कोयला मंत्रालय

कोयले के प्रतिस्थापन के लिए अनुसंधान एवं विकास

Posted On: 24 JUL 2024 4:43PM by PIB Delhi

अध्ययनों के बाद, यह बात स्थापित हुई है कि ताप विद्युत संयंत्र (टीपीपी) में कोयले के साथ 5% से 10% बायोमास का सुरक्षित रूप से दहन किया जा सकता है और इससे ताप विद्युत संयंत्र पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय विभिन्न अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के माध्यम से "नवीकरणीय ऊर्जा अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (आरई-आरटीडी)" को कार्यान्वित कर रहा है, ताकि कुशल और लागत प्रभावी तरीके से नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा के व्यापक अनुप्रयोगों के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों और विनिर्माण को विकसित किया जा सके। यह सरकारी/गैर-लाभकारी अनुसंधान संगठनों को 100% तक और उद्योग, स्टार्टअप, निजी संस्थानों, उद्यमियों और विनिर्माण इकाइयों को 70% तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

ऊर्जा के स्रोत के रूप में कोयले के उपयोग से पर्यावरण पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव को रोकने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा रहे हैं:

कोयला कंपनियों द्वारा किए जा रहे प्रयास -

कोयला कंपनियां पर्यावरण अनुकूल विशेषताओं वाले आधुनिक उपकरण लगा रही हैं, जैसे सरफेस माइनर, विस्फोट रहित ऊपरी भार हटाने के लिए रिपर, भूमिगत खदानों में कंटीन्यूअस माइनर, विस्फोट रहित कोयला खनन के लिए हाई वॉल माइनिंग आदि।

कोयला कंपनियों ने सड़क परिवहन को कम करने के लिए 'फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी' परियोजनाओं के तहत मशीन आधारित कोयला परिवहन और भार-प्रणाली का उन्नयन करने के लिए कदम उठाए हैं।

खदान पट्टा क्षेत्र में जमीन से जुड़े स्प्रिंकलर और वृक्षारोपण के जरिये धूल को स्रोत पर ही नियंत्रित किया जाता है।

विस्फोट के दौरान धूल पैदा होने और जमीन के कंपन को कम करने के लिए नियंत्रित विस्फोट तकनीक।

सड़कें कंक्रीट/ब्लैक-टॉप वाली हैं, कोयला ले जाने वाले ट्रकों को वंचित तरीके से लोड किया जाता है और तिरपाल से ढका जाता है। कोयला परिवहन के लिए समर्पित कोयला गलियारे विकसित किए गए हैं।

नेट जीरो लक्ष्य को प्राप्त करने और बिजली उत्पादन के लिए कोयले के उपयोग का प्रतिस्थापन करने के उद्देश्य से सौर और पवन ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं।

थर्मल पावर प्लांट द्वारा किए जा रहे प्रयास

बायोमास का साथ में दहन - विद्युत मंत्रालय ने कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में साथ-साथ दहन के माध्यम से बिजली उत्पादन के लिए बायोमास के उपयोग पर एक नीति जारी की है। नीति में तकनीकी व्यवहार्यता का आकलन करने के बाद, कोयले के साथ मुख्य रूप से कृषि अवशेषों के बायोमास के 5-7% दहन को अनिवार्य किया गया है। इससे टीपीपी की कोयले पर निर्भरता कम करने और पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को कुछ हद तक कम करने में मदद मिली है। जून 2024 तक, पूरे भारत में 8.14 लाख टन संचयी बायोमास का साथ में दहन किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप बिजली संयंत्रों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 0.97 मिलियन टन की कमी आई है।

स्टैक उत्सर्जन में कमी- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 07.12.2015 की अधिसूचना और उसके बाद के संशोधनों के माध्यम से कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से निलंबित कण पदार्थ (एसपीएम), एसओएक्स और एनओएक्स जैसे स्टैक उत्सर्जन को कम करने के संबंध में मानदंड अधिसूचित किए हैं। इन मानकों को पूरा करने के लिए, ताप विद्युत संयंत्र इलेक्ट्रो स्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ईएसपी), फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी), एनओएक्स दहन संशोधन जैसी तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।

कुशल अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल/सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना- सबक्रिटिकल ताप इकाइयों की तुलना में कुशल अल्ट्रा सुपरक्रिटिकल/सुपरक्रिटिकल इकाइयों की स्थापना को बढ़ावा देना क्योंकि ये इकाइयां अधिक कुशल हैं और उनका प्रति यूनिट बिजली उत्पादन पर उत्सर्जन सबक्रिटिकल इकाइयों से कम है। 30.06.2024 तक क्रमशः 65,290 मेगावाट (94 यूनिट) और 4,240 मेगावा(06 यूनिट) की कुल क्षमता वाली सुपरक्रिटिकल/अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल इकाइयों को चालू किया गया है।

लगभग 18,802.24 मेगावाट क्षमता वाली 267 इकाइयों को, जो अकुशल हैं और पुराने ताप विद्युत संयंत्रों हैं, 0.06.2024 तक पहले ही बंद कर दिया गया है।

एनटीपीसी लिमिटेड ने विंध्याचल में 20 टन प्रतिदिन (टीपीडी) क्षमता वाली पायलट कार्बन कैप्चर परियोजना चालू की है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा किए जा रहे प्रयास -

कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों की उत्सर्जन तीव्रता को कम करने और उनकी दक्षता बढ़ाने के लिए, उन्नत अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल (एयूएससी) प्रौद्योगिकी का विकास किया गया है और इसका विकास जारी है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने शैक्षणिक एवं शोध संस्थानों को शामिल करते हुए एक संघ के रूप में ताप विद्युत संयंत्र अनुप्रयोगों हेतु स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों के लिए उन्नत सामग्री एवं विनिर्माण प्रक्रियाओं के विकास के क्रम में दो राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किए हैं। अनुसंधान एवं विकास का मुख्य उद्देश्य ताप विद्युत संयंत्र में उपयोग किए जाने वाले महत्वपूर्ण घटकों के जीवन को बेहतर बनाना है, साथ ही उन्नत कोटिंग एवं विनिर्माण प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके घटकों के कुशल निर्माण के तरीकों को बेहतर बनाना है।

यह जानकारी आज केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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