक कृषि स्थिरता में योगदान मिले।

उपलब्ध पौध संरक्षण युक्तियों जैसे उपयुक्त/प्रतिरोधी किस्म का उपयोग, इनोकुलम लोड/कीट आबादी को कम करने के लिए स्वच्छ खेती, रासायनिक कीटनाशकों के साथ-साथ जाल, जैव-कीटनाशकों आदि जैसे उपयुक्त यांत्रिक उपकरणों का उपयोग करके पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित पौध संरक्षण प्राप्त किया जाता है। आईपीएम दृष्टिकोण में निगरानी से लेकर कीट प्रबंधन तक रासायनिक कीटनाशकों के आवश्यकता-आधारित उपयोग के साथ सभी उपलब्ध प्रबंधन तकनीकों जैसे भौतिक, सांस्कृतिक, यांत्रिक, जैविक, आनुवंशिक और रासायनिक विधियों को एकीकृत किया गया है। आईपीएम कार्यक्रमों में लागू आवश्यकता-आधारित कार्यवाही के कारण, रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम हो जाती है। इस प्रकार, पर्यावरण पर उनके हानिकारक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

रासायनिक कीटनाशकों पर निर्भरता कम करके, आईपीएम पर्यावरण प्रदूषण को कम करने और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देकर कीटनाशकों के संपर्क से जुड़े मानव स्वास्थ्य के जोखिम को कम करने में मदद करता है। यह प्राकृतिक शिकारी-शिकार संबंधों को संरक्षित करके जैव विविधता को भी बढ़ावा देता है।

प्रौद्योगिकी विकास और उसका उपयोग इस तरह से किया जाता है कि उत्पादन स्थिरता को वैश्विक खाद्य सुरक्षा की समस्या से निपटने और बढ़ती मांग को पूरा करने की आवश्यकता के साथ संतुलित किया जा सके। ये प्रौद्योगिकियां लक्षित, कुशल और पर्यावरण के अनुकूल समाधान प्रदान करके उच्च फसल उपज, बेहतर संसाधन प्रबंधन और कम पर्यावरणीय प्रभाव में योगदान करती हैं।

यह जानकारी केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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