विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
वैज्ञानिकों ने ऊर्जा संचयन और विद्युत उत्पादन के लिए नई श्रेणी की सामग्रियों के संबंध में अभूतपूर्व जानकारी दी
Posted On:
20 JUN 2024 3:35PM by PIB Bhopal
नया अध्ययन समूह IV चालकोजेनाइड्स की एकल 2डी परत के भीतर मेटावेलेंट बॉन्डिंग (एमवीबी) के साथ प्रारंभिक धातु नामक सामग्री के नए वर्ग के रासायनिक बंधन को नियंत्रित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक तंत्र को उजागर करता है जो ऊर्जा संचयन और बिजली उत्पादन को बढ़ावा दे सकते हैं।
विशिष्ट गुणों के साथ नई सामग्री प्राप्त करने से वर्तमान प्रौद्योगिकी की उन्नति में मदद मिल सकती है। हाल ही में वैज्ञानिक समूह द्वारा IV चाल्कोजेनाइड्स नामक यौगिकों की एक श्रेणी पर ध्यान दिया गया है, जिनमें दिलचस्प गुण हैं, जो उन्हें तकनीकी एप्लिकेशनों के लिए उपयुक्त बनाते हैं। इन यौगिकों में आवधिक सारणी के समूह VI का एक तत्व होता है, जो आवधिक सारणी के समूह III-V के तत्वों जैसे PbTe, SnTe और GeTe के साथ मिल जाता है।
तापमान, दबाव या विद्युत क्षेत्रों में परिवर्तन के उत्तर में चाल्कोजनाइड्स अनाकार और क्रिस्टलीय चरणों के बीच प्रतिवर्ती रूप से संक्रमण कर सकते हैं। इस अनूठी विशेषता के दो चरणों की विपरीत ऑप्टिकल प्रतिक्रियाओं के कारण रीराइटेबल ऑप्टिकल डिस्क और इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी डिवाइस में व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं। इसके अतिरिक्त, ये चाल्कोजनाइड्स ऊर्जा संचयन और बिजली उत्पादन एप्लिकेशनों में मूल्यवान हैं, उनकी उच्च विद्युत संचालन और थर्मोइलेक्ट्रिक प्रभाव के माध्यम से तापीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में प्रभावी रूप से परिवर्तित करने के कारण।
जवाहरलाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जेएनसीएएसआर) बेंगलुरु (विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की स्वायत्त संस्थान) में सैद्धांतिक विज्ञान इकाई के प्रोफेसर उमेश वाघमारे द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में ग्रुप IV चाकोजेनाइड्स की एक एकल 2डी परत के भीतर हाल ही में शुरू किए गए मेटावेलेंट बॉन्डिंग (एमवीबी) को प्रारंभ करने की संभावना का पता लगाया गया, इसके तंत्र और सामग्री गुणों पर इसके प्रभाव से होने वाले परिणामों की जांच की गई।
एंगवेन्टे केमीय इंटरनेशनल एडिशन में प्रकाशित और भारत सरकार के एसईआरबी-डीएसटी के जेसी बोस नेशनल फेलोशिप और जेएनसीएएसआर रिसर्च फेलोशिप द्वारा समर्थित यह अध्ययन ग्रुप IV चाकोजेनाइड्स के पांच अलग-अलग 2डी जालियों के भीतर जुड़ाव प्रकृति पर फोकस करते हुए एक फर्स्ट प्रिन्सिपल सैद्धांतिक विश्लेषण प्रदान करता है। इस श्रेणी में ऐसे यौगिक शामिल हैं जो उल्लेखनीय गुण प्रदर्शित करते हैं, जो गर्म करने या ठंडा करने पर 100 नैनोसेकंड से भी कम समय में कांच जैसी अनाकार संरचना से क्रिस्टलीय रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
प्रोफेसर सीएनआर राव द्वारा प्रस्तुत विचार से प्रेरित इस अध्ययन का उद्देश्य इन सामग्रियों में रासायनिक जुड़ाव को नियंत्रित करने वाले इलेक्ट्रॉनिक तंत्र को उजागर करना था। लगभग दो वर्षों के सैद्धांतिक और कम्प्यूटेशनल कार्य में लगे निष्कर्षों ने इन सामग्रियों के अद्वितीय गुणों पर प्रकाश डाला है, जो पारंपरिक रासायनिक बंधन विचारों को चुनौती देते हैं।
प्रो. वाघमारे कहते हैं, "प्रारंभिक धातु कहे जाने वाले इन पदार्थों में गुणों का ऐसा संयोजन होता है जो पारंपरिक समझ को चुनौती देता है। वे धातुओं के समान विद्युत कंडक्टिविटी, सेमीकंडक्टरों की विशेषता वाली उच्च तापविद्युत दक्षता और असामान्य रूप से कम थर्मल कंडक्टिविटी प्रदर्शित करते हैं, जिससे गुणों का ऐसा त्रिकोण बनता है जिसे पारंपरिक रासायनिक बंधन अवधारणाओं द्वारा समझाया नहीं जा सकता है।"
इस शोध का महत्वपूर्ण पहलू 2018 में मैथियास वुटिग द्वारा प्रस्तावित एक नए प्रकार के रासायनिक बंधन की व्याख्या में निहित है - मेटावैलेंट बॉन्डिंग। यह नवावाचारी बंधन अवधारणा धातु और सहसंयोजक बंधन दोनों की विशेषताओं को जोड़ती है, जो इन सामग्रियों के रहस्यमय व्यवहार पर एक नई दृष्टि प्रदान करती है।
प्रो. वाघमारे और उनकी टीम द्वारा किए गए सैद्धांतिक कार्य के उद्योगों में महत्वपूर्ण निहितार्थ और आशाजनक एप्लिकेशंस हैं। इस अध्ययन में खोजे गए चाल्कोजेनाइड्स पहले से ही कंप्यूटर फ्लैश मेमोरी में कार्यशील हैं, जो क्रिस्टलीय से अनाकार अवस्थाओं में संक्रमण के दौरान ऑप्टिकल गुणों को बदलने की उनकी क्षमता का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त, ऊर्जा भंडारण में इन सामग्रियों का संभावित उपयोग, विशेष रूप से चरण परिवर्तन सामग्री के रूप में, अधिक स्थायी और कुशल ऊर्जा के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
यह शोध क्वांटम सामग्रियों के उभरते क्षेत्र से जुड़ता है, जो क्वांटम प्रौद्योगिकी पर भारत के राष्ट्रीय मिशन के लक्ष्यों के साथ संरेखित है। ये सामग्रियाँ, अपनी विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं और गुणों के साथ, क्वांटम टोपोलॉजिकल सामग्रियों का एक प्रोटोटाइप उदाहरण प्रस्तुत करती हैं, जो क्वांटम प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण घटक है।
यह शोध, दो शोधपत्रों में प्रकाशित हुआ है - एक का फोकस त्रि-आयामी सामग्रियों पर है और दूसरे का फोकस द्वि-आयामी सामग्रियों में मेटावैलेंट बॉन्डिंग पर है। यह क्वांटम सामग्रियों के रसायन विज्ञान को समझने में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतिनिधित्व करता है। प्रो. वाघमारे इन निष्कर्षों के महत्व पर बल देते हुए कहते हैं, "सामान्य रासायनिक बंधन इन सामग्रियों की अनूठी प्रकृति की व्याख्या नहीं करता है। हमने क्वांटम सामग्रियों के रसायन विज्ञान को उजागर किया है जो अन्वेषण के लिए नए रास्ते खोलता है।"
प्रकाशन लिंक : https://onlinelibrary.wiley.com/doi/10.1002/anie.202313852
शोधकर्ता समूह IV मोनोकैल्कोजेनाइड्स के 2डी मोनोलेयर में मेटावेलेंट बंधन की संभावना का पता लगाते हैं
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(Release ID: 2027404)
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