वित्त मंत्रालय
केंद्रीय बजट 2024-25 में प्रस्तावित नई पूंजीगत लाभ कर व्यवस्था पर सीबीडीटी द्वारा जारी अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
Posted On:
24 JUL 2024 9:58PM by PIB Delhi
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफएक्यू)
प्रश्न 1. वित्त (सं. 2) विधेयक, 2024 द्वारा पूंजीगत लाभ के कराधान में कौन-से प्रमुख परिवर्तन किए गए हैं?
उत्तर: पूंजीगत लाभ के कराधान को युक्तिसंगत और सरल बनाया गया है। इस युक्तिसंगत और सरलीकरण के लिए 5 व्यापक मानक हैं, अर्थात्:-
- धारण अवधि को सरल बनाया गया है। अब केवल दो धारण अवधि हैं, अर्थात 1 वर्ष और 2 वर्ष।
- अधिकांश परिसंपत्तियों के लिए दरों को युक्तिसंगत और एकसमान बनाया गया है।
- गणना की आसानी के लिए सूचीकरण को समाप्त कर दिया गया है और साथ ही दर को 20% से घटाकर 12.5% कर दिया गया है।
- निवासी और अनिवासी के बीच समानता।
- आगे बढ़ाये जाने वाले (रोल ओवर) लाभों में कोई बदलाव नहीं।
प्रश्न 2. नए कराधान प्रावधान कब लागू होंगे?
उत्तर: पूंजीगत लाभ के कराधान के लिए नए प्रावधान 23.7.2024 से लागू होंगे और 23.7.2024 या उसके बाद किए गए किसी भी हस्तांतरण पर लागू होंगे।
प्रश्न 3. धारण अवधि को कैसे सरल बनाया गया है?
उत्तर: पहले किसी परिसंपत्ति को दीर्घकालिक पूंजीगत परिसंपत्ति मानने के लिए तीन धारण अवधि होती थी। अब धारण अवधि को सरल बनाया गया है। केवल दो धारण अवधि हैं, - सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के लिए यह एक वर्ष है, अन्य सभी परिसंपत्तियों के लिए यह दो वर्ष है।
प्रश्न 4. धारण अवधि में बदलाव से किसे लाभ होगा?
उत्तर: सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों की धारण अवधि अब एक वर्ष होगी। इसलिए, व्यावसायिक ट्रस्टों की सूचीबद्ध इकाइयों (आरईएलआईटी, इनवीआईटी) के लिए धारण अवधि को 36 महीने से घटाकर 12 महीने कर दिया गया है। सोना, गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों (गैर-सूचीबद्ध शेयरों के अलावा) की धारण अवधि भी 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दी गई है।
प्रश्न 5. अचल संपत्ति और गैर-सूचीबद्ध शेयरों की धारण अवधि क्या है?
उत्तर: अचल संपत्ति और गैर-सूचीबद्ध शेयरों की धारण अवधि पहले की तरह ही यानि 24 महीने ही रहेगी।
प्रश्न 6. कृपया एसटीटी भुगतान वाली पूंजीगत संपत्तियों के लिए दर संरचना में बदलाव के बारे में विस्तार से बताएं?
उत्तर: अल्पकालिक एसटीटी भुगतान वाली सूचीबद्ध इक्विटी, इक्विटी उन्मुख म्यूचुअल फंड और बिजनेस ट्रस्ट की इकाइयों (धारा 111ए) के लिए दर 15 से बढ़ाकर 20% कर दी गई है। इसी तरह लंबी अवधि (धारा 112ए) के लिए इन परिसंपत्तियों की दर को 10 से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है।
प्रश्न 7. क्या धारा 112ए के तहत दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के लिए छूट सीमा में कोई बदलाव किया गया है, जो पहले एक लाख रुपये थी?
उत्तर: हां। इन परिसंपत्तियों पर एलटीसीजी के लिए 1 लाख की छूट सीमा भी बढ़कर 1.25 लाख रुपये हो गई है। यह बढ़ी हुई छूट सीमा वित्त वर्ष 2024-25 और उसके बाद के वर्षों के लिए लागू होगी।
प्रश्न 8. कृपया अन्य दीर्घावधि पूंजीगत लाभ के लिए दर संरचना में बदलाव के बारे में विस्तार से बताएं?
उत्तर: सभी परिसंपत्तियों पर अन्य दीर्घावधि पूंजीगत लाभ की दर को बिना सूचीकरण (इन्डेक्सैशन) के 12.5% कर दिया गया है (धारा 112)। यह दर पहले सूचीकरण के साथ 20% थी। इससे पूंजीगत लाभ के कराधान को सरल बनाने और उनकी गणना आसान करने में मदद मिलेगी।
प्रश्न 9. दर में 20% (सूचीकरण, (इन्डेक्सैशन) के साथ) से 12.5% (सूचीकरण के बिना) के बदलाव से किसे लाभ होगा?
उत्तर: दर में कमी से सभी श्रेणी की परिसंपत्तियों को लाभ होगा। अधिकांश मामलों में, करदाताओं को काफी लाभ होगा। लेकिन जहां मुद्रास्फीति के मुकाबले लाभ सीमित है, वहां कुछ मामलों में लाभ सीमित या नहीं होगा।
प्रश्न 10. क्या करदाता पूंजीगत लाभ पर आगे बढ़ाने वाले (रोल ओवर) लाभ प्राप्त करना जारी रख सकता है?
उत्तर: हां। आगे बढ़ाने वाले लाभ (रोल ओवर) पहले की तरह ही रहेंगे। आयकर अधिनियम के तहत पहले से उपलब्ध आगे बढ़ाने वाले लाभों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए, जो करदाता कम दरों के साथ भी एलटीसीजी कर पर बचत करना चाहते हैं, वे लागू शर्तों को पूरा करने पर आगे बढ़ाने वाले लाभ प्राप्त करना जारी रख सकते हैं।
प्रश्न 11. आगे बढ़ाने वाले (रोल ओवर) लाभ के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को किन परिसंपत्तियों में निवेश किया जा सकता है?
उत्तर: आगे बढ़ाने वाले (रोल ओवर) लाभ के लिए, करदाता धारा 54 या धारा 54एफ के तहत आवास में या धारा 54ईसी के तहत कुछ बॉन्ड में अपने लाभ का निवेश कर सकते हैं। सभी आगे बढ़ाने वाले लाभों के पूर्ण विवरण के लिए, कृपया आयकर अधिनियम की धारा 54, 54बी, 54डी, 54ईसी, 54एफ, 54जी देखें।
प्रश्न 12. आगे बढ़ाने वाले (रोल ओवर) लाभ कितनी राशि तक उपलब्ध है?
उत्तर: 54ईसी बॉन्ड (50 लाख रुपये तक) में पूंजीगत लाभ का निवेश और अन्य मामलों में, पूंजीगत लाभ, कुछ निर्दिष्ट शर्तों के अधीन, कर-मुक्त है।
प्रश्न 13. बदलाव के लिए कुल मिलाकर कारण क्या है?
उत्तर: किसी भी कर संरचना के सरलीकरण से अनुपालन में आसानी जैसे गणना, दाखिल करना, रिकॉर्ड का रखरखाव आदि के लाभ होते हैं। इससे विभिन्न प्रकार की परिसंपत्तियों के लिए अलग-अलग दरों को भी समाप्त किया जाता है।
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