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एसएएमईईआर, एमईआईटी वाई और एमसीटीई, भारतीय सेना ने प्रौद्योगिकीय प्रगति के लिए रणनीतिक साझेदारी की

Posted On: 22 JUN 2024 9:02PM by PIB Delhi

आज एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में, मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (एमसीटीई), भारतीय सेना और सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (समीर), इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटी वाई) के अंतर्गत एक स्वायत्त अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला ने ‘भारतीय सेना के लिए भविष्य में वायरलेस प्रौद्योगिकियों’ में सहयोग को प्रोत्साहन देने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन पर कमांडेंट एमसीटीई एवं कर्नल कमांडेंट कोर ऑफ सिग्नल लेफ्टिनेंट जनरल के. एच. गवास, और सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (समीर) के महानिदेशक, डॉ. पी. एच. राव, ने हस्ताक्षर किए। इस कार्यक्रम का आयोजन एमईआईटी वाई के समूह समन्वयक, श्री एस. के. मारवाह, एवीएसएम, वीएसएम, सेना डिजाइन ब्यूरो, भारतीय सेना के अतिरिक्त महानिदेशक, मेजर जनरल सी. एस. मान की गरिमामयी उपस्थिति में किया गया, जो देश की रक्षा और प्रौद्योगिकीय छवि के लिए इस रणनीतिक पहल के महत्व को दर्शाता है।

यह पहल भारतीय सेना की प्रौद्योगिकीय क्षमताओं को बल प्रदान करने में एक प्रभावशाली मील का पत्थर है, जो सेना प्रमुख द्वारा वर्ष 2024 को ‘भारतीय सेना के लिए प्रौद्योगिकी अवशोषण का वर्ष’ के रूप में घोषित दृष्टिकोण के अनुरूप है।

आज किये गये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर से इस सहयोग को फिर से मजबूती से स्थापित होने की आशा है। साथ ही एमसीटीई में एक ‘उन्नत सैन्य अनुसंधान और ऊष्मायन केंद्र’ की स्थापना की योजना है। इस केंद्र का उद्देश्य भारतीय सेना के लिए उन्नत वायरलेस प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करना है।

एसएएमईईआर और एमसीटीई के बीच साझेदारी एक समझौते से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है और आधुनिक युद्ध क्षेत्र की चुनौतियों का समाधान करते हुए नई तकनीकी सीमाओं की खोज में एक साझा प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करती है। वायरलेस प्रौद्योगिकियों में एसएएमईईआर की विशेषज्ञता और संचार, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और साइबर संचालन में एमसीटीई के कौशल के साथ, यह सहयोग रक्षा और रणनीतिक क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगतिकरण को दर्शाता है।

इस साझेदारी के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:

  • संयुक्त अनुसंधान और विकास- सहयोगी परियोजनाएं 5जी, 6जी, उन्नत सेलुलर प्रौद्योगिकियों, सॉफ्टवेयर परिभाषित रेडियो और संज्ञानात्मक रेडियो, सैटेलाइट संचार, एंटीना डिजाइन, फ्री स्पेस ऑप्टिक्स और ट्रोपो-स्कैटर संचार, साथ ही एआई, क्वांटम और सैन्य-विशिष्ट चिप डिजाइन में संयुक्त विशेषज्ञता से लाभ प्राप्त करते हुए उचित समाधानों को लक्षित करेंगी।
  • इन्क्यूबेशन सेंटर- यह केंद्र एमएसएमई और स्टार्ट-अप को शामिल करते हुए अवधारणा से विशाल स्तर पर उत्पादन तक सैन्य-विशिष्ट अभिनव समाधानों के विकास का समर्थन करेगा।
  • इसके अतिरिक्त, समझौता ज्ञापन का उद्देश्य ज्ञान के आदान-प्रदान, प्रशिक्षण और विकास पहलुओं पर भी ध्यान देना है।

एसएएमईईआई और एमसीटीई के बीच सहयोग का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी अवसंरचना को मजबूती प्रदान करना है, जिसके संभावित लाभ केवल सैन्य क्षेत्र तक ही सीमित नहीं होंगे, बल्कि इनका प्रभाव दूरगामी होगा। यह प्रगतिकरण दूरसंचार, आपातकालीन प्रतिक्रिया और सार्वजनिक सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर एसएएमईईआई और एमसीटीई के बीच साझेदारी में एक महत्वपूर्ण समयकाल को चिह्नित करता है, जो नवाचार और सहयोगी सफलता से परिपूर्ण भविष्य का संकेत है। यह रणनीतिक गठबंधन सरकारी अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और सैन्य शैक्षणिक निकायों के बीच सहयोग के लिए नए मानक स्थापित करने के लिए पूर्णरूप से तैयार है, जो प्रौद्योगिकी के प्रगतिपथ की ओर अग्रसर होगी।

समझौता ज्ञापन के लिये आयोजित हस्ताक्षर समारोह के दौरान, एवीएसएम, वीएसएम, अतिरिक्त महानिदेशक, आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो मेजर जनरल सी. एस. मान ने विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के अवशोषण पर भारतीय सेना के विजन के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने सैन्य अनुप्रयोगों के लिए विभिन्न उभरती हुई प्रौद्योगिकी-आधारित समाधानों के विकास हेतु एक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए किये गये कार्यों के बारे में जानकारी दी।

एमईआईटी वाई के समूह समन्वयक श्री एस. के. मारवाहा, ने रक्षा और रणनीतिक अनुप्रयोगों के लिए एमईआईटी वाई की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने रणनीतिक और रक्षा क्षेत्रों में एसएएमईईआर और सीडीएसी के योगदान के बारे में भी विस्तारपूर्वक बताया।

एसएएमईईआर की ओर से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले डॉ. पी. एच. राव ने रक्षा क्षेत्र में एसएएमईईआर के कार्य के योगदान की झलकियाँ प्रस्तुत की और साथ ही भारतीय सेना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में तैनाती योग्य समाधान विकसित करने हेतु समझौता ज्ञापन के लिए महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण के बारे भी बताया।

पीवीएसएम, वीएसएम, कमांडेंट एमसीटीई और कर्नल कमांडेंट कोर ऑफ सिग्नल्स लेफ्टिनेंट जनरल के. एच. गवास, ने एमओयू के महत्व और एमसीटीई की एमओयू से अपेक्षाओं को प्रस्तुत किया, ताकि सामरिक युद्ध क्षेत्र में फील्ड डिप्लॉयेबल समाधान विकसित किए जा सकें, जो एमसीटीई, एसएएमईईआर, शिक्षाविदों, उद्योग, शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के सहयोगात्मक प्रयासों से प्राप्त हुआ है, जो पूरे देश के दृष्टिकोण के साथ पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए एक मंच पर एकत्रित हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह साझेदारी अभूतपूर्व उपलब्धियों का मार्ग प्रशस्त करेगी और सरकारी अनुसंधान एवं विकास संस्थानों और सैन्य शैक्षणिक संस्थानों के बीच सहयोग के लिए एक नये मानक स्थापित करेगी और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राष्ट्रीय पहल में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करेगी।

 

 

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