पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय

केंद्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने कहा कि भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है, जिसमें 104,561 प्रजातियां शामिल हैं


जेडएसआई के 109वें स्थापना दिवस के अवसर पर भारतीय प्राणी जगत चेकलिस्ट के लिए एक पोर्टल का शुभारंभ करते हुए श्री यादव ने कहा कि यह उपलब्धि भारत को जैव विविधता लेखांकन में एक ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करती है

केंद्रीय मंत्री ने जेडएसआई द्वारा आयोजित पशु वर्गीकरण शिखर सम्मेलन-2024 का उद्घाटन किया

Posted On: 30 JUN 2024 2:38PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री (एमओईएफसीसी) श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत अपने संपूर्ण जीव-जंतुओं की सूची तैयार करने वाला दुनिया का पहला देश है। सूची में कुल 1,04,561 प्रजातियाँ शामिल हैं। उन्होंने कहा, इस सफलता के कारण, भारत ने खुद को जैव विविधता संरक्षण में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया है।

उन्होंने कहा कि जैव विविधता के संरक्षण के मामले में भारत हमेशा से दुनिया में अग्रणी देश रहा है। हमारी परंपराएं, सिद्धांत और मूल्य प्रकृति का सम्मान करते हैं और जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हैं।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (जेडएसआई) के 109वें स्थापना दिवस के अवसर पर, श्री यादव ने आज कोलकाता में भारतीय जीव-जंतुओं को सूचीबद्ध करने वाला एक पोर्टल लॉन्च किया।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का प्रकृति के प्रति दृष्टिकोण और मिशन तब प्रतिबिंबित होता है जब तीसरी बार ऐतिहासिक जनादेश मिलने के बाद पहला बड़ा कार्यक्रम ‘एक पेड़ मां के नाम’ शुरू किया गया।

श्री यादव ने कही कि प्रधानमंत्री के 'मिशन लाइफ' ने दुनिया के सामने सतत उपभोग और संरक्षण की उपयोगिता को उजागर किया है। उन्होंने कहा, हम प्रकृति से जो कुछ भी लेते हैं, हमें उसे उसके शुद्ध रूप में प्रकृति को वापस देने का प्रयास करना चाहिए।

उन्होंने जैव विविधता और प्रजातियों के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस जैसी सरकार की पहलों पर भी प्रकाश डाला और कहा कि सफल परियोजनाओं के रूप में चीतों को भारत में स्थानांतरित करना इसका एक उदाहरण है।

श्री यादव ने कहा कि भारत के जीव-जंतुओं का चेकलिस्ट पोर्टल देश के संपूर्ण जीव-जंतुओं का पहला व्यापक दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि जीवों की सूची वर्गीकरण वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षकों, संरक्षण प्रबंधकों और नीति निर्माताओं के लिए अमूल्य जानकारी के भंडार के रूप में काम करेगा। इसमें 121 सूचियाँ हैं। इस सूची में लुप्तप्राय, स्थानिक और अनुसूचित प्रजातियाँ भी शामिल हैं।

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जूलॉजिकल टैक्सोनॉमी समिट 2024 का उद्घाटन करते हुए, श्री यादव ने संगठन को जैव विविधता संरक्षण के लिए समर्पित 109 गौरवशाली वर्ष पूरे करने के लिए बधाई दी। 109 की संख्या पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, बौद्ध प्रार्थना माला का 109वां मनका कृतज्ञता, स्वीकृति और मौन का प्रतीक है।

एडवर्ड कान की पुस्तक 'हाउ फॉरेस्ट्स थिंक: टुवार्ड्स एन एंथ्रोपोलॉजी बियॉन्ड द ह्यूमन' की सराहना करते हुए श्री यादव ने कहा, इस पुस्तक में, कहन ने बताया है कि किसी विशेष क्षेत्र में कुछ प्रकार के पेड़ क्यों उगते हैं, इसके तर्कसंगत कारण हैं। ये पौधे विशेष गुणों के माध्यम से पर्यावरण से संपर्क बनाये रखते हैं। कीट प्रतिरोध इन विशेषताओं का एक उदाहरण है। उन्होंने समझाया कि पेड़ इसी तरह सोचते हैं। उन्होंने सभी से एडुआर्डो कोहन की इस अद्भुत पुस्तक को पढ़ने का आग्रह किया।

एनिमल टैक्सोनॉमी समिट-2024 जेडएसआई द्वारा आयोजित किया जा रहा दूसरा शिखर सम्मेलन है। शिखर सम्मेलन के दौरान, तीन व्यापक विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, 1)वर्गीकरण, पद्धति और विकास, 2) पारिस्थितिकी और पशु व्यवहार; 3) जैव विविधता और संरक्षण। शिखर सम्मेलन में चार देशों के 350 प्रतिनिधि भाग लेंगे, जिनमें नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में भारत और विदेशों के प्रख्यात वक्ताओं/विशेषज्ञों के 21 पूर्ण/मुख्य व्याख्यान और 142 मौखिक/पोस्टर प्रस्तुतियाँ होंगी। शिखर सम्मेलन का समापन 3 जुलाई 2024 को होगा। जैव विविधता के संरक्षण की दृष्टि से इस सम्मेलन से निकलने वाली सिफारिशों से भारत सरकार को अवगत कराया जाएगा।

इससे पहले, बच्चों ने अपनी माताओं के साथ 'एक पेड़ मां के नाम' कार्यक्रम में भाग लिया जहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में पौधे लगाए।

कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री, प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों ने प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात को भी सुना।

श्री यादव ने जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की 'एनिमल डिस्कवरीज 2023' नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन किया। इसमें  भारत से 641 नई पशु प्रजातियाँ और नए रिकॉर्ड शामिल हैं। उन्होंने भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण  (बीएसआई) की प्लांट डिस्कवरीज 2023 नामक पुस्तक का आधिकारिक विमोचन भी किया जिसमें भारत के वैज्ञानिकों, संकायों और शोधकर्ताओं द्वारा प्रकाशित 339 नई पौधों की प्रजातियां और देश से नए रिकॉर्ड शामिल हैं। इसके अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें भी आधिकारिक तौर पर प्रकाशित हुईं।

केंद्रीय मंत्री द्वारा अन्य महत्वपूर्ण प्रकाशनों में ‘फौना ऑफ इंडिया-109 बारकोड’, ‘कैटलॉग ऑफ होवरफ्लाइज’, ‘कैटलॉग ऑफ मस्किडे’ और ‘फ्लोरा ऑफ इंडिया सीरीज’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर आईसीएआर-एनबीएफजीआर, लखनऊ और जेडएसआई, कोलकाता द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित पहली ‘बारकोड एटलस ऑफ इंडियन फिश’ और शिलादित्य चौधरी और केतन सेनगुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक ‘आरओएआर-सेलिब्रेटिंग 50 इयर्स ऑफ प्रोजेक्ट टाइगर’ का भी विमोचन किया गया।

इस अवसर पर वन विभाग के महानिदेशक और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव श्री जितेंद्र कुमार ने 'इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ जूलॉजी' (आईएसजेड) का उद्घाटन किया जो जैव विविधता की वैश्विक समझ और संरक्षण में योगदान करने के लिए व्यक्तियों और संस्थानों की क्षमता को बढ़ाएगा।

इस कार्यक्रम में देश में जीव-जंतुओं के संसाधनों की खोज और सुरक्षा, हमारे पर्यावरण की महत्ता और सुरक्षा तथा इसमें जेडएसआई और बीएसआई के योगदान के संदेश शामिल थे। जेडएसआई ने बेहतर समन्वय और आम जनता को लाभ पहुँचाने के लिए विश्वविद्यालयों/कॉलेजों (जैसे विद्यासागर विश्वविद्यालय, बरहामपुर विश्वविद्यालय, मदुरै कामराज विश्वविद्यालय, हिमालयन विश्वविद्यालय, फर्ग्यूसन कॉलेज और कोंगुनाडु कला एवं विज्ञान महाविद्यालय) और राष्ट्रीय संस्थानों (आईसीएआर-एनबीएफजीआर, आईसीएआर-एनबीएआईआर, आईसीएआर-सीआईएफए, बीआईटीएस, पिलानी) के साथ 10 समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया।

कार्यक्रम में जेडएसआई निदेशक धृति बनर्जी ने स्वागत भाषण दिया, जिसमें जेडएसआई, बीएसआई के अधिकारी, वैज्ञानिक और शोधकर्ता तथा कई विश्वविद्यालयों और भारतीय और विदेशी संस्थानों के कुलपति भी शामिल हुए। कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक प्रस्तुति के साथ हुआ।

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