सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
2014-15 से 2023-24 तक अनुसूचित जाति के लिए श्रेयस योजना के तहत 97,928 लाभार्थियों के लिए 2708.64 करोड़ रुपये खर्च किए गए; ओबीसी और ईबीसी के लिए श्रेयस योजना के तहत 38,011 लाभार्थियों के लिए 585.02 करोड़ रुपये खर्च किए गए
Posted On:
24 JUL 2024 3:37PM by PIB Delhi
दो योजनाएं अर्थात् (i) अनुसूचित जाति के छात्रों के लिए 'हायर एजुकेशन फॉर यंग अचीवर्स स्कीम' (श्रेयस) छात्रवृत्ति और (ii) ओबीसी और ईबीसी छात्रों के लिए 'हायर एजुकेशन फॉर यंग अचीवर्स स्कीम' (श्रेयस) छात्रवृत्ति इस विभाग द्वारा चलाई जाती हैं।
अनुसूचित जाति के लिए श्रेयस योजना के अंतर्गत 2014-15 से 2023-24 तक 97,928 लाभार्थियों के लिए 2708.64 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। ओबीसी और ईबीसी के लिए श्रेयस योजना के तहत 2014-15 से 2023-24 तक 38,011 लाभार्थियों के लिए 585.02 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा के लिए अनुसूचित जाति के लिए शीर्ष श्रेणी की शिक्षा के तहत, अनुसूचित जाति के लिए श्रेयस की एक उप-योजना चलाई जाती है। इसके तहत देश के 266 शीर्ष श्रेणी के उच्च शिक्षा संस्थानों जैसे आईआईटी/आईआईआईटी/आईआईएम/एम्स आदि में अध्ययन के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
इसी प्रकार, अनुसूचित जाति के लिए उप-योजना राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति के तहत, विदेश में शीर्ष 500 क्यूएस रैंकिंग संस्थानों/विश्वविद्यालयों में अध्ययन के लिए हर साल 125 छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
अनुसूचित जाति के लिए उप-योजना राष्ट्रीय फ़ेलोशिप के तहत, अनुसूचित जाति के छात्रों को भारत में पीएचडी के लिए हर साल 2000 फ़ेलोशिप प्रदान की जाती है। ये 2000 स्लॉट यूजीसी फ़ेलोशिप के लिए सरकार की सामान्य आरक्षण नीति के तहत चुने गए एससी छात्रों की संख्या से अधिक हैं।
एससी और ओबीसी के लिए मुफ्त कोचिंग की उप-योजना, हर साल 3500 आर्थिक रूप से वंचित अनुसूचित जाति (एससी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उम्मीदवारों के लिए सूचीबद्ध केंद्रीय विश्वविद्यालयों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है, जिसका उद्देश्य उन्हें प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए सशक्त बनाना है। सार्वजनिक/निजी क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए या प्रतिष्ठित तकनीकी और व्यावसायिक उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश पाने के लिए इन छात्रों को तैयार किया जाता है।
यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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