जनजातीय कार्य मंत्रालय
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जनजातीय आबादी की प्रगति और कल्याण

Posted On: 25 JUL 2024 3:03PM by PIB Delhi

देशभर में 75 पीवीटीजीएस सहित 705 से अधिक जनजातीय समुदाय हैं जो कि एतिहासिक रूप से जंगलों, पहाड़ियों, पर्वतीय इलाकों और दूरदराज क्षेत्रों में रह रहे हैं जहां पहुंचना कठिन है और जहां भौतिक और डिजिटल संपर्क साधने में कई तरह की चुनौतियां हैं।

स्वतंत्रता के बाद जनजातीय विकास के लिये विभिन्न दृष्टिकोण और मॉडल विकसित किये गये। जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) 1974-75 में अस्तित्व में आई और उसके बाद से इसमें कई तरह के बदलाव हुये। जिसे बाद में अनुसूचित जनजातीय घटक (एसटीसी) और अनुसूचित जनजातीयों के लिये विकास कार्रवाई योजना (डीएपीएसटी) के रूप में जाना जाता है। हालांकि, मूल सिद्धांत वही रहा कि भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों को अनुसूचित जनजातीयों के कल्याण के लिये योजना बनाकर मिलकर काम करने की जरूरत है।

पिछले 10 साल के दौरान अनुसूचित जनजातीयों के लिये विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों का बजट आवंटन (2013-14 में) 24,598 करोड़ रूपये से 5-गुणा बढ़कर 2023-24 में 1,19,509 करोड़ रूपये तक पहुंच गया। अनुसूचित जनजातीयों की विकास योजनाओं के लिये 42 केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों को डीएपीएसटी के तहत बजट अनुदान आवंटित किया गया। जनजातीय इलाकों में सड़क, आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य केन्द्र बनाने के लिये नियमों में ढील दी गई। मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों द्वारा उपयोग में लाये जाने वाले कोष की निगरानी के लिये एक समर्पित पोर्टल ;ेजबउपेण्हवअण्पदद्ध विकसित किया है। इसकी पूरी जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2019 और 2022 में अंत्योदय मिशन डेटा के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर जनजातीय कार्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य डीएपीएसटी कोष के साथ मिलकर जनजातीय गांवों के बुनियादी ढांचे में सुधार लाना है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 15 नवंबर 2023 को 24,104 करोड़ रूपये के बजट के साथ प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम- जनमन) की शुरूआत की। यह अभियान 18 राज्यों और एक संघ शासित प्रदेश में जंगलों और दूरदराज इलाकों में स्थित 3,00,000 बस्तियों में रहने वाले 75 पीवीटीजी समुदायों (11 लाख परिवारों) के लिये शुरू किया गया। मिशन के तहत सभी संबंधित योजनाओं के लिये जनसंख्या संबंधी नियमों में ढील दी गई।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत सड़क निर्माण और आंगनवाड़ी स्थापित करने के नियमों में ढील देकर 100 कर दिया गया। जल जीवन मिशन के तहत 20 परिवारों वाली बस्ती में सामुदायिक नल उपलब्ध कराने के लिये नियमों में ढील दी गई। बिना बिजली कनेक्शन वाले शेष परिवारों (एचएच) तक बिजली पहुंचाने के लिये संशोधित वितरण क्षेत्र योजना (आरडीएसएस) (विद्युत मंत्रालय) के नियमों में भी ढील दी गई। जिन परिवारों तक ग्रिड के माध्यम से बिजली पहुंचाना संभव नहीं है वहां सौर उर्जा के जरिये घरों का विद्युतीकरण करने के लिये पीवीटीजी बस्तियों/गांवों के लिये नई सौर उर्जा योजना के माध्यम से नियमों में ढील दी गई। शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण में सुधार के लिये मिशन में पीवीटीजी होस्टल, चल चिकित्सा इकाइयां और बहुउद्देशीय केन्द्र बनाये गये हैं, जिसमें 9 मंत्रालयों द्वारा 11 हस्तक्षेप किये गये हैं।

मंत्रालय ने 5 छात्रवृत्ति योजनायें भी लागू की हैं जिसके तहत 2,500 करोड़ रूपये से अधिक के वार्षिक बजट के साथ प्रति वर्ष 35 लाख से अधिक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती है। डीबीटी जनजातीय पोर्टल के साथ राज्य के प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मेट्रिक योजना पोर्टल को एकीकृत करने से छात्रवृत्ति जारी करने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित की गई। पिछले 10 वर्ष के दौरान छात्रवृत्ति बजट 2013-14 के 978 करोड़ रूपये से 2.5 गुणा बढ़कर 2023-24 में 2,500 करोड़ रूपये से अधिक हो गया।

मंत्रालय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये 2019 में एक नई केन्द्रीय क्षेत्र योजना बनाई जिसके तहत 50 प्रतिशत अथवा इससे अधिक अनुसूचित जनजातीय आबादी और 20,000 अथवा अधिक जनजातीय व्यक्ति वाले प्रत्येक ब्लाॅक में एक ईएमआरएस होगा, जो कि नवोदय विद्यालय के समान होगा। इसके साथ ही दूरदराज स्थित जनजातीय क्षेत्रों में 440 नये स्कूल स्थापित किये जा रहे हैं। अनुच्छेद 275 (1) के तहत 2018 तक पहले ही 288 स्कूलों को मंजूरी दी जा चुकी है और 2026 तक कुल 728 स्कूल स्थापित कर दिये जायेंगे। 452 नये स्कूलों के लिये ईएमआरएस की निर्माण लागत 2021-22 में मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये 20 करोड़ और 24 करोड़ रूपये से बढ़ाकर क्रमशः 38 करोड़ और 48 करोड़ रूपये कर दी गई। पुराने स्कूलों के उन्नयन के लिये प्रति स्कूल 5 करोड़ रूपये और खेलकूद के लिये भी 5 करोड़ रूपये प्रति केन्द्र व्यय से 15 उत्क्ष्टता केन्द्र स्थापित करने का प्रावधान है। योजना के तहत 28,919.72 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। चरणबद्ध तरीके से 38,000 से अधिक अध्यापकों की भर्ती की जायेगी जिनमें से 10,000 से अधिक अध्यापन और गैर-अघ्यापन कार्य स्टाफ की भर्ती की जा चुकी है।

प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (पीएमजेवीएम) का उद्देश्य वन धन विकास केन्द्रों/वन धन उत्पादक उद्यमों की स्थापना कर उनमें फारवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज उपलब्ध कराते हुये देश भर में आजीविका संचालित जनजातीय विकास हासिल करना है। इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वन उत्पादों की खरीद कर राज्यों को सहायता पहुंचाना भी है। योजना के तहत हाट-बाजार, माल गोदाम स्थापित करने का भी प्रावधान है। पीएमजेवीएम योजना के तहत पांच साल के लिये 1,612 करोड़ रूपये मंजूर किये गये हैं। इस योजना के लिये ट्राइफेड क्रियान्वयन एजेंसी है। 2019 में शुरू किये गये वन धन कार्यक्रम के तहत 28 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में 10 लाख से अधिक व्यक्तियों को कवर करते हुये 3,800 से अधिक धन विकास केन्द्रों (वीडीवीके) को मंजूरी दी गई। एमएफपी योजना के लिये एमएसपी के तहत कवर किये जाने के लिये एमएफपी की अधिसूचित वस्तुओं की सूची में 87 एमएफपी जोड़े गये हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2047 तक सिकल सेल बीमारी के उन्मूलन के लिये सिकल सेल मिशन की शुरूआत की है। इसके तहत 7 करोड़ लोगों की जांच की जायेगी। इस बीमारी से बचाव, उसके उपचार और उन्मूलन के लिये विशेष प्रावधान किये गये हैं।

आदिवासियों के सशक्तिकरण के लिये प्रौद्योगिकी पर विशेष जोर दिया गया है। योजना की प्रगति, राज्यों द्वारा कोष का उपयोग की निगरानी के लिये मंत्रालय ने एक प्रदर्शन डैशबोर्ड ;कंेीइवंतकण्जतपइंसण्हवअण्पदद्ध विकसित किया है जिसमें जनजातीय समुदायों के समग्र विकास के लिये भारत सरकार द्वारा किये जा रहे विभिन्न हस्तक्षेप विवरण को देखा जा सकता है।

केन्द्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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